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90 वर्षीय मशहूर शास्त्रीय गायक पंडित जसराज ने अमेरिका में ली अंतिम साँस

भारतीय शास्त्रीय संगीत के सुप्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पद्म विभूषण पंडित जसराज का अमेरिका के न्यू जर्सी वाले निजी आवास पर सोमवार (17 अगस्त) को प्रातः 5:15 पर दिल का दौरा पड़ने के कारण निधन हो गया। यह जानकारी उनकी सुपुत्री दुर्गा जसराज ने सर्वप्रथम दुनिया को यही कहते हुए दी-

हम सपरिवार प्रार्थना करते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण स्वर्ग के द्वार पर पिताश्री का स्वागत करें जहां वे अपना पसंदीदा भजन ‘ओम नमो भगवते वासुदेवाय’ उन्हें समर्पित करें।

बता दें कि 28 जनवरी 1930 को हरियाणा (हिसार) में जन्मे तथा 2020 के 28 जनवरी को अपना 90वां जन्मदिन मनाने वाले पंडित जसराज ने अपनी आखिरी प्रस्तुति 9 अप्रैल को हनुमान जयंती के अवसर पर फेसबुक लाइव के जरिए वाराणसी के संकट मोचन हनुमान मंदिर के लिए दी थी। उन्होंने न केवल भारत में बल्कि कनाडा और अमेरिका में भी शास्त्रीय संगीत के साथ-साथ अर्ध-शास्त्रीय स्वरों के माध्यम से कुछ नामी शिष्यों को भी तैयार किया। कोरोना लॉकडाउन के चलते वे फिलहाल अमेरिका में ही अपनी पुत्री दुर्गा जसराज के पास रह रहे थे।

यह भी जानिए कि उनके समस्त प्रदर्शनों को एल्बम और फिल्म साउंडट्रैक के रूप में उनके शिष्यों ने तैयार किया है, साथ ही अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ ने तो विश्व प्रसिद्ध शास्त्रीय संगीतकार पंडित जसराज के सम्मान में खोजे गए एक नए ग्रह का नाम ही “पंडित जसराज” नाम दे डाला है।

ऐसे विश्व विख्यात भारतीय संगीतकार के निधन का समाचार सुनते ही मधेपुरा जिले के संगीत गुरुओं एवं उनके शिष्यों के बीच शोक की लहर दौड़ गई। जिले के संगीत व कला प्रेमियों के लिए विभिन्न राजकीय आयोजनों को सफलतापूर्वक संपन्न कराने हेतु जिला प्रशासन द्वारा लगातार संयोजक/अध्यक्ष चयनित किए जाने वाले समाजसेवी-साहित्यकार व संगीत्यानुरागी डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी  द्वारा इस कोरोना काल में वैसे विश्वविख्यात पंडित जसराज को श्रद्धांजलि देने हेतु शोक सभा आयोजित करने के एवज में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत तबला वादक प्रो.योगेंद्र नारायण यादव, प्रो.रीता कुमारी, प्रो.अरुण कुमार बच्चन, प्रो.संजय परमार, शशि प्रभा, रेखा यादव, पुष्पलता, सुनीत साना, चिरामणी यादव, लाला भूपेन्द्र, डॉ.रवि रंजन सहित शिवाली सरीखे नन्हे-मुन्ने कलाकारों को भी शोकोदगार व्यक्त करने का अवसर प्रदान किया गया।

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बाल्य काल से ही कवींद्र रवींद्र को प्रकृति से अगाध प्रेम था- डॉ.मधेपुरी

कौशिकी क्षेत्र हिन्दी साहित्य सम्मेलन के तत्वावधान में वीडियो कांफ्रेंसिंग द्वारा महाकवि रवींद्रनाथ टैगोर की 81वीं पुण्यतिथि मनाई गई। समारोह की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार हरिशंकर श्रीवास्तव शलभ ने की और संचालन सम्मेलन के सचिव डॉ.भूपेंद्र नारायण यादव मधेपुरी ने किया।

विषय प्रवेश करते हुए अध्यक्ष श्री शलभ ने कहा कि कवींद्र रवींद्र बांग्ला साहित्य के माध्यम से भारतीय सांस्कृतिक चेतना में नई जान फूंकने वाले युगदृष्टा थे। वे एकमात्र कवि थे जिनकी दो रचनाएं दो देशों भारत के लिए “जन गण मन….” और बांग्लादेश के लिए “आमार सोनार बांग्ला….” प्रसिद्धि प्राप्त कर चुकी है। साहित्य की सभी विधाओं में उन्होंने रचना की।

अपने लाइव प्रसारण में बोलते हुए सम्मेलन के संरक्षक, मंडल विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति व पूर्व सांसद डॉ.आरके यादव रवि ने कहा कि टैगोर और गांधी के बीच राष्ट्रीयता और मानवता को लेकर हमेशा वैचारिक मतभेद रहा। जहां महात्मा गांधी पहले पायदान पर राष्ट्रवाद को रखते थे वहीं टैगोर मानवता को राष्ट्रवाद से अधिक महत्व देते थे। डॉ.रवि ने यह भी कहा कि कवींद्र रवींद्र मानवीय चेतना के सशक्त स्वर थे, हैं और रहेंगे भी।

Samajsevi Dr.Bhupendra Madhepuri paying homage to Ravindra Nath Tagor on 81st punyatithi at Vrindavan Madhepura.
Samajsevi Dr.Bhupendra Madhepuri paying homage to Ravindra Nath Tagore on 81st Punyatithi at Vrindavan Madhepura.

संस्था के सचिव व समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी ने कहा कि टैगोर कवि, कहानीकार, गीतकार, संगीतकार ही नहीं बल्कि उच्च कोटि के नाटककार, निबंधकार और चित्रकार भी थे। उन्हें बाल्यकाल से ही प्रकृति से अगाध प्रेम था। असाधारण सृजनशील रवींद्र नाथ को गीतांजलि के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। डॉ.मधेपुरी ने बच्चों के साथ अपने निवास (वृंदावन) पर टैगोर के तैल चित्र पर श्रद्धा पूर्वक पुष्पांजलि करते हुए यही कहा कि रवींद्र संगीत युग-युग तक बांग्ला साहित्य में सदैव ऊर्जा का संचार करता रहेगा।

प्रो.मणि भूषण वर्मा ने कहा कि उनके गीतों में आध्यात्मवाद के विभिन्न रूपों को बखूबी उकेरा गया है जिसे पढ़ने से उपनिषद की भावनाएं  परिलक्षित होती है। इस लाइव प्रसारण में डॉ.अरविंद श्रीवास्तव ने सम्मिलित हुए सभी साहित्यकारों को धन्यवाद ज्ञापित किया।

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कोविड-19 से 7 लाख से अधिक लोगों की मौत अब तक हो चुकी है

विश्व स्तर पर कोविड-19 से अब तक 1 करोड़ 80 लाख लोग कोरोना संक्रमित हुए हैं और 7 लाख से अधिक लोगों ने मौत को गले लगाया है।

भारत में प्रतिदिन कोरोना संक्रमण के 50 हजार से ज्यादे मामले आ रहे हैं। देश में अब तक लगभग 13 लाख  लोग कोरोना संक्रमण से ठीक हो चुके हैं। कल तक कोरोना वायरस के कुल पुस्ट मामले 19 लाख के आंकड़े पार कर चुके हैं तथा 40 हजार से अधिक लोग मौत के आगोश में सदा के लिए सो चुके हैं। गत 30 जुलाई से यह लगातार सातवां दिन है जब कोरोना संक्रमण के मामले प्रतिदिन 50,000 से ज्यादे आ रहे हैं।

बता दें कि बिहार में कोरोना मरीजों की कुल संख्या 68 हजार पार कर गई है। बिहार में गत 24 घंटों में कोरोना के कुल 3416 नए मरीज मिले हैं। कोरोना पॉजिटिव की सर्वाधिक संख्या जहां पटना में 603 है वहीं कटिहार में 234, पूर्वी चंपारण में 190, वैशाली में 163, समस्तीपुर में 139, मुजफ्फरपुर में 118, रोहतास में 106, नालंदा में 102, सहरसा में 101 और मधेपुरा में मात्र 44 मिले हैं। चारो और दहशत का माहौल है।

चलते-चलते यह भी बता दें कि कोरोना संक्रमण ने देश की अर्थव्यवस्था को तो चौपट कर ही दिया है, ऊपर से पाकिस्तानी टीडी दल फसल को बर्बाद करके किसानों को भी बेदम कर दिया और बचा-खुचा जो था उसे आधे से अधिक भारत में बाढ़ आ कर बहा ले गई। संकट की ऐसी घड़ी में श्री राम भी अपने लिए घर नहीं बनाते, बल्कि अपनी सुविधाओं में कटौती कर प्रजा के हितार्थ अस्पताल, बांध, बैरेज आदि बनाने में लग जाते।

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अयोध्या में राम मंदिर निर्माण हेतु प्रधानमंत्री द्वारा भूमि पूजन

अयोध्या के राम मंदिर-बाबरी मस्जिद के बंद ताले को देश के युवा प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने ही सर्वप्रथम खोला था। नरेंद्र मोदी तो नौवाँ प्रधानमंत्री हुए जिन्होंने कानून के जरिए शांतिपूर्ण तरीके से श्री राम मंदिर निर्माण हेतु आज 5 अगस्त को अयोध्या में भूमि पूजन कर क्रांतिकारी इतिहास रच दिया है। इस बीच में अटल बिहारी बाजपेयी जैसे सर्वमान्य, जनप्रिय व संकल्प के धनी प्रधानमंत्री के कार्यकाल में उप-प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी के सोमनाथ से अयोध्या तक की राम-रथ-यात्रा संपूर्ण भारत को किस कदर आंदोलित किया था उसे बच्चा-बच्चा जानता है।

कोरोना के कहर से आज संपूर्ण संसार में कोहराम मचा हुआ है और अयोध्या में राम मंदिर निर्माण हेतु भूमि पूजन को प्रधानमंत्री मोदी ने अपने लिए सौभाग्य की बात कहते हुए यही कहा- “सदियों का इंतजार खत्म हुआ। पूरा देश रोमांचित है। आज पूरा भारत भावुक है। आज सियाराम की गूंज पूरेे विश्व में है। टेन्ट के नीचे रहे  सियाराम अब भव्य मंदिर में रहेंगे। राम भारत की मर्यादा है। राम सबके हैं, राम सब में है। यह मंदिर राष्ट्रीय भावना का प्रतीक बनेगा। राम का काम करने पर चैन मिलता है।”

जहां राहुल गांधी ने ट्वीट में लिखा है- मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम सर्वोत्तम मानवीय गुणों का स्वरुप है। राम प्रेम है, वे कभी घृणा में प्रकट नहीं हो सकते। राम करूणा है, वे कभी क्रूरता में प्रकट नहीं हो सकते और राम न्याय है, वे कभी अन्याय में प्रकट नहीं हो सकते- वहीं प्रियंका गांधी ने कहा कि ये भूमि पूजन व राम मंदिर निर्माण आदि सांस्कृतिक समागम, राष्ट्रीय एकता एवं विश्व बंधुत्व का कार्यक्रम बनना चाहिए।

भाकपा माले ने आज के दिन को काला दिवस करार दिया परंतु देश के लोग जो अयोध्या नहीं पहुंचे वे क्या कहते हैं ?

उनका कहना है कि जिन भाजपा वालों ने पुरुषोत्तम भगवान राम को टेंट से भव्य मंदिर में लाने की बात कही, आजादी के संघर्ष से इसकी तुलना की और यह भी कि राम का काम करने पर ही चैन मिलता है। जिन कांग्रेसियों ने भगवान राम के प्रेम, करुणा और न्याय की बात की और जिन कम्युनिस्टों ने आज के दिन को काला दिवस कहा-  क्या वे यही न्याय करते रहेंगे कि 35 वर्षों तक सर्विस करने वालों को पेंशन नहीं और दो दिन भी सेवक या प्रधान सेवक  के रूप में विधायक-सांसद रहने पर उनके परिजन सदा पेंशन के हकदार बने रहेंगे। वे अपने से अपना वेतन (चाहे कम्युनिस्ट ही क्यों ना हो) जब चाहें जितना चाहें बढ़ाते रहेंगे और सर्विस करने वाले राष्ट्र निर्माता नियमित या नियोजित शिक्षकों को समान काम के लिए समान वेतन और समान सुविधाओं से वंचित रखेंगे। राजा राम की तरह खुद के लिए शासक कुछ ना सोचें जो कुछ करें वह देश की जनता के लिए  न्यायपूर्वक  करें।

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बढ़ते अनलॉक के साथ कोरोना ने भारत की टेंशन बढ़ा दी

जानलेवा कोरोना वायरस के चलते भारत में पिछले 24 घंटे में 19 हजार 1 सौ 48 संक्रमित नए केस मिले जबकि 435 लोगों की मौत हो गई। सरकारी आंकड़े के अनुसार देश में अब तक कोरोना मरीजों की कुल संख्या 5 लाख 66 हजार 840 पार करने वाली है तथा अब तक इस कोरोना वायरस ने कुल 17 हजार से ज्यादा लोगों की जान ले ली है।

यह भी बता दें कि देश में जहां 2 लाख 26 हजार 947 केस एक्टिव है वहीं ठीक होने वाले मरीजों की कुल संख्या 3.5लाख है। आगे 1 जुलाई से शुरू होने वाले अनलॉक-2 के बाद कोरोना विशेषज्ञों की मानें तो कोविड-19 के मामले बढ़ने की आशंका है।

जानिए कि चीन के वुहान शहर से 6  महीना पहले निकलकर सारी दुनिया में आतंक मचा दिया है और दुनिया के लगभग सभी देशों की एक करोड़ से ज्यादा लोगों को अपनी चपेट में ले लिया है। अब तो सावधानियों को नकारने के चलते प्रतिदिन लगभग एक लाख 150,000 यानि डेढ़ लाख लोग इसकी चपेट में आते जा रहे हैं।

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संसार के सभी देशों ने मनाया आज 6वाँ अंतरराष्ट्रीय योग दिवस

2020 में कोविड-19 के चलते अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की थीम डिसाइड की गई है- “Yoga For Health…. Yoga From Home.”

तभी तो पीएम ने अपने संदेश में कहा कि “योगा विद फैमिली एंड योगा एट होम” को सभी भारतीय ही नहीं, समस्त संसार अपनाएं। पीएम मोदी ने गीता को उद्धृत करते हुए कहा कि कर्म की कुशलता ही योग का मंत्र है। योग के द्वारा हम सर्वाधिक कर्मयोगी बन सकते हैं तथा विपरीत परिस्थितियों में भी पॉजिटिव सोच रख सकते हैं।

बता दें कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 सितंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने की पहल की थी। तब से भारत समेत दुनिया के सभी देश 21 जून 2015 से यह अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मना रहा है। इस बार सारा विश्व 6वाँ अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस कोरोना के कारण घर के अंदर अपने फैमिली केेेे साथ मना रहा है।

यह भी जानिए कि योग को घर-घर तक पहुंचाने वाले योग ऋषि स्वामी रामदेेेेव इस अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर हमें क्या संदेश देते हैं-

योग के द्वारा जीवन का रूपांतरण होता है। योग से चेतना जागृत होती है। योग को जीवन की दिनचर्या में डालने के पश्चात सभी बच्चे जब शरीर से बलवान, मस्तिष्क से प्रज्ञावान बनेंगे तभी भारत महान बनेगा। योग सदा जोड़ता है- इंसान को इंसान से। मन की एकाग्रता के लिए योग जरूरी है। योग से संतुलन बना रहता है- शरीर का संतुलन, मन का संतुलन और संपूर्ण जीवन का संतुलन। संतुलन ही योग है और यह बिगड़ जाए तो खड़ा सामने रोग है।

 

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हमारे जवान मारते-मारते शहीद हुए, व्यर्थ नहीं जाएगा बलिदान- पीएम मोदी

चीन द्वारा लद्दाख जिले के गलवान घाटी में किए गए कायरता पूर्ण हमले में शहीद हुए 20 भारतीय जवानों के लिए प्रधानमंत्री ने देशवासियों से यही कहा-

“हमारे जवान चीनियों को मारते-मारते शहीद हुए हैं, उनका बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। मैं देश को इस बात के लिए आश्वस्त करता हूं। हमारे लिए देश की एकता और अखंडता सर्वोपरि है। भारत शांति चाहता है, लेकिन माकूल जवाब देने का सामर्थ भी रखता है।”

बता दें कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सर्वाधिक मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान कहा कि शहीद जवानों पर देश को गर्व है।

चलते-चलते यह भी बता दें कि प्रधानमंत्री ने 130 करोड़ भारतवासियों से यही कहा कि भारत अपने स्वाभिमान एवं हर एक इंच जमीन की रक्षा करेगा। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा-

“गलवान घाटी में शहीद हुए भारतीय जवानों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं तथा जवानों के परिवार को भरोसा दिलाता हूं कि देश आपके साथ है….., स्थिति कुछ भी हो हर हाल में देश आपके साथ खड़ा है।”

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विश्व रक्तदान दिवस- 2020

14 जून को विश्व रक्तदान दिवस या विश्व रक्तदाता दिवस यानि वर्ल्ड ब्लड डोनर डे मनाया जाता है। वर्ल्ड ब्लड डोनर डे का मुख्य उद्देश्य रक्तदान को बढ़ावा देना है।

बता दें कि संसार में पहली बार वर्ष 2004 के 14 जून को “विश्व रक्तदान दिवस” मनाया गया था। इसकी शुरुआत डब्ल्यूएचओ (वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन) द्वारा पहली बार की गई थी।

जानिए कि डब्ल्यूएचओ को यह पता था कि ब्लड ग्रुप खोजने का श्रेय जिस नोबेल पुरस्कार विजेता कार्ल लैंडस्टेनर को जाता है उनका जन्मदिन है 14 जून। और यही कारण है कि डब्ल्यूएचओ द्वारा विश्व रक्तदान दिवस प्रतिवर्ष 14 जून को आयोजित किया जाने लगा, मनाया जाने लगा। यह भी जान लेना उचित होगा कि ब्लड ग्रुप की खोज के लिए कार्ल लैंडस्टेनर को 1930 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

विश्व रक्तदाता दिवस- 2020 का थीम है- Safe Blood Save Lives यानि सुरक्षित रक्त, बचाए जीवन। दूसरा यह कि “रक्त दें और दुनिया को एक सेहतमंद जगह बनाएं”। यह भी कि रक्तदान वही व्यक्ति करें जो 18 वर्ष से अधिक और 50 वर्ष के बीच हो तथा उसका वजन 50 किलोग्राम से अधिक हो। रक्तदान करने से हार्ट अटैक का खतरा कम होता है।

मधेपुरा में समिधा ग्रुप, प्रांगण ग्रुप एवं सृजन दर्पण ग्रुप आदि के युवाओं द्वारा प्रतिवर्ष रक्तदान किया जाता है। इस वर्ष भी इन संगठनों के अतिरिक्त अन्य लोगों ने भी रक्तदान किया है।

 

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“विश्व बाल श्रम निषेध दिवस” पूरी दुनिया हर साल 12 जून को मनाती है

विश्व बाल श्रम निषेध दिवस 12 जून को मनाए जाने का उद्देश्य क्या है ? अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ द्वारा 2002 के 12 जून से इस दिन को मनाए जाने का उद्देश्य यही है कि 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से श्रम ना कराकर उन्हें शिक्षा दिलाने के लिए जागरूक करना है।

बता दें कि प्रतिवर्ष 12 जून के दिन इस विश्व दिवस पर बाल श्रमिकों की दुर्दशा को उजागर करने हेतु नियुक्ताओं, सरकारों, श्रमिक संगठनों सहित दुनिया भर के लाखों लोगों को जागरूक किया जाता है। ऐसा इसलिए कि इसे मिटाने या इसके खिलाफ लड़ने के तरीके खोजे जा सके।

यह भी जानिए कि चंद रुपयों के लिए कम उम्र के बच्चों को तस्करी एवं वेश्यावृत्ति जैसी अवैध गतिविधियों के लिए मजबूर किया जाता है। इसी वजह से आम लोगों को बाल श्रम की समस्या के बारे में जागरूक करने तथा उनकी मदद करने के लिए इस दिवस को विगत 18 वर्षों से मनाया जाता है।

इस वर्ष “विश्व बाल श्रम निषेध दिवस” की थीम “कोरोना वायरस के दौर में बच्चों को बचाना” है। बच्चों के द्वारा कराए गए बाल श्रम एवं चाइल्ड ट्रैफिकिंग पर काम करने वाले नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने भारतीय बच्चों के शोषण के सभी रूपों को समाप्त करने के लिए एक व्यापक रणनीति तैयार करने की दिशा में काम करना सरकार से लेकर सामाजिक संगठनों के लिए जरूरी बताया है।

 

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अमेरिका में रहने वाले 40 हजार भारतीय… भारत लौटने को बेताब

कोरोना के तांडव के चलते संसार के सभी देशों में तहलका मचा हुआ है। अमेरिका जैसा सुपर पावर भी बुरी तरह कोरोना की चपेट में आ गया है। लाखों लोगों ने कोरोना वायरस के चलते मौत को गले लगा लिया है। अब तक दुनिया के वैज्ञानिक कोरोना के उपचार हेतु दवाई तलाशने में ही लगे हैं।

बता दें कि कोरोना से बचने के लिए दुनिया के सर्वाधिक देशों में सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करने के लिए लाॅक डाउन शुरू कर दिया गया है। फैक्ट्रियां बंद कर दी गई हैं। रेलगाड़ियों से लेकर हवाई जहाजों तक बंद किए गए। आवश्यक दुकानों को छोड़ सभी दुकानों को भी बंद किए गए। मंदिर से लेकर मस्जिद तक लॉक डाउन में बंद किए गए। बिहार के 25 लाख में से लगभग 15 लाख मजदूर देश के महानगरों से अपने-अपने घर लौट गए। कितने तो पैदल ही हजार-हजार किलोमीटर चलते हुए घर पहुंचे हैं।

बता दें कि अमेरिका में रह रहे करीब 40 हजार  भारतीय स्वदेश वापसी के लिए पंजीकरण करा चुके हैं। लगभग 5000 भारतीय लौट भी चुके हैं। शेष भारतीय अपने वतन लौटने को बेताब हैं…… वे जल्द से जल्द घर वापस आने को आतुर हैं। बकौल भारतीय राजदूत “बंदे भारत मिशन” के तहत अब तक 16 उड़ानें रवाना हो चुकी है। तीसरा घर वापसी मिशन जून 11 से जुलाई के अंत तक चलेगा। इस चरण में 35 हजार भारतीयों को भेजा जाएगा।

चलते-चलते यह भी जानें कि खाड़ी देश सऊदी अरब में फंसे 1600 भारतीयों को वापस भेजने के लिए सऊदी की एक कंपनी ने चार्टर्ड फ्लाइटें बुक कर ली है।

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