आठ वर्षीय भारत की बेटी लिसिप्रिया ने जलवायु शिखर सम्मेलन में की धरती को बचाने की अपील

भारतीय स्टेट मणिपुर की 8 वर्षीय पर्यावरण कार्यकर्ता लिसिप्रिया कंगुजम ने स्पेन की राजधानी मैड्रिड में सीओपी 25 जलवायु शिखर सम्मेलन में पधारे वैश्विक नेताओं से अपनी धरती तथा उन जैसे मासूमों के भविष्य को बचाने हेतु तुरंत कदम उठाने की गुहार लगाई। महज 8 वर्ष की उम्र में भारत की इस बेटी ने अपनी चिंताओं से दुनिया को झकझोर दिया।

बता दें कि नन्ही पर्यावरण कार्यकर्ता लिसिप्रिया ने जलवायु शिखर सम्मेलन में आए पर्यावरणविदों से यही कहा- “मैं (लिसिप्रिया कंगुजम) यहाँ उपस्थित वैश्विक नेताओं से यही कहने आई हूँ कि यह एक संकल्पी कदम उठाने का वक्त है क्योंकि यह वास्तविक क्लाइमेट इमरजेंसी है।”

इतनी छोटी उम्र में इतने अहम मसले पर बात रखने के कारण लिसिप्रिया स्पेन के सारे अखबारों की सुर्खियों में बनी रहीं। लिसिप्रिया के पिताश्री के.के.सिंह ने कहा कि मेरी बेटी की बातों को सुनकर कोई यह अनुमान नहीं लगा पाया कि वह महज 8 साल की है। आगे उन्होंने कहा कि महज 6 साल की उम्र में मेरी बेटी को मंगोलिया में आयोजित 2018 की आपदा मसले पर हुए मंत्री स्तरीय शिखर सम्मेलन में बोलने का अवसर मिला तो लिसिप्रिया ने अंत में यही कहा कि जब बच्चों को अपने माता-पिता से बिछुड़ते देखती हूँ तो मैं रो पड़ती हूँ।

चलते-चलते यह भी बता दें कि मंगोलिया से लौटने के बाद लिसिप्रिया ने अपने पिता के सहयोग से “The Child Movement” नामक संगठन कायम किया तथा जलवायु परिवर्तन मसले पर अपने जुनून के चलते उसने गत फरवरी महीने से स्कूल जाना भी छोड़ दी। लिसिप्रिया अभी तक जलवायु परिवर्तन मसले को लेकर 21 देशों का दौरा कर चुकी है। दुनिया की सबसे कम उम्र वाली भारतीय पर्यावरण कार्यकर्ता लिसिप्रिया कंगुजम को भिन्न-भिन्न देशों के सम्मेलन में भाग लेने हेतु वहाँ की सरकार द्वारा यात्रा का खर्च वहन किया जाता है।

यह भी कि वर्ल्ड चिल्ड्रन पीस प्राइज एवं डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम चिल्ड्रन अवार्ड प्राप्त लिसिप्रिया कंगुजम जैसी नन्हीं बेटी को भारत का नाम रोशन करते रहने के लिए डॉ.कलाम के करीबी समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण मधेपुरी ने कोटि-कोटि शुभकामनाएं व्यक्त की है।

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