कल तक दरभंगा जिले के सिंहवाड़ा प्रखंड के सिरहुल्ली गांव की कोई पहचान नहीं थी और आज साइकिल गर्ल ज्योति के कारण देश-दुनिया में इसकी चर्चा हो रही है। कोरोना लॉकडाउन- 4 में अपने बीमार पिता मोहन को साइकिल पर बैठाकर हरियाणा के गुरूग्राम से 7 दिनों में 1200 किलोमीटर दूर अपने पैतृक गांव बिहार के दरभंगा (सिरहुल्ली) पहुंचने वाली 15 वर्षीय ज्योति के साहस को लोग सलाम कर रहे हैं। मदद करने के लिए बड़े-बड़े अफसर झारखंड के डीसीएम विजय कुमार, आईएएस संतोष कुमार राय व सुमित कुमार राय भी आगे आ रहे हैं। इन्होंने ज्योति के पिता से बातें भी की और कहा कि उसकी पढ़ाई की पूरी जिम्मेदारी उठा कर समाज में ऊंचा कद दिलाने हेतु केंद्रीय विद्यालय दिल्ली में दाखिला कराने की पहल भी शुरू कर दी है।
बता दें कि ज्योति की बड़ी बहन को नीतीश सरकार की साइकिल योजना के तहत स्कूल से साइकिल मिली थी। ज्योति ने उसी से साइकिल चलाना सीखा था। गुरूग्राम से चलते वक्त जिस ज्योति के पिता की जेब में मात्र ₹500 थे वही ज्योति सिरहुल्ली पहुंचते ही कुबेर के कोषागार की कुंजी अपने पिताश्री के चरणों पर रख दी।
जानिए की ज्योति के हौसले व जुनून को सलाम करने वाले बॉलीवुड फिल्मकार विनोद कापड़ी ने क्या कहा- “मैं साइकिल गर्ल ज्योति पर एक फिल्म बनाने की तैयारी में हूं जिसके लिए मैंने उसके पिताजी श्री मोहन पासवान से अनुबंध पत्र पर हस्ताक्षर लेकर फिल्म बनाने की सहमति भी ले ली है, जिसमें पिता-पुत्री के संघर्षपूर्ण जीवन को प्रेरक रूप दिया जाएगा।”
चलते-चलते यह भी कि ज्योति की मदद में इवांका ट्रंप…. नवभारत टाइम्स के उठते हाथों को देख भारतरत्न डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम के करीबी रहे समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने भी ज्योति को ऊंचाई पाने हेतु हौसला अफजाइ करने का मन बनाया है। भला क्यों नहीं, डॉ.मधेपुरी तो अंतरराष्ट्रीय खेल में भारत के लिए कांस्य पदक जीतकर बिहार की धरती को गौरवान्वित करने वाली बेटी सोनी राज और 1942 में शहीद हुए भोला ठाकुर की धर्मपत्नी बेचनी देवी जैसों की भी तो मदद करते रहे हैं।