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वर्ल्ड किडनी डे- 2021 पर किडनी मरीजों के लिए आवश्यक निर्देश

संसार में 70 करोड़ लोग किडनी रोग से पीड़ित हैं। इस बार वर्ल्ड किडनी डे का थीम है-” लिविंग वेल विद किडनी डिजीज”

जानिए कि किडनी (गुर्दा) की बीमारी उन लोगों में कम प्रगति करती है जो नियमित रूप से व्यायाम करते हैं, काम करते हैं। वैसे लोगों को दिल से जुड़ी समस्याएं भी कम होती है तथा जीवन में सुधार भी होता है। सक्रिय बने रहना लाभ को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण होता है।

किडनी मानव शरीर का बहुत ही महत्वपूर्ण अंग है। किडनी केयर को नजरअंदाज करने से रोग बढ़ते हैं। किडनी रोग के बढ़ते मामलों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए 2006 से प्रत्येक वर्ष डब्ल्यूएचओ द्वारा 11 मार्च यानि मार्च महीने के दूसरे गुरुवार को ‘विश्व किडनी दिवस’ मनाया जाता है। जागरूकता से ही इस रोग पर लगाम लगाई जा सकती है।

चलते-चलते यह भी जाने कि किडनी मानव शरीर की गंदगी बाहर निकालने का काम करती है। किडनी जब किसी प्रकार की समस्या से घिर जाती है तो शरीर से विषैले पदार्थ को बाहर नहीं निकाल पाती है और कई प्रकार के रोग पैदा होने का खतरा बढ़ने लगता है।

 

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3-4 अप्रैल को रेणु जन्मशताब्दी पर अंतरराष्ट्रीय परिसंवाद

अंतर्राष्ट्रीय प्रसिद्धि प्राप्त हिन्दी कथाकार फणीश्वर नाथ रेणु की जन्म शताब्दी के मौके पर अंतरराष्ट्रीय वेबीनार का (3-4 अप्रैल को) दो दिवसीय आयोजन पटना में होने जा रहा है। बिहार के इस कथा शिल्पी ने ग्रामीण जीवन के अलग-अलग रंगों को उकेर कर कहानियों एवं उपन्यासों की रचना की थी जिसमें मैला आंचल, जुलूस और परती परिकथा सर्वाधिक पढ़ी जाने वाली रेणु की कृति है।

बता दें कि रेणु पर आयोजित इस अंतरराष्ट्रीय परिसंवाद में भारतीय गांव, ग्रामीण जीवन और ग्रामीण इतिहास के अतिरिक्त रेणु की भाषा के साथ-साथ कथा की कला शिल्प आदि को समझने का प्रयास करेंगे- अंतरराष्ट्रीय विद्वान… जर्मनी से  बारबरा लोत्ज, उज़्बेकिस्तान से सिराजुद्दीन नर्मतोव, श्रीलंका से उपुल रंजीत, मॉरीशस से गुलशन सुखलाल, चीन से ग फू फिंग, वांगली, तंग पिंग…. फ्रांस की क्रिस्टीना सोजानकी, जापान से इशिदा हिदेयकि, अमेरिका से रिचर्ड डेलेसी, ऑस्ट्रेलिया से यान बुलफोर्ड, पुर्तगाल से शिव कुमार सिंह और भारत से प्रेम कुमार मणि, रश्मि चौधरी, दीपक राय, बी.आयावर, एमएन ठाकुर, अग्निहोत्री आदि लेखकों, इतिहासकारों, समाज शास्त्रियों… आदि के भाग लेने की संभावना है।

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भारत को जूनियर खिलाड़ियों में ओलंपिक मेडल की उम्मीद

देश में जूनियर खिलाड़ियों द्वारा विभिन्न खेलों में लगातार बेहतरीन प्रदर्शन किए जा रहे हैं। 15 साल से कम उम्र के अनेक खिलाड़ी ऐसे हैं जिन्हें भविष्य का बड़ा स्टार माना जा रहा है। इन खिलाड़ियों ने फुटबॉल, टेनिस एवं शूटिंग सहित कई खेलों में अपना लोहा मनवा लिया है, जिनसे देश ओलंपिक मेडल जीतने की उम्मीद करने लगा है।

बता दें कि मात्र 9 साल का प्रीतम ब्रह्मा गुवाहाटी सिटी एफसी बेबी लीग में खेलते हुए सर्वाधिक कीमती खिलाड़ी चुने गए हैं। प्रीतम ने फुटबॉल में अपनी टीम की ओर से 18 गोल करने के साथ 16 गोल के लिए असिस्ट भी किए थे। तभी तो लेफ्ट विंगर प्रीतम को जर्मन फुटबॉलर ‘ओजिल’ ने उनकी कला-कौशल और काबिलियत के लिए जर्सी भेजी है। लिटिल चैंप्स के बड़े कमालों को लेकर भारत आने वाले ओलंपिक में पदक जीतने की भरपूर उम्मीद कर रहा है।

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राष्ट्रपति बाइडेन के साथ भारतीय मूल की कमला देवी उपराष्ट्रपति बनी, गांव थुलेंद्रपुरम में मिठाइयां बंटी

अमेरिका के नवनिर्वाचित 46वें राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ भारतीय मूल की कमला देवी हैरिस ने पहली महिला उपराष्ट्रपति के रूप में कमान संभाली। कमला देवी पहली भारतीय महिला है जो अमेरिका जैसे सबसे ताकतवर देश के दूसरे सबसे ताकतवर पद पर बुधवार को आसीन हुई है।

बता दें कि कमला देवी हैरिस के मूल गांव का नाम है- थुलेंद्रपुरम। तमिलनाडु का यह गांव कमला देवी के अमेरिकी उपराष्ट्रपति बनने पर जमकर जश्न मनाया है। दिनभर लोग नाचते रहे, पटाखे छोड़ते रहे और एक-दूसरे को मिठाइयां खिलाते रहे। ऐसा इसलिए कि कमला हैरिस अमेरिका की सबसे ताकतवर उपराष्ट्रपति होंगी। अब महाशक्ति के हर अहम फैसले पर आखिरी मुहर कमला की होगी।

कमला हैरिस के ऑफिस द्वारा मीडिया को जानकारी दी गई कि अब तक राष्ट्रपति बाइडेन द्वारा विशेषज्ञों एवं कैबिनेट सदस्यों को चुनने तक जितने भी फैसले लिए गए हैं, उन सबमें कमला कि अहम भूमिका रही है।

चलते-चलते यह भी बता दे कि कमला हैरिस की छाप बाइडेन प्रशासन में साफ झलकने लगी है। तभी तो बाइडेन ने अबतक 25 से अधिक भारतीय-अमेरिकियों को हाई प्रोफाइल भूमिका दी है। अमेरिकी आबादी में 1% की हिस्सेदारी रखने वाले भारतीय-अमेरिकी समुदाय के लिए यह ऐतिहासिक पल है, क्योंकि बाइडेन ने प्रेसिडेंट ऑफिस को स्पष्ट आदेश दे दिया है कि प्रमुख निर्णय में कमला देवी हैरिस “अंतिम स्वर” की भूमिका में हो। बाइडेन के द्धारा कमला हैरिस पर इस कदर अटूट विश्वास जताने को लेकर समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने भी जमकर राष्ट्रपति बाइडेन की सराहना की है।

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विवेकानंद की 159वीं जयंती पर डॉ.मधेपुरी ने किया उनका पुण्य स्मरण

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए स्कूली बच्चों को संबोधित करते हुए समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी ने कहा- आज ही के दिन यानि 12 जनवरी 1863 को नरेंद्रनाथ दत्त का जन्म कोलकाता में हुआ था। उनके गुरु स्वामी रामकृष्ण परमहंस ने उन्हें विवेकानंद नाम दिया, जो नाम आज भारत ही नहीं विश्व के युवाओं के लिए प्रेरणा-स्रोत बन गया है।

डॉ.मधेपुरी ने बच्चों से कहा कि आर्थिक तंगी से जूझते हुए अनेक वर्षों तक भारत भ्रमण किया स्वामी विवेकानंद ने। 1893 में उन्होंने शिकागो में आयोजित विश्व धर्म सभा में सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया और भारत की मजबूत छवि दुनिया के सामने पेश की। शिकागो के उस मंच से जब उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत-  “……..भाइयों ! और बहनों !!” संबोधन के साथ आरंभ किया तो वहां मौजूद लोग तल्लीन होकर बस उन्हें ही सुनते रह गए। बच्चों ! स्वामी विवेकानंद का भाषण आज भी प्रासंगिक है-

“…..मैं इस मंच से बोलने वाले  उन वक्ताओं का भी  धन्यवाद करना चाहता हूं, जिन्होंने यह कहा कि दुनिया में सहनशीलता का विचार पूर्व के देशों से आया है….. और शिक्षा वही है जो अनुकरण की जगह अन्वेषण करना सिखाये और युवाओं के अंदर आत्मविश्वास जगाए।”

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कोरोना वायरस का नया रूप दुनिया के 41 देशों में अपने पांव पसार दिया है

विगत वर्ष 2020 में सारा संसार कोविड-19 से परेशान होता रहा। कितने देशों की अर्थव्यवस्था भी चरमरा गई। परंतु, आशा की किरण तब जगी जब भारत सहित कई अन्य देशों में कोरोना वैक्सीन जांचोपरांत लोग लेना भी शुरू कर दिए। सबों को एहसास होने लगा कि 2021 में कोरोना से संसार को मुक्ति मिल जाएगी। फलस्वरूप 4 जनवरी से स्कूल, कॉलेज एवं कोचिंग भी कुछ विशेष गाइडलाइंस के तहत खोल तो दिए गए, परंतु कई स्कूलों में बच्चों के साथ-साथ शिक्षकों को भी कोरोना संक्रमण से ग्रसित होना पड़ा… अब सरकार के सामने विकट परिस्थिति उत्पन्न होने लगी है।

दूसरी ओर डब्ल्यूएचओ(WHO) ने बयान जारी कर यह दावा किया है कि ब्रिटेन में मिला कोरोना का नया स्वरूप दुनिया के 40 से अधिक देशों में दस्तक दे चुका है। यह भी बताया गया है कि भारत में कोरोना के इस नए स्वरूप से संक्रमित होने वालों की संख्या 70 हो गई है। इस बात की आधिकारिक घोषणा ब्रिटेन की सरकार द्वारा 14 दिसंबर को ही कर दी गई थी कि ब्रिटेन में एक नए कोरोनावायरस ने दस्तक दे दिया है, जो महज 4 सप्ताह में 41 देशों में अपना पांव पसार चुका है। इसलिए तो भारतीय गणतंत्र दिवस परेड पर कोई भी विदेशी मुख्य अतिथि नहीं होंगे। ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन आमंत्रित थे, लेकिन ब्रिटेन में फैले कोरोना स्ट्रेन की वजह से उन्होंने भारत का दौरा ही रद्द कर दिया है।

चलते-चलते यह भी जानिए कि शुरुआती दौर में डब्ल्यूएचओ ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका सहित अन्य कई देशों में कोरोना वायरस के नए स्वरूप का पता चला था। कोरोना वायरस का वह नया स्वरूप अब भारत की ओर कदम बढ़ाने लगा है। जो भी हो, प्रत्येक व्यक्ति को मास्क लगाकर घर से निकलने, सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करने एवं साबुन से हाथ धोकर सैनिटाइजर का इस्तेमाल करने में लापरवाही कभी नहीं बरतनी चाहिए।

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कोरोना वायरस के नये स्ट्रेन से ब्रिटेन की हालत बिगड़ी बोरिस ने भारत यात्रा रद्द की

ब्रिटेन में एक सप्ताह के अंदर बढ़ गए एक तिहाई कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन वाले मामले। ब्रिटेन के प्राइम मिनिस्टर बोरिस जॉनसन ने अपने देश में कोरोना वायरस की गंभीर स्थिति के मद्देनजर जनवरी में प्रस्तावित भारत-यात्रा रद्द कर दी है। जाहिर है कि बोरिस जॉनसन को भारत द्वारा आगामी गणतंत्र दिवस का मुख्य अतिथि के रुप में आमंत्रित किया गया था।

ब्रिटेन में जब 29 दिसंबर को 80 हजार से ज्यादा लोगों की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई थी, तब ब्रिटेन के नाम अपने संबोधन में पीएम बोरिस जॉनसन ने देशवासियों से यह अनुरोध किया है-

“नये लॉकडाउन तत्काल फरवरी 2021 के मध्य तक प्रभावी रहने की संभावना है। ब्रिटिश वैज्ञानिकों के मुताबिक कोरोना के नए स्ट्रेन 70 फ़ीसदी तक ज्यादा संक्रामक हैं यानि जनमानस को इससे संक्रमित होने तथा दूसरों को संक्रमित करने की आशंका बहुत-बहुत ज्यादा है। यहां तक कि संक्रमण से मरने वालों की संख्या में भी 20% की वृद्धि हो गई है।”

चलते-चलते यह भी कि कोरोना को लेकर 2020 से अधिक भारी 2021 लगने लगा है। जर्मनी में एक दिन में लगभग 1000 मौतें हो गई है। जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल देश के 16 प्रांतों के लॉकडाउन को जनवरी के अंत तक बढ़ा सकती हैं जबकि लॉकडाउन 16 दिसंबर से ही लगाया गया है।

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कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन से देश में अब तक लगभग 50 लोग संक्रमित

कोरोना के नए स्ट्रेन से संसार के आधे दर्जन देशों को ग्रसित देख कर भारत को चिंतित होना स्वाभाविक है। सबसे अधिक ब्रिटेन में कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन 70% तेजी से फैल रहा है। तभी तो भारत ने आपात बैठक कर हवाई जहाज की उड़ानों पर रोक लगा रखी है। फ्रांस एवं सऊदी अरब भी अपनी-अपनी सीमाएं सील कर ली है।

बता दें कि कोरोना वायरस से नए स्ट्रेन से अब तक भारत में लगभग 50 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें से अधिकांश वे लोग हैं जो या तो ब्रिटेन से आए हैं या फिर वहां से आने वाले लोगों के संपर्क में आ चुके हैं। सर्वाधिक लोगों की संख्या 11 है जो नए कोरोना स्ट्रेन से संक्रमित हैं और जिसकी पुष्टि आईजीआई नई दिल्ली में हुई है। इसी तरह पुणे ने 5, हैदराबाद ने 3 और बेंगलुरु ने 10 की पुष्टि की है।

चलते-चलते यह भी जानिए कि गत वर्ष 2020 के अंतिम एक महीने में ब्रिटेन से भारत आए लोगों की संख्या लगभग 30,000 से अधिक होगी। इन लोगों के माध्यम से कोरोना वायरस के नए लोग संक्रमित हो रहे हैं। डॉक्टरों की सलाह है कि हर कोई मास्क पहनें, सोशल डिस्टेंसिंग कायम रखें तथा हाथ साबुन से साफ कर सेनीटाइजर का इस्तेमाल करते रहे।

याद रखें ब्रिटेन की सरकार द्वारा अगले 16 फरवरी तक लॉकडाउन लगा दिया गया है। साथ ही भारतीय गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के रुप में आने वाले ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने अपनी यात्रा भी स्थगित कर दी है।

 

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उम्मीदों का नया साल बने 2021

इसरो अब चंद्रयान-2 के बाद 2021 में चंद्रयान-3 को लांच करने जा रहा है। कोरोना वायरस और लॉकडाउन के चलते इसकी लांचिंग में देरी हो रही है।

यह कि कोरोना महामारी के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था में हुई भारी गिरावट… अब नए साल 2021 के शुरुआती महीनों में सुधार के लिए महत्वपूर्ण होंगे। महामारी के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था में जिस तेजी से गिरावट दर्ज की गई, उससे अधिक तेजी के साथ रिकवरी देखने को मिलेगी 2021 में। परंतु, किसानों का यह हड़ताल तो पहले खत्म हो।

बकौल समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण मधेपुरी, 12 महीनों को गुजार कर पुराने वर्ष को विदाई देना और नए वर्ष के आगमन को पर्व मानकर बेहतर खुशियां मनाना बेहतरी नहीं, बल्कि बीते वर्ष के खट्टे-मीठे-तीखे व अन्य कई प्रकार के स्वादों के साथ सामान्य व्यक्ति अपने भविष्य को निर्धारित करने के लिए अधिक संवेदनशील बने….. वही श्रेयष्कर है। डॉ.मधेपुरी के अनुसार- नई संभावना, नई दृष्टि, नये-नये संघर्ष और नूतन लालित्य का प्रवेश ही नया वर्ष है।

गत वर्ष कोविड-19 ने देश को एक मायने में तो लाभ पहुंचाया कि देश रिचार्ज हुआ… लाॅक डाउन ने  प्रदूषण मुक्त वातावरण दिया, परन्तु, अब यह नया साल पर्यावरण को स्वच्छ रखने का साल बने तो सही……! जीत के मजबूत इरादों के साथ नए साल में हम सभी उतरे तो सही…….!!

चलते-चलते यह कि गत वर्ष समस्त संसार दुश्वारियों का सामना करता रहा और हम नए साल में अच्छे होने की उम्मीद में आगे बढ़ते रहें…. मजबूत इरादों के साथ, ताकि भारत शक्तिशाली बन कर विश्व गुरु बनने का सपना साकार कर सके। इस सपने को अमलीजामा पहनाने के लिए समाजसेवी डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी ने युवाओं से यही कहा कि इस नये वर्ष को नए भारत के निर्माण की नींव बनाना होगा और हमें आत्मनिर्भर भारत बनाने का हरदम-हरकदम प्रयास करते रहना होगा।

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ब्रिटिश भारत में जन्मे रूडयार्ड किपलिंग साहित्य का प्रथम नोबेल पुरस्कार विजेता बने

आज ही के दिन यानि 30 दिसंबर 1865 को ब्रिटिश भारत के वर्तमान मुंबई (तब के बॉम्बे) शहर में मां एलिस किपलिंग की गोद में बालक रूडयार्ड किपलिंग का जन्म हुआ था। किपलिंग उच्च कोटि के पत्रकार, लघु कथा लेखक, उपन्यासकार और कवि के रूप में चर्चित रहे। वे बाल साहित्य, यात्रा साहित्य और विज्ञान कथाएं लिखने में प्रवीण थे।

बता दें कि मुंबई में जन्मे रूडयार्ड किपलिंग को मुख्य रूप से यह दुनिया उनकी पुस्तक “द जंगल बुक” के लिए जानती है जिसे उन्होंने 1894 में कहानियों के संग्रह के रूप में लिखकर प्रकाशित कराई थी। उनके द्वारा लिखी गई अन्य प्रमुख पुस्तकें “द मैन हु वुुड बी किंग” वर्ष 1888 में, “गंगा दीन” वर्ष 1890 में, साहसिक कहानियां “किम” वर्ष 1901 में और “इफ” वर्ष 1910 में उन्हें शोहरत के शिखर पर पहुंचा दिया।

जानिए कि मुंबई में जन्म लेने के कुछ वर्षों बाद उन्हें ब्रिटेन भेज दिया गया जहां उन्होंने स्कूली शिक्षा ग्रहण की। पढ़ाई समाप्त कर वे 20 सितंबर 1882 को भारत के लिए रवाना हुए और 18 अक्टूबर को मुंबई लौट आए। भारत आते ही उन्होंने एक अंग्रेजी अखबार में नौकरी शुरू की तथा वे लघु कथाओं के साथ-साथ कविताएं भी लिखने लगे। सात वर्षों के बाद यानि 1889 में रूडयार्ड किपलिंग पुनः ब्रिटेन लौट गए।

यह भी जानिए कि वर्ष 1894 में उन्होंने सर्वाधिक प्रसिद्ध पुस्तक “जंगल बुक” लिखी जिसके लिए उन्हें 1907 में साहित्य के लिए पहला नोबेल पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। वे अंग्रेजी भाषा के पहले युवा लेखक हुए जिन्हें यह नोबेल पुरस्कार मिला।

चलते-चलते यह भी बता दें कि रूडयार्ड  झील में उनकी साहसी माताश्री एलिस किपलिंग एवं मूर्तिकार पिताश्री लाॅकवुुड किपलिंग  एक दूसरे से प्रेम-संबंध में बंधेे थे और झील की सुंदरता से मोहित होकर उन दोनों ने अपने पहले जन्मे बच्चे का नाम उस झील को यादगार बनाए रखने के आधार पर रूडयार्ड किपलिंग रखा था। तब के मुंबई स्थित सर जेजे स्कूल आफ आर्ट में रूडयार्ड किपलिंग के पिताश्री मूर्तिकला के प्रोफेसर थे और परिसर में जहां रहते थे उस घर का जीर्णोद्धार करके एक संग्रहालय में परिवर्तित किए जाने की घोषणा भी स्कूल प्रशासन द्वारा 2007 में की गई। कदाचित उसी जगह पर लकड़ी से बना एक नई कुटीर का निर्माण किया गया है जिसे भविष्य में रूडयार्ड संग्रहालय का रूप दिया जायेगा है।

 

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