अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के इनसाइट लैंडर की मदद से पहली बार लाल ग्रह की आवाज धरती पर पहुँची है। यह आवाज हल्की आंधी की है। लैंडर ने जो आवाज भेजी है वह मंगल ग्रह पर 10 से 15 मील प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही हवा की हल्की गड़गड़ाहट की है, जो बहुत हद तक हमारे यहां चलने वाली हवा जैसी है। इस आवाज को सुनना धरती पर रहने वाले लोगों के लिए सचमुच रोमांचक होगा। बता दें कि नासा ने यह लैंडर 26 नवंबर को मंगल ग्रह पर भेजा थ। वैज्ञानिकों का कहना है कि दो सप्ताह के भीतर इस तरह का परिणाम मिलना लैंडर की बड़ी उपलब्धि है।
इंपीरियल कॉलेज लंदन के प्रमुख खोजकर्ता ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा, ‘सिस्मोमीटर से मिला यह शुरुआती 15 मिनट का पहला डाटा है। ’इस आवाज को www.nasa.gov/insightmarswind पर सुना जा सकता है। उन्होंने आगे कहा – ‘यह किसी झंडे के लहरने के दौरान निकलने वाली आवाज की तरह है। यह आवाज वास्तव में पारलौकिक है।’
बता दें कि इनसाइट लैंडर को मंगल ग्रह की अंदरूनी जानकारी का अध्ययन करने के लिए तैयार किया गया है, जिसमें भूकंप का पता लगाना और ग्रह की ऊपरी सतह से निकलने वाली गर्मी का अध्ययन करना शामिल है।
बिहारवासियों के लिए बड़ी खबर। पटना स्थित पीएमसीएच विश्व का सबसे बड़ा अस्पताल बनने जा रहा है। महज कुछ वर्षों के भीतर यहां बेड की संख्या 5462 होगी। जी हाँ, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में बिहार कैबिनेट ने शनिवार को पीएमसीएच को विश्व का सबसे बड़ा और अत्याधुनिक अस्पताल बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इसके लिए 5540 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं। अस्पताल का विस्तारीकरण तीन चरणों में और सात वर्ष के भीतर पूरा किया जाएगा। हालांकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस काम को और भी पहले कर लेने की आवश्यकता जताई है।
कैबिनेट विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार के अनुसार पीएमसीएच अपने नए अवतार में पूरी तरह पर्यावरण के अनुकूल और ग्रीन बिल्डिंग के मानकों के अनुरूप होगा। अस्पताल परिसर में 450 बेड का धर्मशाला भी बनाया जाएगा। उनके द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार यहां एमबीबीएस की सीटों की संख्या को 150 से बढ़ा कर 250 किया जाएगा। वहीं पीजी सीटों की संख्या को 146 से बढ़ा कर 200 किया जाएगा। सुपर स्पेशियलिटी सीटों की संख्या 8 से बढ़ा कर 36 की जाएगी।
बता दें कि वर्तमान में बेलग्रेड (सर्बिया) में दुनिया का सबसे बड़ा अस्पताल है। वहां कुल 3500 बेड हैं। कुछ वर्षों के बाद 5462 बेड के साथ यह गौरव पीएमसीएच के नाम हो जाएगा। फिलहाल यहां बेड की संख्या 1700 है।
‘आतंक’ को उद्योग की तरह प्रश्रय देने वाला पाकिस्तान आर्थिक रूप से जर्जर हो चुका है। देश के अंदर बढ़ते भुगतान संतुलन संकट से निपटने की खातिर वह अब अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की शरण में है। सोमवार को पाकिस्तान सरकार ने बेलआउट पैकेज के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से मदद मांगने की घोषणा कर दी। बता दें कि अमेरिका ने इस बेलआउट पैकेज को लेकर आईएमएफ को पहले ही चेताया था। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आईएमएफ को चेतावनी देते हुए कहा है कि बेलआउट के जरिए मिलनेवाली सहायता का प्रयोग पाकिस्तान चीन से लिए कर्ज चुकाने में कर सकता है।
बहरहाल, पाकिस्तान ने शुरुआती हिचकिचाहट और विलंब के बाद यह कदम उठाने की घोषणा की है। आईएमएफ से संपर्क करने का निर्णय पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने लिया है। गौरतलब है कि इमरान ने देश की अर्थव्यवस्था को सहायता पहुंचाने के लिए इस तरह के कदमों का अतीत में विरोध किया था। पाकिस्तान के वित्त मंत्री असद उमर के अनुसार प्रधानमंत्री द्वारा इस फैसले को मंजूरी दिए जाने के बाद आईएमएफ से बातचीत शुरू की जाएगी।
बता दें कि अगर पाकिस्तान सरकार आईएमएफ के पास जाती है तो यह उसका अभी तक का तेरहवां बेलआउट पैकेज होगा। यूएस इंस्टिट्यूट ऑफ पीस के सेहर तारीक कहते हैं, ‘निर्यात मंदा है, कर्ज बढ़ता जा रहा है, संकेत बेहद खराब हैं।’ वैसे देखा जाए तो पाकिस्तान के पास चीन से कर्ज लेने का भी एक विकल्प मौजूद है। फिर भी, आईएमएफ से मिले या चीन से, कर्ज में पहले से डूबे पाकिस्तान के लिए कोई भी नया कर्ज लेना शुभ तो नहीं ही है। खासकर, तब तो हरगिज नहीं जबकि उसका अतीत गवाह है कि उसने कभी कर्ज का ‘सदुपयोग’ नही किया।
गरीबी कम करने की दिशा में भारत ने उल्लेखनीय सफलता हासिल की है। संयुक्त राष्ट्र के द्वारा गरीबी को लेकर दी गई जानकारी के अनुसार साल 2005-06 से लेकर 2015-16 के बीच गरीबी दर घटकर आधी रह गई है। गरीबी दर पहले 55 फीसदी थी जो इन दस वर्षों में 28 फीसदी पर आ गई। संख्या के हिसाब से देखें तो साल 2005-06 में देश में गरीबों की तादाद 63.5 करोड़ थी, जो 2015-16 तक घटकर 36.4 करोड़ रह गई। इस आंकड़े का एक दिलचस्प पहलू यह है कि इस अवधि में कुल 27.1 करोड़ लोग गरीबी के दलदल से बाहर निकले हैं और यह आंकड़ा इंडोनेशिया की कुल आबादी से भी ज्यादा है।
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक इस एक दशक में भारत में तेजी से कम हो रही गरीबी का अहम ट्रेंड यह रहा कि समाज के सबसे गरीब तबके की स्थिति में खासा सुधार हुआ है। खासकर मुस्लिम, दलित और एसटी कैटिगरी के लोगों ने इस दौरान सबसे ज्यादा विकास किया। गरीबी को दूर करने की दिशा में किए जा रहे अपने प्रयत्नों के कारण ताजा मानव विकास सूचकांक में भारत 189 देशों में एक स्थान ऊपर चढ़कर 130वें स्थान पर पहुंच गया है।
इसमें कोई दो राय नहीं कि ऊपर के सारे आंकड़े हमें आश्वस्त करते हैं, लेकिन हम इस सच से हरगिज मुंह नहीं चुरा सकते कि अब भी हमारे देश में 36 करोड़ से ज्यादा लोग किसी न किसी रूप में गरीबी झेल रहे हैं। हमें पता होना चाहिए कि भारत में अब भी दुनिया के सबसे ज्यादा गरीब रहते हैं और यह संख्या अमेरिका की आबादी से ज्यादा है।
आपको बता दें कि भारत में रहने वाले कुल गरीबों के आधे से भी ज्यादा यानि 19.6 करोड़ लोग केवल चार राज्यों – बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश – में रहते हैं, जबकि दिल्ली, केरल और गोवा में इनकी संख्या सबसे कम है। इन आंकड़ों की एक भयानक तस्वीर यह भी है कि 41 फीसदी भारतीय बच्चे या 10 साल से कम उम्र के हर 5 में से 2 बच्चे हर तरह से गरीब हैं। वहीं, वयस्कों यानि 18-60 साल उम्र वर्ग के लोगों में लगभग एक चौथाई (24 फीसदी) गरीब हैं।
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी (पीटीआई) के संस्थापक सदस्यों में एक और प्रधानमंत्री इमरान खान के करीबी डॉ. आरिफ अल्वी पाकिस्तान के नए राष्ट्रपति होंगे। पेशे से डेंटिस्ट 69 वर्षीय अल्वी ने मंगलवार को त्रिकोणीय मुकाबले में पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज (पीएमएल-एन) के मौलाना फजलुर रहमान और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के एतजाज अहसान को हराया और देश के 13वें राष्ट्रपति चुने गए। जानना दिलचस्प होगा कि अल्वी के पिता स्व. हबीब उर रहमान इलाही अल्वी भी दांतों के डॉक्टर थे और भारत के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू के डेंटिस्ट थे।
बहरहाल, पाक मीडिया से आ रही खबरों के मुताबिक नेशनल असेंबली और सीनेट के कुल 430 सदस्यों में से अल्वी को 212 वोट मिले। जबकि मौलाना फजलुर रहमान को 131 वोट और एतजाज अहसान को मात्र 81 वोट मिले। छह वोट रद्द कर दिए गए। बता दें कि चुनाव बैलेट पेपर से कराए गए थे।
विभिन्न प्रांतों में प्रदर्शन की बात करें तो अल्वी को पंजाब विधानसभा में 186 वोट मिले। रहमान और अहसान ने क्रमश: 141 और 6 वोट हासिल किए और 18 वोटों को रद्द कर दिया गया। बलूचिस्तान में शानदार प्रदर्शन करते हुए अल्वी ने 60 सांसदों में से 45 के वोट हासिल किए। हालांकि, पीपीपी के दबदबे वाले सिंध प्रांत की विधानसभा में अहसान ने अच्छा प्रदर्शन किया। उन्हें यहां 100 वोट मिले जबकि अल्वी के हिस्से में 56 वोट आए और रहमान के पक्ष में केवल एक वोट पड़ा। खैबर पख्तूनखवा विधानसभा में कुल 109 वोटों में से अल्वी ने 78 वोट हासिल किए। जबकि रहमान और अहसान को क्रमश: 26 और 5 वोट मिले।
राष्ट्रपति चुने जाने के बाद अल्वी ने इमरान खान का शुक्रिया जताया। अपने भाषण में उन्होंने कहा कि आज से मैं केवल अपनी पार्टी नहीं बल्कि मैं पूरे देश और सभी पार्टियों का राष्ट्रपति हूँ। सभी पार्टियों का मुझ पर पूरा अधिकार है। उन्होंने कहा कि उनका राजनीतिक संघर्ष 1967 में अयूब खान के समय शुरू हुआ था और तब से देश में बहुत जागरूकता आई है। उन्होंने संविधान के अनुसार चलने की भी बात कही। चलते-चलते बता दें कि निवर्तमान राष्ट्रपति ममनून हुसैन का पांच साल का कार्यकाल आठ सितंबर को समाप्त हो रहा है। अल्वी नौ सितंबर को राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे।
जकार्ता में हो रहे एशियन गेम्स के 14वें दिन शनिवार को भारत ने 2 स्वर्ण, 1 रजत और 1 कांस्य पदक अपनी झोली में डाले। इसके साथ ही 15 स्वर्ण, 24 रजत और 30 कांस्य पदक समेत भारत के पदकों की संख्या 69 हो गई। टूर्नामेंट में आठवें नंबर पर मौजूद भारत का एशियन गेम्स के इतिहास में अब तक का यह सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। इससे पहले भारत ने 2010 में चीन के ग्वांगझू में हुए एशियन गेम्स में 65 पदकों के साथ सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया था। रविवार को एशियाड का आखिरी दिन है, लेकिन इस दिन भारत की किसी भी स्पर्धा में भागीदारी नहीं है।
गौरतलब है कि अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन की बराबरी भारत ने शुक्रवार को ही कर ली थी लेकिन शनिवार को बॉक्सर अमित पंघल और ब्रिज में शिवनाथ सरकार एवं प्रणव वर्धन की जोड़ी ने स्वर्ण, महिला स्कवैश टीम ने रजत और पुरुष हॉकी टीम ने पाकिस्तान को हराकर कांस्य पदक हासिल कर इस आंकड़े को 69 तक पहुंचा दिया। टूर्नमेंट में अब तक 129 गोल्ड मेडल के साथ कुल 283 पदक हासिल कर चीन पहले नंबर पर बना हुआ है। वहीं, जापान 72 गोल्ड मेडल जीतकर 200 पदकों के साथ दूसरे पायदान पर है। जबकि साउथ कोरिया 48 गोल्ड मेडल जीतकर 172 पदकों के साथ तीसरे नंबर पर है। पदक तालिका में इंडोनेशिया चौथे, उज्बेकिस्तान 5वें, ईरान छठे और चीनी ताइपे सातवें स्थान पर है।
इस बार भारत द्वारा जीते गए स्वर्ण पदकों की बात करें तो एथलेटिक्स में नीरज चोपड़ा ने जेवलिन थ्रो, मनजीत सिंह ने 800 और जिनसन जॉनसन ने 1,500 मीटर रेस, तेजिंदर पाल सिंह तूर ने शॉट पुट, अरपिंदर सिंह ने ट्रिपल जम्प, हिमा दास, पूवम्मा राजू मछेत्रिया, सरिताबेन लक्ष्मणभाई गायकवाड़, विस्मया कोरोत वेल्लुवा ने महिला 4×400 मीटर और स्वप्ना बर्मन ने महिला हेप्टाथलॉन में स्वर्ण पदक जीते। वहीं निशानेबाजी में सौरभ चौधरी ने पुरुष 10 मीटर एयर पिस्टल और राही जीवन सरनोबत ने महिला 25 मीटर पिस्टल में देश को स्वर्ण पदक दिलाया। कुश्ती में बजरंग पुनिया पुरुष 65 किग्रा और विनेश फोगाट महिला 50 किग्रा वर्ग में सोना जीतने में सफल रहे। टेनिस में रोहना बोपन्ना और दिविज शरण पुरुष युगल का स्वर्ण पदक जीतने में सफल रहे तो मुक्केबाजी में अमित पंघल ने 49 किग्रा वर्ग में पहली बार सोना दिलाया। रोइंग में स्वर्ण सिंह, ओम प्रकाश, सुखमीत सिंह और बब्बन दत्तू भोकानल की टीम ने देश को पहली बार क्वाड्रूपुल स्कल्स स्पर्द्धा में स्वर्ण दिलाया। ब्रिज, जिसे एशियाड में पहली बार शामिल किया गया था, में प्रणब बर्धन और शिबनाथ सरकार मेन्स पेयर में चैम्पियन बने।
मात्र 20 वर्षीय हरियाणवी एथलीट नीरज चोपड़ा जकार्ता में जारी इस 18वें एशियन गेम्स के उद्घाटन समारोह में भारतीय दल के ध्वजवाहक भी रहे हैं। सोमवार को एशियाई खेलों के नौवें दिन नीरज ने पुरुषों की भाला फेंक स्पर्धा में स्वर्ण पदक अपने नाम कर भारत का नाम रोशन किया है।
बता दें कि इस तरह भारत ने पहली बार एशियन गेम्स की भाला फेंक (Javelin Throw) स्पर्धा में सुनहरा तमगा अपने नाम किया है। जानिए कि नौ दिनों के खेल में भारत का आठवां और एथलेटिक्स में दूसरा स्वर्ण पदक है। भारत की तरफ से एशियन गेम्स में भाला फेंक पुरुष वर्ग में 36 वर्ष पूर्व 1982 ई. में नई दिल्ली में गुरतेज सिंह ने कांस्य पदक जीता था।
हरियाणा के पानीपत में जन्मे नीरज ने मधेपुरा अबतक को बताया कि उनके छह प्रयासों में से दो (दूसरे और छठे) को अयोग्य घोषित कर दिया गया…… लेकिन तीसरे प्रयास में ही नीरज ने अपनी सर्वश्रेष्ठ थ्रो 88.06 मीटर की इस कदर फेंकी कि एशियन गेम्स के भाला फेंक स्पर्धा वाले स्वर्ण पदक पर भारतीय एथलीट नीरज चोपड़ा का नाम अंकित करा लिया क्योंकि रजत पदक जीतने वाले चीन के लियु क्रिझन की जेवलिन नीरज के मुकाबले 5.84 मीटर पीछे रही और कांस्य पदक जीतने वाले पाकिस्तान के नदीम अरशद की जेवलिन 7.31 मीटर पीछे गिरी। नीरज के तीसरे थ्रो के बाद कोई भी खिलाड़ी उनके आस-पास तक नहीं पहुंच सका।
चलते-चलते यह भी बता दें कि नीरज ने एशियन गेम्स के 67 साल के इतिहास में पहली बार भारत के लिए जेवलिन थ्रो में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया है। यह भी जान लें कि 1951 ई. से ये एशियन गेम्स आयोजित हो रहे हैं, तब से मात्र एक ‘कास्य’ ही नसीब हुआ था।
यह भी कि नीरज खुद के राष्ट्रीय रिकॉर्ड को तोड़ते जा रहे हैं। गत मई महीने में दोहा में आयोजित ‘डायमंड लीग सीरीज’ के पहले चरण में नीरज ने 87.43 मीटर के साथ रिकॉर्ड बनाया था। नीरज के नाम पर 86.48 मीटर का जूनियर विश्व रिकॉर्ड अभी भी कायम है।
नेता और स्टेट्समैन में क्या फर्क होता है, ये जानना हो तो तो कोई नीतीश कुमार के कार्यों को देखे। एक अच्छा नेता वर्तमान को संवार सकता है, लेकिन एक स्टेट्समैन आने वाली पीढ़ियों के लिए सोचता है। विज़न दोनों के पास होता है, लेकिन दोनों के फैलाव और प्रभाव में बहुत फर्क होता है। अब रक्षाबंधन को ही लें। इस दिन अपनी बहनों के अलावे अपने जिले या राज्य की अन्य बच्चियों या महिलाओं से राखी बंधवाते कई नेता देखे जा सकते हैं, लेकिन पिछले छह वर्षों से इस दिन पेड़ों को राखी बांधते किसी राज्य का मुखिया देखा जाता है तो वह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं।
जी हाँ, यह बिहार के इस अनोखे रक्षाबंधन का सिलसिला आज से छह साल पहले शुरू हुआ। वर्ष 2012 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रक्षाबंधन पर राजधानी वाटिका में वृक्षों को रक्षा-सूत्र से बांधकर इनकी हिफाजत करने तथा पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया था। आज भी रक्षाबंधन के मौके पर नीतीश कुमार ने राजधानी वाटिका स्थित अपने लगाए हुए पाटलि के वृक्षों को राखी बांधी। इस मौके पर भव्य समारोह आयोजित हुआ जिसमें उपमुख्यमंत्री एवं वन व पर्यावरण मंत्री सुशील कुमार मोदी, ऊर्जा मंत्री बिजेन्द्र प्रसाद यादव, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय, शिक्षा मंत्री कृष्ण नंदन प्रसाद वर्मा, पथ निर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव, मुख्य वन संरक्षक डीके शुक्ला सहित कई गणमान्य ने वृक्षों को रक्षा-सूत्र से बांधा।
इस बेहद खास मौके पर मुख्यमंत्री ने वृक्षारोपण भी किया। उन्होंने आह्वान किया कि रक्षाबंधन के दिन सभी लोग वृक्ष को रक्षा सूत्र से बांधें। बिहार में यह एक नई परम्परा शुरू हुई है जिसे आप सब आगे बढ़ाएं। मुख्यमंत्री के आह्वान पर लोगों ने इको पार्क के वृक्षों को राखी बांधी। विभिन्न स्कूलों की बच्चियों का उत्साह इस अवसर पर देखने लायक था। क्या हम यह संकल्प नहीं ले सकते कि पहले बिहार का, फिर देश का हर व्यक्ति इस दिन एक पेड़ को जरूर राखी बांधे? नीतीश कुमार के विज़न को सही विस्तार मिले, इसके लिए क्या इतनी-सी जहमत नहीं उठा सकते हमलोग?
भारतीय रेसलर बजरंग पूनिया ने 18 वें एशियाई खेलों में भारत को पहला गोल्ड मेडल दिलवाया। ये मेडल पुनिया ने जापान के रेसलर ताकातिनी दायची को हराकर जीता। हरियाणा के 24 वर्षीय इस लाल ने पुरुषों के 65 किलोग्राम भारवर्ग फ्रीस्टाइल स्पर्द्धा में ये मेडल जीता। जापानी पहलवान ने बजरंग को अच्छी टक्कर दी लेकिन उन्होंने फाइनल मुकाबला 11-8 से अपने नाम कर लिया। बजरंग की इस उपलब्धि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें बधाई दी। सबसे खास और दिल को छूने वाली बात यह कि पदक जीतने के बाद बजरंग ने ट्वीट किया कि “मैं अपना ये मेडल पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी को समर्पित करता हूं। नमन।”
गौरतलब है कि बजरंग ने इससे पहले अपने तीनों मुकाबले एकतरफा अंदाज में जीते हैं। उन्होंने सेमीफाइनल में मंगोलिया के बातचुलून को 10-0 से, क्वार्टर फाइनल में ताजिकिस्तान के फेजेव अब्दुल कासिम को 12-2 से और पहले मुकाबले में उज्बेकिस्तान के सिरोजिद्दीन खासानोव को 13-3 के बड़े अंतर से मात दी थी।
बता दें कि बजरंग ने चार महीने में दूसरी बार मल्टी नेशनल टूर्नामेंट में गोल्ड मेडल जीता है। उन्होंने इससे पहले अप्रैल में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में भी गोल्ड मेडल जीता था। यही नहीं, उन्होंने चार साल पहले इंचियोन एशियन गेम्स और ग्लास्गो कॉमनवेल्थ गेम्स में सिल्वर मेडल (61 किग्रा.) अपने नाम किया था। इसके अलावे बजरंग 2013 में बुडापेस्ट वर्ल्ड चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल भी जीत चुके हैं।
भारतरत्न, कविहृदय जननेता, देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी शुक्रवार शाम पंचतत्व में विलीन हो गए। दिल्ली के स्मृति स्थल पर राष्ट्र ने उन्हें नम आंखों से अंतिम विदाई दी। उनकी दत्तक पुत्री नमिता भट्टाचार्य ने उन्हें मुखाग्नि दी। उससे पहले नातिन निहारिका ने उनके पार्थिव शरीर पर से तिरंगा ग्रहण किया। बेटी, नातिन और परिवार के लोग ही नहीं स्मृति स्थल पर मौजूद ऐसा कोई नहीं था जिसकी आंखों में आंसू ना हो। अटल थे ही कुछ ऐसे। सियासत की दुनिया का उन्हें ‘अजातशत्रु’ कहा जाता था क्योंकि उन्होंने हमेशा दोस्त बनाए, दुश्मन उनका कोई नहीं था।
मुखाग्नि देने से पूर्व स्मृति स्थल पर तीनों सेनाओं की ओर से अटल जी को अंतिम सलामी दी गई। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, वाजपेयी के पुराने साथी रहे लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, संघ प्रमुख मोहन भागवत, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और सपा नेता मुलायम सिंह यादव समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्री, राज्यपाल एवं सभी विपक्षी दलों के नेता अंतिम विदाई देने मौजूद रहे। पड़ोसी देशों की ओर से भूटान नरेश जिग्मे नामग्याल वांग्चुक, अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति और वाजपेयी के मित्र रहे हामिद करजई भी श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंचे। बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका के विदेश मंत्री और पाकिस्तान के सूचना मंत्री ने भी इस मौके पर उपस्थिति दर्ज की।
इससे पहले वाजपेयी की अंतिम यात्रा में जनसैलाब उमड़ पड़ा। वाजपेयी की अंतिम यात्रा में भाजपा मुख्यालय से उनके पार्थिव शरीर को लेकर जा रहे वाहन के पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पैदल चल रहे थे। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, कई केंद्रीय मंत्री और विजय रूपाणी, शिवराज चौहान, योगी आदित्यनाथ और देवेंद्र फडणवीस समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्री भी वाहन के पीछे चल रहे थे। अटल जी के अंतिम दर्शन के लिए 7 किलोमीटर लंबे मार्ग पर उमस भरी गर्मी के बावजूद हजारों हजार की संख्या में लोग उमड़े चले आ रहे थे। ‘अटल बिहारी अमर रहे’ जैसे नारे लगातार गूंजते रहे।
अटल जी का शरीर भले ही अब इस दुनिया में नहीं है पर उनके अटल विचार, सिद्धांत और नैतिक मूल्य हमेशा देशवासियों का मार्गदर्शन करते रहेंगे। अटल ने कविता के जरिए पहले ही अपने अंतिम सफर का जिक्र करते हुए कहा था, ‘मौत की उम्र क्या है? दो पल भी नहीं, जिंदगी सिलसिला, आज कल की नहीं। मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूं, लौटकर आऊंगा, कूच से क्यों डरूं?’ अपनी ऐसी ही पंक्तियों, सम्मोहित कर देने वाले भाषणों और अनगिनत अवदानों की बदौलत युगों-युगों तक याद किए जाते रहेंगे हम सबके अटल जी। उन्हें हृदय की सम्पूर्ण श्रद्धा अर्पित करते हुए सादर नमन..!