अब घर से निकलते ही आपको बैंक दिखेंगे। सड़कों को कौन पूछे, अब गली-गली में बैंक होंगे। क्या शहर, क्या कस्बा, क्या गांव… चौक हो, चौराहा हो या चौपाल और पेड़ की छांव… कहीं भी आप खड़े हों, यकीन मानिए आसपास कोई-ना-कोई बैंक आपको दिख ही जाएगा। जी हाँ, अब बदल जाएगी बैंकों की दुनिया। हम आपको बताते हैं कैसे। दरअसल एक बड़ा फैसला लेते हुए रिजर्व बैंक ने पेमेंट बैंक खोलने के लिए ग्यारह कम्पनियों की अर्जी मंजूर की है। इन कम्पनियों में कमोबेश सबसे आप परिचित होंगे। रिजर्व बैंक की मंजूरी हासिल करनेवाली इन कम्पनियों में रिलायंस, एयरटेल, आइडिया और वोडाफोन भी शामिल हैं। जी हाँ, ठीक समझ रहे हैं आप। अब इन टेलीकॉम कम्पनियों के भी बैंक होंगे। ये बैंक पेमेंट बैंक कहलाएंगे। हालांकि ये बैंक आपको लोन नहीं दे पाएंगे लेकिन पेमेंट और मनी ट्रांसफर जैसे काम बहुत आसान कर देंगे।
रिजर्व बैंक ने 19 अगस्त यानि बुधवार को जिन ग्यारह कम्पनियों को पेमेंट बैंक खोलने की मंजूरी दी है, वे हैं रिलायंस इंडस्ट्रीज, एयरटेल एम कामर्स, आदित्य बिरला नुवो लिमिटेड, वोडाफोन एम-पैसा, टेक महिंद्रा, डिपार्टमेंट ऑफ पोस्ट, नेशनल सिक्युरिटी डिपॉजिट लिमिटेड, फिनो पे टेक लिमिटेड, चोलामंडलम डिस्ट्रीब्यूशन सर्विस लिमिटेड, सन फार्मा और पे-टीएम। इन बैंकों में खाता खोलकर आप किसी भी तरह के बिल का भुगतान कर सकते हैं। अब इसके लिए आपको कैश की जरूरत नहीं पड़ेगी। इन पेमेंट बैंकों में इंटरनेट बैंकिंग की सुविधा उपलब्ध होगी।
आपको बता दें कि ये बैंक डेबिट कार्ड तो जारी करेंगे लेकिन क्रेडिट कार्ड की सुविधा ये नहीं दे पाएंगे। फिर भी आज की व्यस्तता और भागदौड़ वाली दिनचर्या को देखते हुए ये पेमेंट बैंक किसी वरदान से कम नहीं होंगे। इन बैंकों का सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि आप अपने सभी बिल समय पर और सुविधा से जमा कर पाएंगे। इनकी बदौलत दूर देहात में पैसा पहुँचाना भी चुटकी बजाने जैसा होगा।
भारत में आज से 206 साल पहले 1809 में बैंक ऑफ बंगाल की स्थापना के साथ आधुनिक बैंकिंग की शुरुआत हुई। तब ब्रिटिश राज था। इसके बाद 1840 में बैंक ऑफ बॉम्बे और 1943 में बैंक ऑफ मद्रास अस्तित्व में आए। आगे चलकर इन तीनों बैंकों को मिलाकर इंपीरियल बैंक बना और 1955 में उसका विलय भारतीय स्टेट बैंक में विलय कर दिया गया। इलाहाबाद बैंक भारत का पहला निजी बैंक था। भारत में ‘बैंकों का बैंक’ भारतीय रिजर्व बैंक 1935 में अस्तित्व में आया। एक दौर वो था जब बैंकों का कारोबार केवल वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों तक सीमित था और आज हर खास और आम की हर गतिविधि ही बैंकों से संचालित होने लग गई है।
एटीएम की सुविधा बैंकिंग की दुनिया में किसी क्रांति से कम नहीं थी। लेकिन बात इसी क्रांति पर नहीं रुकी। जल्द ही बैंक ने हमारे मोबाइल में जगह बना ली और अब हमारे सामने आ रहे हैं पेमेंट बैंक। इसे कहते हैं समय की करवट। बैंकों की दुनिया बदल रही है और बदल रही उसके साथ हमारी दुनिया भी।
मधेपुरा अबतक के लिए डॉ. ए. दीप