सुपौल जिले के 61 वर्षीय केदार कानन को 2020 के साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। कोसी की साहित्यिक एवं सांस्कृतिक चेतना के स्तंभ माने जाने वाले केदार कानन को साहित्य अकादमी पुरस्कार मिलने की घोषणा सुनते ही कोसी सहित समस्त मिथिलांचल के साहित्यकार गौरवान्वित महसूसने लगे हैं। उन्हें यह सम्मान हिन्दी के कवि केदारनाथ सिंह के काव्य संग्रह “अकाल में सारस” के मैथिली अनुवाद के लिए दिया जाएगा।
इस आशय की जानकारी मिलते ही जहां कौशिकी क्षेत्र हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष सह कवि व दर्जनों पुस्तक के लेखक हरिशंकर श्रीवास्तव शलभ ने बधाई देते हुए कहा कि केदार कानन के पिता रामकृष्ण झा किसुन साहित्यिक चेतना के अग्रदूत तो थे ही, साथ-साथ मैथिली नई कविता के जनक भी माने जाते रहे… कानन को अपने पिता से साहित्यिक चेतना विरासत में मिली है, वहीं सम्मेलन के सचिव प्रखर समाजसेवी-साहित्यकार प्रो.(डॉ.)भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने हार्दिक बधाई प्रेषित करते हुए कहा कि कानन के काव्य संग्रह “आकार लैत शब्द” और “व्योम में शब्द” के अतिरिक्त अनुवाद की 10 किताबें प्रकाशित हैं। डॉ.मधेपुरी ने मैथिली में लिखी गई कई महत्वपूर्ण संस्मरण के लिए भी कानन को बधाई दी तथा यह भी कि कई पत्रिकाओं के संपादन के लिए भी उन्हें भरपूर सराहना मिली है। इसके अतिरिक्त हिन्दी, मैथिली के कवि, लेखक व इतिहासकारों ने भी उन्हें बधाई दी है जिनमें प्रमुख हैं- डॉ.शांति यादव, प्रो.मणि भूषण वर्मा, उल्लास मुखर्जी, कवि मुख्तार आलम,डॉ.अरविन्द श्रीवास्तव आदि।