प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय संचालिका रह चुकी 104 वर्षीय राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी दादी डॉ.जानकी का जन्म अविभाज्य भारत के सिंध प्रांत में 1 जनवरी 1916 को हुआ था। उन्हें बचपन में ही अपने माता-पिता से आध्यात्मिक संस्कार विरासत के रूप में मिला था।
बता दें कि ब्रम्हाकुमारी विश्वविद्यालय की संचालिका दादी जानकी ने 140 देशों में ब्रम्हाकुमारी की स्थापना पर विश्व की लगभग 20 लाख नर-नारियों को अपने संस्थानों से जोड़कर… सुगंधयुक्त प्रेम लुटाते हुए दिनांक 27 मार्च 2020 को माउंट आबू की एक निजी चिकित्सालय (ग्लोबल हॉस्पिटल) में अंतिम सांस ली।
जानिए कि मात्र चार क्लास तक पढ़ी एवं 14 साल की गुप्त तपस्या करने वाली दादी जानकी निरंतर आध्यात्मिक प्रेम प्रवाहित करती हुई आज अपनी दैहिक लीला समाप्त कर ली। वह हमें छोड़कर दूर भले हो गई लेकिन योग शक्ति की अद्भुत मिसाल बनकर दादी जानकी लाखों नर-नारियों के जीवन में उजाला भरकर आसमान का सर्वाधिक चमकता सितारा बन गई। तभी तो एक विश्वव्यापी संस्थान ने उनके नाम की है- “दुनिया की सबसे स्थिर मन की महिला” का विश्व कीर्तिमान।
यह भी बता दें कि दादी जानकी के निधन की खबर ने कोरोना लाॅकडाउन के बावजूद देश और दुनिया में शोक की लहर पैदा कर दी। ध्यातव्य है कि दादी जानकी ने 91 वर्ष की उम्र में ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के मुखिया का पदभार संभाली और पूरी दुनिया को प्रेम, योग एवं ध्यान का संदेश दिया। वह 46 हजार ब्रम्हाकुमारियों की अलौकिक माँ होने के साथ-साथ 12 लाख साधकों की प्रेरणापुंज भी बनी रही… भला क्यों नहीं, उम्र के इस पड़ाव पर भी दादी माँ 12 घंटे जन की सेवा में सक्रिय रहती थी। 60 वर्ष की उम्र में वह लंदन गई और 37 वर्षों तक विदेशी जमीन पर आध्यात्मिकता के बीज बोती रही….. 140 देशों के लोग को मेडिटेशन सिखाती रही। प्रधानमंत्री ने उन्हें भारत स्वच्छता मिशन का ब्रांड एंबेसडर भी बनाया था। आज उनके नहीं रहने पर देश-विदेश के सारे ब्रम्हाकुमारियों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है। दादी जानकी के निधन पर भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष सहित सारे उच्चाधिकारियों व श्रद्धालुओं ने ट्वीट के माध्यम से श्रद्धांजलि अर्पित की।
चलते-चलते यह भी कि ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के मधेपुरा शाखा की संचालिका राजयोगिनी रंजू दीदी बराबर दादी जानकी के शताब्दी जन्मोत्सव पर शिक्षाविद् व मधेपुरा के सुप्रसिद्ध समाजसेवी प्रो.(डॉ.)भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित करती रही और डॉ.मधेपुरी ने विस्तार से दादी जानकी द्वारा किए गए जन की सेवा की विस्तृत व्याख्यान से श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध करते रहे। कोरोना के कारण दादी जानकी की पुण्यतिथि पर विश्व के सभी श्रद्धालुओं ने उन्हें सादगी के साथ अपने-अपने घरों में श्रद्धांजलि दी।