पुलवामा के सीआरपीएफ कैंप में शहीदों के आंगन की मिट्टी सदा महका करेगी

बेंगलुरु का एक शख्स है उमेश गोपीनाथ जाधव। उमेश जाधव एक संगीत शिक्षक है। बच्चों को संगीत सिखाने वाले गोपीनाथ जाधव अब पुलवामा के सीआरपीएफ कैंप में शहीदों के आंगन से मिट्टी ला-लाकर भारत का मानचित्र बनाएंगे। सभी शहीदों के परिवार वालों से मिलेंगे भी।

बता दें कि पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए सभी जवानों के घर-आंगन की मिट्टी वहीं अपनी खुशबू बिखेरेगी जहां विगत 14 फरवरी 2019 को उनकी शहादत हुई थी। शहीदों के आंगन की मिट्टी इकट्ठा करने में लगे गोपीनाथ जाधव का 9 अप्रैल 2019 से ही सफर शुरू हो चुका है। वे 29 राज्यों सहित सात केंद्र शासित प्रदेशों में भी जाएंगे और देश की मिट्टी की अहमियत दुनिया के लोगों तक पहुंचाएंगे।

यह भी बता दें कि गोपीनाथ जाधव बेंगलुरु से केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गोवा, महाराष्ट्र होते हुए भोपाल से आगे निकलते रहे और चंद रोज कबल गोपीनाथ ने उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिले के गाँव हरपुर, टोला- बेलडीहा शहीद लाल पंकज त्रिपाठी के आंगन की मिट्टी एकत्र की। अब तक 23 राज्यों की 27 शहीदों के आंगन की मिट्टी एकत्र कर चुके हैं गोपीनाथ। शेष 13 शहीदों के आंगन की मिट्टी लाकर वह संगीत शिक्षक उमेश गोपीनाथ जाधव भारत की एकता और अखंडता का प्रतीक “मानचित्र” बनाकर पुलवामा के सीआरपीएफ कैंप को शहीदों की शहादत भरे सुगंध से भर देगा।

Pulwama Martyrs.
Pulwama Martyrs.

चलते-चलते बता दें कि पुलवामा हमले के बाद वहां सीआरपीएफ कैंप में जाकर उमेश ने कसम खाई थी कि इन चालीसो शहीदों के आंगन की मिट्टी लाने और उनके परिजनों से मिलने उनके घर पर जाएंगे….. पुलवामा में उनकी याद में स्मारक बनाएंगे। यह भी कि लगभग 50 हजार  किलोमीटर की यात्रा पूरी करने हेतु गोपीनाथ जाधव ने अलग-अलग गाड़ियों के पुर्जों को मिलाकर अपनी एक गाड़ी तैयार की और उस गाड़ी पर तिरंगा, सेना की वर्दी तथा देशभक्ति के मैसेज अंकित कराए।

पुनश्च उन्हीं दिनों अति संवेदनशील समाजसेवी- साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने तत्कालीन गृह मंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखकर यह निवेदन किया था कि उन चालीसों पुलवामा शहीदों के परिजनों के बैंक अकाउंट को पब्लिक किया जाए ताकि देश के संवेदनशील करोड़ों लोग एक-एक रुपए देंगे तो उन्हें बच्चों की पढ़ाई आदि के लिए हाथ नहीं फैलाना पड़े- के जवाब में गृह मंत्री ने यही लिखा- “आपकी भावना का कद्र करते हुए बैठक में इस पर गहन चिंतन-मंथन किया गया। बैंक अकाउंट को पब्लिक करने के खतरे को ध्यान में रखते हुए समिति आपको आश्वस्त करती है कि शहीदों के परिजनों को सरकार इतनी राशि दी है कि उन्हें अब हाथ फैलाने की नौबत नहीं आएगी।”

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