जहाँ चाह…. वहाँ राह को साबित कर दिखाया भारतीय मूल की ब्रिटिश डॉक्टर भाषा मुखर्जी

कोलकाता में पिता दुर्गादास मुखर्जी एवं माता मधुमिता मुखर्जी के घर 1996 ई. में एक बच्ची ने जन्म ग्रहण किया जिसका नाम माता-पिता ने रखा भाषा मुखर्जी। यह मुखर्जी परिवार बेटी भाषा मुखर्जी और बेटा आर्य मुखर्जी के साथ 2004 में कोलकाता से इंग्लैंड के स्विंडन चले गए। वहां जाकर भारतीय मूल की भाषा मुखर्जी पेशे से डॉक्टर बन गई और बन गई पांच भाषाओं की ज्ञाता भी।

बता दें कि फिलहाल लंदन के डरबी में रह रही 23 वर्षीय डॉ.भाषा मुखर्जी 2019 में मिस इंग्लैंड प्रतियोगिता जीतकर मिस वर्ल्ड 2019 में ही टॉप 40 में स्थान बना डाली। कई प्रकार की चिकित्सीय डिग्री प्राप्त डॉ.भाषा मुखर्जी का IQ लेवल 146 है।

लगभग 8 वर्षीय भाषा जब कोलकाता की स्कूल में पढ़ती थी तो कुछ बच्चे उन्हें ‘अगली बेबी’ यानी बदसूरत बच्ची कह कर पुकारा करते, तब भाषा अपनी ग्रूमिंग, मेकअप और डाइट पर कुछ ज्यादा ही ध्यान देने लगी थी।

मिस इंग्लैंड प्रतियोगिता जीतने के बाद डॉ.भाषा मुखर्जी लड़कियों को खासकर यह संदेश देती है-

प्रायः लोग यह सोचते हैं कि सौंदर्य प्रतियोगिताएं जीतने वाली लड़कियाँ बुद्धू होती हैं लेकिन हम सबको ईश्वर ने किसी-ना-किसी अच्छे मकसद से यहाँ भेजा है।

चलते-चलते यह भी बता दें कि खुद को फिल्मी कीड़ा मानने वाली तथा अपनी पढ़ाई व ब्यूटी कॉन्टेस्ट के बीच संतुलन बनाकर रखने वाली भाषा मुखर्जी ने मिस वर्ल्ड के किताब में स्थान पाने के बाद ही लिंकनशायर, बोस्टन के पिलग्रिम हॉस्पिटल में जूनियर डॉक्टर के रूप में ज्वाइन कर लिया। भाषा ने युवाओं को बुजुर्गों की सेवा में कुछ समय देने के निमित्त “जेनरेशन ब्रिज प्रोजेक्ट 2017” का श्रीगणेश भी किया है। भाषा ने जहाँ चाह-वहाँ राह को साबित कर दिखाया है।

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