कोरोना संकट के बीच आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के लिए सुकून देने वाली खबर। ये खबर आ रही है कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे की आहट सुन रहे झारखंड से। इस वैश्विक महामारी के बाद बदली परिस्थितियों में लालू प्रसाद यादव को राहत मिलनी तय हो गई है। चारा घोटाला मामले में सजा भुगत रहे आरजेडी सुप्रीमो पैरोल की सारी शर्तों को पूरा कर रहे हैं। ऐसे में उम्मीद है कि एक-दो दिन में उन्हें पैरोल पर रिहा कर दिया जाएगा। हेमंत सरकार ने भी इस ओर कदम बढ़ा दिए हैं। सरकार ने इस मामले पर विधि विभाग से मंतव्य मांगा था। विधि विभाग ने अपना मंतव्य राज्य सरकार को भेज दिया है।
गौरतलब है कि किसी भी सजायाफ्ता को कुछ शर्तों के साथ पैरोल की सुविधा मिलती है। पैरोल एक्ट के अनुसार सजायाफ्ता व्यक्ति तभी जेल से बाहर निकल सकता है, जब उसने अपनी सजा का एक तिहाई समय जेल में बिताया हो या फिर वह एक साल से जेल में बंद हो। एक्ट के अनुसार सिर्फ उन्हीं व्यक्तियों को पैरोल मिलता है, जिनके घर में शादी हो या किसी का निधन हुआ हो। स्वास्थ्य की स्थिति ठीक नहीं रहने पर भी पैरोल मिलता है। इसके लिए राज्य सरकार एक बोर्ड का गठन करती है, जिसमें संबंधित व्यक्ति का आवेदन भेजा जाता है। उसके बाद कमेटी जेल में उसके व्यवहार, स्वास्थ्य की स्थिति और स्पष्ट कारण को देखते हुए ही पैरोल देने पर सहमति जताती है।
बता दें कि लालू प्रसाद यादव इन दिनों चारा घोटाले के दुमका और चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी के मामले में सजायाफ्ता हैं। वे 23 दिसंबर 2017 से जेल में बंद हैं। जेल में उनके रहने की अवधि करीब 28 माह हो चुकी है, जो पैरोल की शर्तों को पूरा करता है। इसके अलावा उन्हें 15 से अधिक बीमारियां हैं, जिनका इलाज रांची स्थित राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) में चल रहा है। साथ ही, लालू उसी भवन में भर्ती हैं, जहां पर रिम्स प्रशासन ने कोरोना के संदिग्ध मरीजों के लिए आइशोलेशन वार्ड बनाया है। बहरहाल, यह भी देखना होगा कि पैरोल के बाद उन्हें लॉकडाउन में पटना भेजने की क्या व्यवस्था की जाती है।