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अब स्मार्ट खिड़कियां जाड़े में गर्म रखेंगी कमरों को

आरंभ से ही गृह निर्माण को लेकर प्राकृतिक रोशनी, ताजी हवा और धूप का आना बहुत जरूरी माना जाता रहा है। इसके लिए घर बनाते वक्त खिड़कियां बनाने का विशेष ध्यान रखा जाता है।

बता दें कि अब पारंपरिक खिड़कियों की जगह स्मार्ट खिड़कियां ले सकती हैं। इन स्मार्ट खिड़कियों द्वारा मौसम के हिसाब से सूरज की किरणों को अवशोषित करने अथवा दूर रखने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाती है। फलस्वरूप सर्दियों में कमरे को गर्म या फिर गर्मियों में ठंडा रखा जा सकता है।

स्मार्ट खिड़कियों के निर्माण में एक विशेष प्रकार के कांच का इस्तेमाल किया जाता है जिसे कई प्रकार के रसायनों के मिश्रण से बनाया जाता है। जिसके निर्माण में 30 फ़ीसदी रसायन गर्मी को दूर करने एवं 70 फ़ीसदी रसायन गर्मी को अवशोषित करने के लिए व्यवहार में लाए जाते हैं। स्मार्ट खिड़कियों से प्रतिवर्ष कम से कम 27 फ़ीसदी बिजली बचाई जा सकती है।

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चीन, ब्रिटेन व फ्रांस कृत्रिम सूर्य बनाने की होड़ में

चीन ने कुछ दिन पूर्व के कृत्रिम सूर्य बनाया। अब चीन के बाद ब्रिटेन ने कृत्रिम सूर्य बना डाला है। इस तरह यदि दुनिया के देशों द्वारा कृत्रिम सूर्य और कृत्रिम वायरस का निर्माण किया जाता रहेगा तो कोरोना के डेल्टा और ओमीक्रोन जैसे जैसी अन्य नई-नई महामारी दुनिया को परेशान करती रहेगी।

बता दें कि चीन ने कृत्रिम सूर्य का सफलतापूर्वक संचालन किया और ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने तो यह दावा किया है कि वह ऐसा कृत्रिम सूर्य बनाएगा कि उससे अपार ऊर्जा निकलती रहेगी, जिससे संसार का ऊर्जा संकट ही खत्म हो सकता है।

चलते-चलते यह भी कि ब्रिटेन के परमाणु ऊर्जा प्राधिकरण के चीफ प्रोफेसर इंजीनियर चैपमैन ने इसे ऐतिहासिक उपलब्धि कहा है। चैपमैन ने यहां तक कहा कि इस कृत्रिम सूरज की मदद से जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को भी दूर किया जा सकेगा।

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35वीं सुशांत स्मृति युवा प्रतिभा चयन प्रतियोगिता संपन्न

स्थानीय आईटीआई कॉलेज परिसर में आयोजित 35वीं सुशांत स्मृति युवा प्रतिभा चयन हेतु लेखन, चित्र कला,भाषण एवं सुगम संगीत प्रतियोगिता एवं पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन सचिव डॉ.आलोक कुमार द्वारा किया गया।

समारोह की अध्यक्षता करते हुए समाजसेवी-साहित्यकार  डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने कहा कि इस तरह की प्रतियोगिता से ग्रामीण इलाके की प्रतिभाओं को भी आगे बढ़ने के लिए एक मंच का मिल जाना ही सुशांत स्मृति मंच को महत्वपूर्ण बना देता है। डॉ.मधेपुरी ने कहानी सुना-सुनाकर शिक्षकों एवं अभिभावकों से यह भी कहा कि वे बच्चों में सदैव सकारात्मक विचार भरते रहें।

समारोह में विजय प्रतिभागियों के बीच पुरस्कार वितरण करने के उपरांत प्रोफ़ेसर सचिंद्र ने कहा कि 23 वर्ष की जीवन यात्रा के धारक सुशांत युवाओं के बीच काफी लोकप्रियता अर्जित कर ली थी। सचिव डॉ.आलोक कुमार, डॉ.विनय कुमार चौधरी, प्रोफेसर मणि भूषण वर्मा, गजलकार सियाराम यादव मयंक, डॉ.ओम प्रकाश ओम, इंजीनियर महेंद्र नारायण मंडल एवं राष्ट्रीय स्तर के वक्ता हर्षवर्धन सिंह राठौर आदि ने भी सुशांत स्मृति मंच की उपयोगिता पर विस्तार से चर्चा की।

पुरस्कृत होने वाले प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय प्रतिभागी रहे स्थल चित्रकारी में परिधि, श्रुति प्रिया एवं हर्ष कुमार। निबंध लेखन में अभिलाषा कुमारी, परिधि व मयंक कुमार। भाषण में परिधि, अभिलाषा व उत्कर्ष झा और सुगम संगीत में शिवाली, शशांक झा और भवेश कुमार।

आयोजन को सफल बनाने में मंच संचालक हर्षवर्धन सिंह राठौर एवं रंगकर्मी विकास कुमार सहित आनंद कुमार, इंजीनियर मुकेश, मनीषा, सौरव, दुखन यादव व धीरज आदि की महती भूमिका रही। अंत में सृर्जन दर्पण के बैनर तले भारतरत्न स्वर कोकिला लता जी की आत्मा की शांति हेतु दो मिनट का मौन रखा गया।

 

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भारतरत्न लता मंगेशकर को डॉ.मधेपुरी ने दी भावपूर्ण श्रद्धांजलि

छोटी उम्र से ही बड़ी जिम्मेदारियाँ निभाने वाली स्वर कोकिला भारतरत्न लता दीदी को चंद शब्दों में कहना संभव नहीं। उनकी आवाज ही उन्हें अमरत्व प्रदान करती रहेगी एवं उनकी आवाज सदैव उनकी पहचान बनी रहेगी। आठ दशकों तक बनी रही सुरों की रानी।

ये बातें समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण मधेपुरी ने उनकी तस्वीर पर पुष्पांजलि करने के बाद कही। लता जी को राजकीय, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सम्मानों के अतिरिक्त पद्म भूषण, पद्म विभूषण, भारतरत्न सहित दादा साहब फाल्के पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है। सात बार फिल्म फेयर अवार्ड से नवाजा गया है। 36 भाषाओं में 50 हजार गीत गाकर अमर हो गईं लता जी।and

 

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वीणा वादिनी की पूजा

आरम्भ से ही स्कूली छात्र-छात्राओं एवं युवजनों द्वारा सरस्वती की पूजा अर्चना की जाती रही है। समाज में सरस्वती को विद्या के लिए, लक्ष्मी को संपत्ति के लिए एवं दुर्गा माता को शक्ति के लिए पूजी जाती है। पूर्व में लोग इन माताओं की पूजा-अर्चना पूर्ण समर्पण एवं निष्ठा पूर्वक की जाती थी, परंतु वर्तमान में इसका सर्वथा अभाव देखा जा रहा है।

बता दें कि इस अवसर पर सरस्वती पूजा को लेकर हाट-बाजार में चारों ओर चल-पहल दिखती है। युवाओं व बच्चों में उत्साह दिखता है। पूजा को लेकर पंडाल सजधज कर तैयार होते देखा गया जबकि कोरोना के चलते सादगी के साथ ही वीणावादिनी का पूजन उत्सव मनाया गया। सुबह में पुष्पांजलि की गई। दोपहर बाद पूजा संपन्न होते ही प्रसाद वितरण का कार्यक्रम आरंभ हुआ। कहीं-कहीं शाम में सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया। परंतु खेद के साथ कहना पड़ता है कि शिक्षा का स्तर इतना गिरता जा रहा है कि ‘वीणा पाणी’ की जगह युवजन भी ‘बिना पानी’ की जय बोलने लगे हैं।

 

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नीतीश सरकार भी अब नदियों को जोड़ने की योजना शुरू कर दी

सर्वप्रथम लोगों ने नदियों को जोड़ने की योजना महामहिम राष्ट्रपति डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम की विकसित भारत वाली मिशन- 2020 के तहत सुनी थी। फिर प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने नदियों को जोड़ने की चर्चा आरंभ की। और अब नीतीश सरकार द्वारा सूबे की नदियों को जोड़ने की योजना बनाई जा रही है।

बता दें कि नदियों को जोड़ने से जल संरक्षित किया जा सकेगा और सिंचाई की सुविधा होगी। भला क्यों नहीं मुख्यमंत्री सात निश्चय के अंतर्गत हर घर को पानी देने की योजना भी तो है। राजगीर, गया, बोधगया व नवादा में गंगाजल पहुंचाने की योजना को पूरा करने हेतु सीएम ने निर्देश जारी किया है।

जल विकास से लेकर कोसी-मेसी लिंक योजना पर भी चर्चा आरंभ हो चुकी है। सीएम नीतीश कुमार ने जल संसाधन विभाग की योजनाओं की भी समीक्षा की है, जिसमें छोटी नदियों को जोड़ने का इंतजाम भी शामिल किया गया है।

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पिता ने दिल्ली में खरीदी थी प्रॉपर्टी महानायक अमिताभ ने करोड़ों में बेच दिया

दक्षिण दिल्ली के गुलमोहर पार्क स्थित बंगला ‘सोपान’ जिससे पिता हरिवंश राय बच्चन और मां तेजी बच्चन की यादें जुड़ी थी, मात्र 23 करोड़ में निजोन ग्रुप के सीईओ अवनी बदेर के हाथ भेज दिया।

बता दें कि यह प्रॉपर्टी लगभग 500 वर्ग मीटर में फैली है जिसे हरिवंश राय ने अपनी पत्नी तेजी बच्चन के नाम खरीदा था। मुंबई जाने से पहले अमिताभ बच्चन अपने माता-पता के साथ सोपान में ही रहते थे। आज की तारीख में महानायक अमिताभ बच्चन मुंबई के जलसा नामक बंगले में सपरिवार रह रहे हैं।

जानिए कि मुंबई जैसे महानगर में अमिताभ बच्चन जैसे महानायक के पास पांच बंगले हैं और बंगले के अतिरिक्त बहुत कुछ।

 

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उदाकिशुनगंज के प्रतिभागियों ने दरोगा की पीटी में मारी बाजी और पूर्व डीसीएलआर ललित को किया नमन

उदाकिशुनगंज अनुमंडल क्षेत्र के कई प्रतिभागियों ने दरोगा की प्रारंभिक परीक्षा पास की है। बिहार सिविल सर्विसेज फाउंडेशन के उदाकिशुनगंज सहित लगभग आधे दर्जन केंद्रों के छात्रों ने बिहार दरोगा की आरंभिक परीक्षा में सफलता प्राप्त की है।

बता दें कि फाउंडेशन के संस्थापक सह उदाकिशुनगंज के पूर्व डीसीएलआर वर्तमान में सीतामढ़ी जिले में कार्यरत ललित कुमार सिंह ने सफल छात्रों को शुभकामनाएं दी। श्री सिंह ने सफल प्रतिभागियों को फाइनल परीक्षा की तैयारी में जुट जाने की सलाह दी।

ज्ञातव्य हो कि डीसीएलआर ललित कुमार सिंह ने 2018 में 2 सितंबर से उदाकिशुनगंज में निर्धन छात्रों को आगे बढ़ाने हेतु फाउंडेशन स्थापित कर क्लास लेना शुरू किए। वे प्रत्येक रविवार को क्लास लेते और छात्रों को नोटस् भी उपलब्ध कराते थे। शुरू में उन्होंने मधेपुरा के समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी से मिलकर मधेपुरा में ही इसे स्थापित करना चाहते थे, परंतु दूरी होने की वजह से संभव नहीं हो सका। उनके तबादले के बाद इसे नेशनल डीएवी स्कूल में निदेशक सजनदेव कुमार, निजामुद्दीन व नवल गुप्ता की देखरेख में चलाया जा रहा है।

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चीनी सैनिकों पर भारी पड़ा भारतीय सैनिक

गलबन घाटी में 15-16 जून की रात को भारतीय सैनिकों के साथ हुए संघर्ष में 42 चीनी सैनिक मारे गए। इनमें चार की मौत को तो चीन ने स्वीकार किया। शेष 38 झड़प के दौरान नदी के तेज बहाव में बह गए।

बता दें कि चीन इन सारी बातों को छुपाता रहा, परंतु ऑस्ट्रेलियाई अखबार “द कलेक्शन” में दी गई रिपोर्ट के बाद अब चीन अच्छी खासी हताहत सैनिकों की खबर को सही साबित करते नजर आ रहे हैं।

चलते-चलते यह भी जानिए कि अपने सैनिकों की मौत का आंकड़ा छुपा रहे चीन को ऑस्ट्रेलियाई अखबार ने आईना दिखा दिया। चीन द्वारा गलबन के घायल कमांडर को विंटर ओलंपिक में मशाल देने को लेकर भारत ने आपत्ति जताई और विंटर ओलंपिक का राराजनयिक बहिष्कार भी किया है भारत ने। इस ओलंपिक समारोह एवं समापन का भारत द्वारा नहीं किया जाएगा प्रसारण।

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मनीषी भूपेन्द्र थे शोषितों के सेनानी- डॉ.मधेपुरी

स्थानीय भूपेन्द्र चौक पर समाजवादी चिंतक भूपेन्द्र नारायण मंडल की 119वीं जयंती के अवसर पर प्रात 9:00 बजे उनकी प्रतिमा पर सर्वप्रथम माल्यार्पण करने के बाद उनके अत्यंत करीबी समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण मधेपुरी ने कहा कि धरती सुत भूपेन्द्र नारायण मंडल शोषितों के सेनानी थे। वे समाजवादियों के प्रेरणास्रोत थे और सदैव रहेंगे भी। ब्रिटिश हुकूमत की विकट परिस्थितियों में आने के बाद देश की आजादी के लिए वे संघर्ष करते रहे और आजादी मिलने के बाद गरीबों, दलितों व वंचितों के संसार को ताजिंदगी सजाते रहे। कभी भी पारिवारिक मोह जाल में नहीं फंसे। उनका आदर्श यही रहा- आंख न मूंदू ,  कान न मूंदू, तनिक कष्ट नहीं झेलूूं…. जँह लेटूं तँह करूं परिक्रमा परिक्रमा जो कुछ करूं सो सेवा।

इस अवसर पर उनके सेवक रह चुके दुखन प्रसाद को डॉ.मधेपुरी द्वारा अंगवस्त्रम देकर सम्मानित किया गया। मौके पर पीजी जंतु विज्ञान के विभागाध्यक्ष प्रो.(डॉ.)अरूण कुमार, भेलवा ग्राम पंचायत के मुखिया परमेश्वरी प्रसाद यादव, समाजशास्त्री डॉ.आलोक कुमार, आनंद कुमार रंगकर्मी विकास कुमार, विनोद प्राणसुखका, बुच्ची राय, ललन यादव, मनोज कुमार, माया के अध्यक्ष राहुल यादव, बंटी कुमार आदि मौजूद थे। सबों ने माल्यार्पण व पुष्पांजलि कर उन्हें नमन किया।

 

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