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मृत्युभोज को नकारने वाले अब अधिवक्ता उपेन्द्र नारायण यादव नहीं रहे

वर्तमान में मधेपुरा बार एसोसिएशन के अधिवक्ता एवं पूर्व में टीपी कॉलेज के बड़ा बाबू रह चुके समाजसेवी उपेन्द्र नारायण यादव का 88 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने 23 जनवरी 2023 को 10:00 बजे रात्रि में मधेपुरा नगर परिषद के वार्ड नंबर 4 स्थित अपने निवास पर अंतिम सांस ली।

समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी के ज्येष्ठ भ्राताश्री उपेन्द्र नारायण यादव कुछ समय तक पार्वती साइंस कॉलेज में मैथिली विभाग के प्राध्यापक भी रहे थे। उन्होंने एक मात्र शिक्षक पुत्र अशोक आनंद एवं एक मात्र शिक्षिका पुत्री विभा रानी सहित नाती-पोते से भरा पूरा परिवार छोड़कर दुनिया को अलविदा कह दिया। दिनांक 24 जनवरी को उन्हें पुत्र अशोक आनंद ने मुखाग्नि दी और उनका पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया। वे कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे। उनकी धर्मपत्नी एवं मृत्यु भोज को नकारने वाली समाजसेविका तारा देवी 3 वर्ष पूर्व ही दुनिया को अलविदा कह चुकी।

उनके अंतिम दर्शन हेतु टीपी कॉलेज के प्राचार्य डॉ.कैलाश प्रसाद यादव, पूर्व प्राचार्य डॉ.परमानंद यादव, संकायाध्यक्ष डॉ.विनय कुमार चौधरी, पूर्व प्राचार्य देवनारायण यादव,  डॉ.बरुण कुमार, अधिवक्ता अनिल कुमार यादव, डॉ.संतोष कुमार, योग नारायण यादव, बाल कृष्ण यादव, सरोज कुमार, हरिनंदन यादव, अधिवक्ता विनोद कुमार, डॉ.अरुण कुमार सहित परिजनों व अन्य नर-नारियों की भीड़ देखी गई।

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जेएनकेटी मेडिकल कॉलेज में मनी जननायक कर्पूरी की 100वीं जयंती

मधेपुरा के जननायक कर्पूरी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में जननायक कर्पूरी की 100वीं जयंती प्राचार्य प्रो.(डॉ.)भूपेन्द्र प्रसाद की अध्यक्षता में मनाई गई। जयंती समारोह के उद्घाटनकर्ता के रूप में जहां दर्जनों मोटिवेशनल पुस्तकों के लेखक सह मधेपुरा जिला के सुविख्यात अपर समाहर्ता श्री रवींद्र नाथ प्रसाद सिंह रहे वहीं मुख्य अतिथि के रूप में समाजसेवी-साहित्यकार एवं बीएनएमयू में परीक्षा नियंत्रक, कुलानुशासन, कुलसचिव आदि पदों पर कार्यरत रहे प्रो.(डॉ.)भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी मौजूद थे।

सर्वप्रथम समारोह का उद्घाटन अतिथियों ने जन नायक कर्पूरी की प्रतिमा पर माल्यार्पण व पुष्पांजलि कर की। उद्घाटनकर्ता अपर समाहर्ता रवींद्र नाथ ने अपने संबोधन में घंटों मेडिकल के छात्र-छात्राओं को आगे बढ़ने के लिए मोटिवेट किया । उन्होंने सफलता के गूढ़ रहस्यों को घूम-घूम कर प्रश्नोत्तर के सहारे समझाया और खूब तालियां बटोरी।

अंत में उन्होंने कहा कि सरकार के एक भी पैसे को अपने ऊपर खर्च नहीं करने वाले एवं अंतिम सांस तक सहजता का प्रतीक बने रहने वाले  बिहार के उस मुख्यमंत्री को दुनिया जन नायक कर्पूरी ठाकुर के नाम से जानती है। उन्होंने विस्तार से उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए छात्र-छात्राओं को खूब उत्साहित किया और अच्छे चिकित्सक बनकर जननायक कर्पूरी की तरह देश सेवा के लिए प्रेरित भी किया।

मुख्य अतिथि डॉ.मधेपुरी ने समाजवादी चिंतक भूपेन्द्र नारायण मंडल और भारतरत्न डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम के संस्मरणों को साझा करते हुए कहा कि आज भी बिहार की धरती पर जन नायक कर्पूरी के पांवों के निशान मौजूद हैं। वे आज भी प्रेरणा स्रोत हैं और आगे भी रहेंगे। उन्होंने जन नायक के किस्सों को विस्तार से बताते हुए कहा कि वे हमारे अतीत हैं। हम अपने अतीत को जाने बिना ना तो अपने भविष्य को गढ़ सकते हैं और ना ही वर्तमान में एक कदम आगे बढ़ सकते हैं। डॉ.मधेपुरी ने मेडिकल के छात्रों को डाॅ.ए.केराॅल की पुस्तक ‘मैन द अननोन’ पढ़ने की सलाह दी।

अंत में अध्यक्षीय संबोधन में जेएनकेटी के प्राचार्य प्रो. (डॉ.)भूपेन्द्र प्रसाद ने कहा कि जन नायक कर्पूरी ताजिंदगी सहजता और सरलता के प्रतीक बने रहे। वे पिछड़ों के मसीहा कहे जाते थे। वे कठोर निर्णय लेने के बाद भी कभी घबराते नहीं थे। वे आजीवन अंग्रेजों और अंग्रेजी को हटाने में लगे रहे। कर्पूरी डिविजन आज भी लोगों की जुबान पर है। इस अवसर पर डॉ.वीरेंद्र कुमार, रेवेन्यू ऑफिसर विकास कुमार आदि ने भी समारोह में अपने विचार व्यक्त किए।

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जय हिंद का नारा भारत वासियों को सदैव करेगा आंदोलित- डॉ.मधेपुरी

मधेपुरा के सुभाष चौक पर 23 जनवरी, 2023 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 127वीं जयंती मनाई गई। इस अवसर पर समाजसेवी-साहित्यकार डाॅ. भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी, एडवोकेट सुधांशु रंजन, सीनेटर रंजन यादव, राम कुमार, प्रदीप कुमार, विजेंद्र यादव, राजू प्राण सुखका आदि ने नेताजी की प्रतिमा पर माल्यार्पण व पुष्पांजलि की।

मौके पर डॉ.मधेपुरी ने कहा कि ब्रिटिश भारत में आईएएस की जगह आईसीएस की परीक्षा होती थी, जिसमें सुभाष चंद्र बोस ने चौथा स्थान प्राप्त किया था। बाद में गांधी के असहयोग आंदोलन में शरीक होने के लिए इंडियन सिविल सर्विसेज की नौकरी भी छोड़ दी। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के दो बार अध्यक्ष बने और बाद में नेता जी ने कांग्रेस को भी छोड़ दी। हिटलर से मिले और आजाद हिंद फौज का उन्होंने गठन किया। नेता जी ने यह भी कहा था- “तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा….।” उनके द्वारा दिया गया ‘जय हिंद’ का यह नारा भारतवासियों को सदैव आंदोलित करता रहेगा। इस अवसर पर उपस्थित प्रमुख लोगों ने अपने-अपने विचार व्यक्त करते हुए नेताजी को श्रद्धांजलि अर्पित की।

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मधेपुरा में प्रजापिता ब्रह्मा बाबा की 55वीं पुण्यतिथि मनी

मधेपुरा के सुख शांति भवन में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी रंजू दीदी की अध्यक्षता में प्रजापिता ब्रह्मा बाबा की 55वीं पुण्यतिथि श्रद्धालुओं के बीच “विश्व शांति दिवस” के रूप में मनाई गई। रंजू दीदी ने अपने संबोधन में कहा कि आज विश्व के 140 देशों के 8 हजार सेवा केंद्रों पर ब्रह्मा बाबा का झंडा फहर रहा है।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी, विशिष्ट अतिथि पूर्व उप मुख्य नगर पार्षद रामकृष्ण प्रसाद यादव सहित सभी मौजूद श्रद्धालुओं द्वारा ब्रह्मा बाबा टावर पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। इस अवसर पर आरंभ में डॉ.मधेपुरी द्वारा दीप जलाकर कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया।

जहां ब्रह्माकुमारी रंजू दीदी ने मातृ शक्ति को जागृत करते हुए ब्रह्मा बाबा के संदेशों से श्रद्धालुओं को सराबोर किया, वहीं मुख्य अतिथि डॉ.मधेपुरी ने ‘यदा यदा ही धर्मस्य…..’  से आरंभ करते हुए साढ़े सात हजार वर्षों के आध्यात्मिक इतिहास की विस्तार से चर्चा की और एक कहानी कह कर समाप्त किया। उन्होंने यह भी कहा कि आत्मा को विकसित करने एवं शक्तिशाली बनाने का उपाय राज योग एवं ध्यान के अभ्यास में है। मौके पर पूर्व उपाध्यक्ष राम कृष्ण प्रसाद यादव, पूर्व प्रमुख विनय बर्धन ऊर्फ खोखा यादव व अन्य श्रद्धालुओं ने ब्रह्मा बाबा के प्रति उद्गार व्यक्त किया। अंत में अध्यक्ष के द्वारा नववर्ष की शुभकामना के साथ सबों को कैलेंडर बांटा गया और सभी श्रद्धालुओं के बीच पुण्यतिथि पर प्रसाद वितरण किया गया।

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भारतीय राजनीति के लिए अपूरणीय क्षति है शरद यादव का जाना

भारतीय राजनीति में लगभग आधी शताब्दी तक संसद के दोनों सदनों के सदस्य रहे, केंद्रीय मंत्री रहे, जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं अटल बिहारी वाजपेयी सरीखे प्रधानमंत्री के कार्यकाल में एनडीए के संयोजक रह चुके व सर्वोत्तम पार्लियामेंटेरियन की खिताब जीतने वाले राजनेता श्री शरद यादव के निधन पर उनके करीबी समाजसेवी- साहित्यकार व उनके इलेक्शन एजेंट रह चुके डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी बताते हैं-

चुनाव प्रचार के दौरान शरद जी लोगों से कहा करते थे कि मेरी जय जयकार मत करो। अगर जय करना है तो गांधी-लोहिया-जयप्रकाश की जय करो…. भूपेन्द्र-भीम-कर्पूरी सरीखे बड़े लोगों की जय करो तभी समाज बदलेगा, तभी समाज मजबूत होगा और समाज विकसित व संस्कारित होगा।

डॉ.मधेपुरी ने यह भी कहा कि सामाजिक न्याय के मंडल रथ पर सवार होकर मधेपुरा से भारत भ्रमण पर निकले शरद यादव ही थे जिन्होंने प्रधानमंत्री वीपी सिंह के कार्यकाल में मंडल रिपोर्ट लागू कराकर संविधान की रक्षा की और सामाजिक व शैक्षिक रूप से पिछड़े सभी धर्मों एवं 7343 जातियों को आरक्षण का लाभ दिलाने का काम किया। जिसके लिए उन्हें अनेकानेक यातनाएं सहनी पड़ी।

 

 

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राष्ट्रीय युवा दिवस पर स्वामी विवेकानंद की 161वीं जयंती मनी

आज 12 जनवरी को भारत के सचेतन लोग स्वामी विवेकानंद की 161वीं जयंती युवा महोत्सव के रूप में मना रहे हैं। उसी कड़ी में सचेतन साहित्यकार व समाजसेवी डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने अपने निवास ‘वृंदावन’ में बच्चों के बीच यह युवा उत्सव मनाया।

इस युवा महोत्सव के अवसर पर डॉ.मधेपुरी ने बच्चों से संदेश के रूप में कहा कि कर्मयोगी विवेकानंद के संपूर्ण जीवन से हमें यही शिक्षा मिलती है- “उठो, जागो और तब तक रुको नहीं जब तक कि तुम अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर लेते…..! जब तक जीना है, तब तक सीखना है……! जिस समय जिस काम के लिए प्रतिज्ञा करो उसे समय पर पूरा कर लो अन्यथा लोगों का विश्वास और तुम्हारा खुद का आत्मविश्वास डोलने लगेगा।

अंत में डॉ.मधेपुरी ने बच्चों से यही कहा कि जीवन में सफल होने के लिए स्वामी विवेकानंद के संदेशों को सदैव स्मरण करते रहना है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय युवा दिवस पर 2023 की थीम “विकसित युवा, विकसित भारत” बनाने हेतु सभी युवाओं को पक्के इरादे व मजबूत संकल्प के साथ आगे आना होगा।

 

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कोविड प्रोटोकॉल के बिना 74वां गणतंत्र दिवस मनेगा- डीएम

डीआरडीए परिसर के झल्लू बाबू सभागार में ऊर्जावान डीएम श्याम बिहारी मीणा (आईएएस) की अध्यक्षता में आगामी 26 जनवरी 2023 को बिना कोविड प्रोटोकॉल के जिले में 74वां गणतंत्र समारोह पूर्वक मनाने की चर्चा उच्चाधिकारियों एवं शहर के गणमान्यों के बीच घंटों चली।

चर्चा में शिरकत करने वालों में जांबाज एसपी राजेश कुमार (आईपीएस), साहित्यकार एडीएम रवींद्र नाथ प्रसाद सिंह, एसडीएम नीरज कुमार, एसडीपीओ अजय नारायण यादव, सिविल सर्जन, एनडीसी व अन्य पदाधिकारीगण सहित चिकित्सक डॉ.अरुण कुमार मंडल, समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी, समाजसेवी शौकत अली, राष्ट्रीय उद्घोषक पृथ्वीराज यदुवंशी, प्राचार्या डॉ.वंदना घोष, स्काउट एंड गाइड आयुक्त जयकृष्ण प्रसाद यादव व सभी विभाग के प्रतिनिधिगण मौजूद रहे।

सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि इस बार 74वें गणतंत्र दिवस पर पांचवी कक्षा से ऊपर के सरकारी एवं गैर सरकारी स्कूल के बच्चों द्वारा प्रभात फेरी निकाली जाएगी और दोनों ग्रुपों से प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान पाने वालों को पुरस्कार दिया जाएगा। साथ ही झांकियां भी निकाली जाएंगी जिनमें प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान पाने वालों को पुरस्कार दिया जाएगा।

बीएनमंडल स्टेडियम में डीएम मीणा द्वारा झंडोत्तोलन होगा और एसपी राजेश कुमार साथ में पुलिस बल, स्काउट और आरक्षी दल का निरीक्षण करेंगे। दिन में फैंसी मैच 90 मिनट का होगा। शाम में भूपेन्द्र स्मृति कला भवन में बच्चों का सांस्कृतिक कार्यक्रम होगा जो कई वर्षों से बंद था।

बैठक के दौरान सभी पदाधिकारियों को कार्य आवंटित किया गया। शहर के सभी प्रतिमा स्थल की सफाई, सड़क सुरक्षा की जिम्मेदारी सहित विभिन्न कार्यक्रमों के लिए कमिटी बनाई गई।

अंत में डॉ.मधेपुरी ने ध्वजारोहण एवं झंडोत्तोलन में अंतर बताते हुए निवेदन किया कि ध्वज के ऊपर किसी प्रकार का डोरी-पताका बांधना उचित नहीं होता है। धन्यवाद के साथ संचालन कर रहे एसडीएम नीरज कुमार ने अध्यक्ष के निर्देशानुसार बैठक समाप्ति की घोषणा की।

 

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गुजरे दुनिया से खुले हाथ, पर कर्म सदा लहराता है- डॉ.मधेपुरी

समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी बताते हैं कि सदर अस्पताल मधेपुरा से हाल ही में उपाधीक्षक के पद से अवकाश ग्रहण करने वाले बच्चों के भगवान डॉ.गुप्ता उन्हें शिष्यवत् सम्मान देते थे। एक दशक से अधिक दिनों से दोनों दौरम शाह मुस्तकीम जैसे सूफी संत की चर्चा किया करते।

एक बार तो दोनों दौरम शाह के वंशजों की तलाश में पैदल ही गौशाला मधेपुरा के सामने नदी पार कर मंजरहट गांव पहुंचकर गुमान शाह की खोज में जुट गए। ज्ञातव्य है कि यह वही सूफी संत दौरम शाह हैं जिनके नाम पर मधेपुरा स्टेशन का नाम दौराम मधेपुरा रखा गया है।

जब कभी भी गुरु-शिष्य की मुलाकात होती तो दोनों समाजसेवा की अवधारणाओं पर विस्तार से चर्चा किया करते। आज डॉ.डीपी गुप्ता नहीं रहे। उनके आकस्मिक निधन पर मधेपुरा के समस्त संवेदनशील जनों के साथ-साथ चिकित्सकों सहित किसान-मजदूर-व्यापारी वर्गों में भी शोक की लहर दौड़ गई है। डॉ.गुप्ता को श्रद्धांजलि देने वालों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है।

अंत में डॉ.मधेपुरी ने अपने सहपाठी मित्र अरुण प्रभाकर जिन्होंने रतनपुरा कचहरी में अंतिम सांस ली, उन्हें भी याद किया और श्रद्धांजलि दी। प्रभाकर जी गांव में रहकर गरीब बच्चों को पढ़ाया भी करते थे। डॉ.मधेपुरी ने दोनों व्यक्तियों के लिए यही कहा कि गुजरे दुनिया से खुले हाथ, पर कर्म सदा लहराता है……..!!

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शहीद कैप्टन आशुतोष की प्रतिमा का हुआ भव्य अनावरण

जानिए कि 7 नवंबर 2020 को कैप्टन आशुतोष ने देश के लिए अपनी शहादत दी थी और उन्हें मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित भी किया गया। यह महान सम्मान शहीद कैप्टन आशुतोष की माताश्री श्रीमती गीता देवी एवं पिताश्री रविंद्र भारती को महामहिम राष्ट्रपति के हाथों प्रदान की गई। रविंद्र भारती के गुरु रहे प्रखर समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी जिन्होंने शहीद पार्क मधेपुरा में शहीदी पट्टीका में शहीद कैप्टन आशुतोष का नाम अंकित कराया है।

शहीद आशुतोष की प्रतिमा का अनावरण उनके पैतृक गांव परमानपुर (जागीर) में 7 नवंबर 2022 को उनके पिता रविंद्र भारती, माता गीता देवी एवं सैनिकगण कीर्ति नारायण यादव, ब्रह्मानंद यादव, केके मुखिया सहित आर्मी रेजीमेंट के पदाधिकारियों की मौजूदगी में सर्वप्रथम दीप जलाकर कार्यक्रम का उद्घाटन किया डॉ.मधेपुरी ने।

एक शिलालेख जिस पर अंग्रेजी में शहीद कैप्टन आशुतोष की वीरता को विभाग द्वारा अंकित कराया गया था उसका अनावरण डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी, मां गीता देवी, पिता रविंद्र भारती, सूबेदार कीर्ति नारायण यादव, जिला अध्यक्ष जयकांत यादव, पूर्व प्रमुख सियाशरण यादव, प्रो.गीता यादव (पूर्व जिला पार्षद), रामपुकार यादव, (पूर्व जिला पार्षद), महासचिव अरविंद कुमार आदि ने किया।

उद्घाटन भाषण के संबोधन में विस्तार से शहीद कैप्टन आशुतोष की वीरता का बखान करते हुए डॉ.मधेपुरी ने राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर को संदर्भित करते हुए यही कहा- कलम आज उनकी जय बोल……. जो चढ़ गए सूली पर लिए बिना गर्दन का मोल…….! अंत में उन्होंने गांधी की शहादत की चर्चा भी विस्तार से तीन बंदरों को संदर्भित करते हुए की। मौजूद सभी वर्गों के लोगों ने शहीद आशुतोष के प्रति अपनी संवेदनायुक्त उद्गार व्यक्त किए।

दिनभर देशभक्ति गीतों से जागीर गांव का वातावरण गूंजता रहा। लोगों ने शहीद कैप्टन की एक प्रतिमा प्रखंड में, दूसरी जिला में लगाने की मांग डॉ.मधेपुरी से की। बनवारी शंकर कॉलेज की प्रो.गीता यादव ने डॉ.मधेपुरी को भरपूर सहयोग देने का वचन दिया।

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मधेपुरा और कोसी की धरोहर हैं डॉ. रवि: भूपेन्द्र मधेपुरी

आज मधेपुरा के कौशिकी क्षेत्र हिन्दी साहित्य सम्मेलन संस्थान के अम्बिका सभागार में कौशिकी के दिवंगत संरक्षक, सुप्रसिद्ध साहित्यकार, बीएनएमयू के संस्थापक कुलपति तथा मधेपुरा के पूर्व सांसद (लोकसभा एवं राज्यसभा) डॉ. रमेन्द्र कुमार यादव रवि का 81वां जयंती समारोह श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया। समारोह की अध्यक्षता टीएमबीयू के पूर्व प्रतिकुलपति डॉ. कौशल किशोर मंडल ने की, जबकि बीएनएमयू के पूर्व कुलसचि प्रो. शचीन्द्र समारोह के मुख्य अतिथि और वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. मणिभूषण वर्मा मुख्य वक्ता के तौर पर मौजूद रहे। समाजसेवी-साहित्कार एवं कौशिकी के सचिव डॉ. भूपेन्द्र मधेपुरी की विशिष्ट उपस्थिति व मार्गदर्शन में आयोजित इस कार्यक्रम में गजलकार श्री सियाराम यादव मयंक, श्री श्यामल कुमार सुमित्र, श्री सुधांशु रंजन, श्री बैद्यनाथ रजक सहित बड़ी संख्या में मधेपुरा के साहित्यप्रेमी उपस्थित रहे। इस मौके पर डॉ. रवि के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की गई तथा कौशिकी के संस्थापक पं. युगल शास्त्री प्रेम, पूर्व अध्यक्ष डॉ. हरिशंकर श्रीवास्तव शलभ एवं शिवनेश्वरी प्रसाद को भी नमन किया गया। साथ ही तुलसी पब्लिक स्कूल की तीन साहित्यानुरागी छात्राओं – माही यादव (वर्ग-3), मिस्टी कुमारी (वर्ग-2) तथा अनन्या कुमारी (वर्ग-1) को डॉ. रवि की पुस्तकें प्रदान कर सम्मानित भी किया गया।

समारोह के अध्यक्ष डॉ. कौशल किशोर मंडल ने अपने संबोधन में कहा कि डॉ. रवि जैसे बहुमुखी प्रतिभा के लोग युगों में पैदा होते हैं। उन्होंने शिक्षा, साहित्य, राजनीति और समाजसेवा के क्षेत्र में एक साथ काम किया और हर जगह अपनी अमिट छाप छोड़ी। वहीं, मुख्य अतिथि प्रो. शचीन्द्र ने कहा कि डॉ. रवि को मैंने कई दशकों तक बहुत निकट से देखा और अपने अनुभव के आधार पर मैं कह सकता हूँ कि विद्वता और सहजता का ऐसा मणिकांचन संयोग बहुत कम देखने को मिलता है। सरस्वती उनकी जिह्वा पर विराजती थी और कविता रोम-रोम में बसती थी।

समाजसेवी-साहित्यकार डॉ. भूपेन्द्र मधेपुरी ने कहा कि डॉ. रवि ने अपने व्यक्तित्व और कृतित्व से मधेपुरा की कई पीढ़िय़ों को प्रभावित किया। विधानसभा, लोकसभा और राज्यसभा में अपने धारदार संबोधनों से उन्होंने सबका ध्यान खींचा और जनहित के अनगिनत मुद्दे उठाए। वहीं, बीएनएमयू के संस्थापक कुलपति के रूप में उन्होंने अविस्मरणीय योगदान दिया। साहित्यकार तो वे लाजवाब थे ही। वे नि:संदेह मधेपुरा और कोसी की धरोहर हैं।

मुख्य वक्ता प्रो. मणिभूषण वर्मा ने कहा कि डॉ. रवि का शिष्य होना मेरे लिए गौरव की बात है। मेरा शोधकार्य उन्हीं पर है। अपने शोध के दौरान मैं उन्हें जितने निकट से देखता, उनकी रचना और उनके व्यक्तित्व के उतने ही कोण सामने आते। उन पर एक नहीं, कई शोध होने चाहिएं।

वहीं, श्री सुधांशु रंजन सहित अन्य वक्ताओं ने भी डॉ. रवि को भावुक होकर याद किया। कौशिकी के उपसचिव श्री श्यामल कुमार सुमित्र ने सभी वक्ताओं एवं आगंतुकों के प्रति धन्यवादज्ञापन किया। इस मौके पर बिनोद यादव, संजय भारती, पीहू कुमारी, रीतेश, प्रीति कुमारी, सुप्रिया कुमारी, आयुष राज, मनोज कुमार, अर्जुन कुमार, विकास कुमार, सौरभ कुमार आदि ने भी उपस्थिति दर्ज की।

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