Supreme court of India.

सुप्रीम कोर्ट कानून बनाकर रोक सकता है… राजनीति का अपराधीकरण

आजादी के 70 वर्ष बाद चुनावी राजनीति में बेशुमार धन-बल का इस्तेमाल एवं दागी जनप्रतिनिधियों की बढ़ती दखल… अब सर्वोच्च न्यायालय को भी चिंतन करने के लिए मजबूर कर रहा है। ऐसा लगता है कि इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने सख़्त रुख अख्तियार करने का निश्चय भी कर लिया है।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने राजनीति को स्वच्छता प्रदान करने के लिए भारत के सभी राजनीतिक दलों सहित चुनाव आयोग को भी कई दिशा निर्देश दिए हैं। समाज शास्त्रियों एवं शिक्षाविदों का कहना है कि नए नियमों से राजनीति का अपराधीकरण कितना रुकेगा, यह तो राजनीतिक दलों की वैचारिक सुचिता पर निर्भर करेगा… तथा चुनाव आयोग की प्रभावी भूमिका से भी तय होगा।

जानिए कि 17वीं लोकसभा चुनाव- 2019 में खड़े 8049 उम्मीदवारों में से 7228 के शपथ-पत्र का विश्लेषण किए जाने के क्रम में पाया गया कि जहाँ 1500 उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामलों की स्वयं घोषणा की थी वहीं 1070 ने अपने खिलाफ गंभीर आपराधिक मामलों यथा हत्या, बलात्कार, अपहरण… आदि की बात स्वीकार की थी। तुर्रा तो यह है कि 50 से अधिक ने जहाँ 302 के तहत अपने खिलाफ हत्या का आरोप स्वीकारा, वहीं दर्जनों ने अपने खिलाफ दोष सिद्धि की बात भी स्वीकार की थी।

चलते-चलते बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के पास यह विशेष अधिकार है कि अगर किसी कानून में कोई कमी है या किसी बात पर कानून नहीं है या संसद उस तरफ ध्यान नहीं दे रही है और उससे जनहित को नुकसान हो रहा है, तो इन तीनों ही परिस्थितियों में वह नया कानून बना सकता है या मौजूदा कानून में कमियों को दूर कर सकता है।

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