सूफी संत ‘दौरम’ का नाम जोड़ने के बाद स्टेशन का नाम पड़ा ‘दौरम मधेपुरा’- डॉ۔मधेपुरी

पीएम नरेंद्र मोदी ने किया 16 करोड़ की लागत से दौरम मधेपुरा स्टेशन के पुनर्विकास कार्य का वर्चुअल शिलान्यास। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में स्थानीय सांसद दिनेश चंद्र यादव ने अपने संबोधन में कहा कि अब सुंदर व आकर्षक बनेगा मधेपुरा का दौरम मधेपुरा रेलवे स्टेशन। उन्होंने यह भी कहा कि पीएम ने फाटक संख्या 90 पर बनने वाले ओवर ब्रिज के लिए 80 करोड रुपए की राशि दी है। करोड़ों की योजना से दौरम मधेपुरा स्टेशन की तस्वीर बदलने की उम्मीद बढ़ गई है। सांसद ने पीएम के प्रति आभार जताते हुए कहा कि बनेगा दो मंजिला भवन। अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस होगा स्टेशन। जगह-जगह दौरम मधेपुरा लिखा ‘ग्लो साइन बोर्ड’ लगाया जाएगा। इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम से दी जाएगी ट्रेनों की जानकारी। लिफ्ट और एस्केलेटर की भी सुविधाऐं होगीं। सारे कार्य निर्धारित अवधि में पूरे कर लिए जाएंगे। समारोह को रेलवे नोडल पदाधिकारी किशोर कुमार भारती, पूर्व विधायक अरुण कुमार, उपमुख्य पार्षद पुष्प लता कुमारी, भाजपा जिला अध्यक्ष दीपक कुमार, भाजपा प्रदेश मंत्री स्वदेश कुमार, जदयू के प्रदेश महासचिव प्रोफेसर विजेंद्र नारायण यादव आदि ने भी संबोधित किया।

MP Dinesh Chandra Yadav and others at PM Narendra Modi's virtual meeting at Dauram Madhepura Station Campus.
MP Dinesh Chandra Yadav and others at PM Narendra Modi’s virtual meeting at Dauram Madhepura Station Campus.

दौरम मधेपुरा स्टेशन के पुनर्निर्माण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने कहा कि बात 1353 ई. की है, जब दिल्ली के शासक हुआ करते थे फिरोजशाह तुगलक। ओयनवार शासक को इस क्षेत्र की देखभाल का जिम्मा फिरोज शाह ने दे रखा था। आजू-बाजू के सेन शासक और कर्नाट शासक द्वारा पैदा की गई परेशानियों से निपटने हेतु फिरोज शाह तुगलक ने सेना की एक टुकड़ी के साथ एक सूफी संत ‘दौरामशाह मुस्तकीम’ को भी भेजा था। सब कुछ ठीक करने के बाद सेना जब लौटने लगी तो सूफी संत दौरम ने सेनापति से कहा कि यहां की हरियाली उन्हें बहुत अच्छी लगती है। आप सहमति दें तो यहीं कुटिया बनाकर रह जाऊं। वे यहीं गौशाला के उत्तर संत अवध बिहारी कॉलेज के पास रहने लगे और अपने व्यवहार कुशलता के कारण खूब प्रसिद्धि प्राप्त की। हिंदू-मुस्लिम सबके प्रिय बन गए। उनकी कुटिया सदियों तक ‘दौरम डीह’ के नाम से जानी जाती रही।

कालांतर में 1910 ई. में जब मधेपुरा में सर्वप्रथम रेल आई तो स्टेशन का नाम मधेपुरा रखा गया। परंतु, मधेपुरा के नाम प्रेषित माल डिब्बा कभी ‘मधुपुर’ तो कभी ‘मधेपुर’ चले जाने के कारण रेलवे द्वारा भेजी गई टीम ने इलाके की जनता की सर्वसम्मत राय से उसी सूफी संत दौरम के नाम को जोड़ने की अनुशंसा की और तभी से स्टेशन का नाम “दौरम मधेपुरा” कहा जाने लगा।

बीच-बीच में सृजन दर्पण के रंगकर्मी विकास कुमार के कलाकारों सहित होली क्रॉस, माया विद्या निकेतन, तुलसी पब्लिक स्कूल, किरण पब्लिक एवं ब्राइट एंजेल्स के बच्चे-बच्चियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों से समां बांध दिया और खूब तालियां बटोरी। बच्चे-बच्चियों को सांसद महोदय व अतिथियों के हाथों पुरस्कृत भी किया गया। समारोह में नप के पूर्व उपाध्यक्ष व राजद नेता रामकृष्ण यादव, दलित नेता नरेश पासवान, जदयू नेता सत्यजीत यादव, सीनेट सदस्य रंजन यादव, भाजपा नेता अरविंद अकेला, माया के अध्यक्ष राहुल यादव, भाजपा नेता विजय कुमार विमल, डॉ۔नीला कांत, प्रोफेसर सुजीत मेहता, डॉ۔ललन अद्री, पूर्व पार्षद रविंद्र कुमार यादव, नेता क्रांति यादव, बीबी प्रभाकर, योगेंद्र महतो सहित रेलवे अधिकारी आदि व गणमान्यों की गरिमयी उपस्थिति बनी रही।

सम्बंधित खबरें