मधेपुरा के शहीद चुल्हाय मार्ग पर अवस्थित टेंगराहा के दिगंबर प्रसाद यादव का निवास जहां कभी लालू प्रसाद व रावड़ी देवी सरीखे दो-दो मुख्यमंत्री रहकर चुनाव लड़ा करते वहीं आज सबेरे से मधेपुरा के गणमान्यों, लायंस क्लब के सदस्यों, समाजसेवियों व शिक्षाविदों की भीड़ उनके अंतिम दर्शन को पहुंचती रही। कृषि पदाधिकारी रह चुके 85 वर्षीय दिगंबर बाबू ने लगभग 10 दिनों से लिवर इन्फेक्शन से संघर्ष करते हुए सहरसा के एक प्राइवेट क्लीनिक में दिनांक 10 सितंबर के तड़के 3:30 बजे एक मात्र पुत्र रौशन, पुत्रवधू प्रीति एवं पुत्रियों-परिजनों के बीच अंतिम सांस ली।
समाजसेवी- साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी, डॉ.अरुण कुमार, डॉ.आलोक कुमार, मधेपुरा कॉलेज के प्राचार्य डॉ.अशोक कुमार, शिवनंदन प्रसाद मंडल विधि महाविद्यालय के प्राचार्य सत्यजीत यादव, प्रोफेसर प्रज्ञा प्रसाद, समाजसेविका विनीता भारती, डॉ.अमित आनंद, पूर्व मुखिया अरविंद कुमार, इंजीनियर सत्येंद्र कुमार, डीएस अकैडमी के निदेशक विमल किशोर गौतम उर्फ ललटू जी, दिवाकर कुमार, चंदन कुमार, मनोज कुमार, शिवनाथ यादव, लाॅयन इंद्रनील घोष, विकास सर्राफ, राजू ,राहुल आदि ढेर सारे लोगों ने उनके पार्थिव शरीर का अंतिम दर्शन किया और माल्यार्पण व पुष्पांजलि की। आज ही दिन के लगभग 3:00 बजे टेंगराहा निवासियों की भीड़ के बीच देवेंद्र धाम के समीप उनके पुत्र रोशन कुमार ने मुखाग्नि दी और वे पंच तत्व में विलीन हो गये।
स्थानीय एवं ऐतिहासिक रासबिहारी उच्च माध्यमिक विद्यालय में समाज सुधारक व पराधीन भारत में स्वाधीन सोच रखने वाले क्रांतिवीर रासबिहारी लाल मंडल की 107वीं पुण्यतिथि मनाई गई। सर्वप्रथम उनके पौत्र प्रो.प्रभाष चंद्र यादव, प्रपौत्र डॉ.ऐके मंडल, समाजसेवी-साहित्यकार डॉ۔भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी एवं अन्य अतिथियों ने उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण व पुष्पांजलि की। प्रधानाध्यापक संजीव कुमार गुप्ता की अध्यक्षता में कार्यक्रम का श्री गणेश अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया।
मुख्य वक्ता के रूप में समाजसेवी-साहित्यकार एवं “रासबिहारी लाल मंडल: पराधीन भारत में स्वाधीन सोच” पुस्तक के लेखक प्रो۔(डॉ.) भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने कहा कि रासबिहारी लाल मंडल वह नाम है जो मधेपुरा के संपूर्ण परिचय के लिए आवश्यक ही नहीं बल्कि मधेपुरा के अस्तित्व बोध के लिए बेहद जरूरी भी है। वे बने-बनाये पदचिन्हों पर कभी नहीं चले बल्कि स्वयं के द्वारा पदचिन्हों को तैयार कर चलते रहे। डॉ۔मधेपुरी ने विस्तार से उनकी निर्भीकता, समाज सुधारवादी प्रवृत्ति और अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ने की क्षमता की चर्चा की। उन्होंने कहा कि इसी कारण उनके परम मित्र दरभंगा के महाराजा लक्ष्मीश्वर प्रसाद सिंह उन्हें “तिरहुत का शेर” कहकर पुकारा करते थे।
कमलेश्वरी विंध्येश्वरी महिला महाविद्यालय के सचिव प्रो۔ प्रभाष चंद्र यादव, शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ۔ऐके मंडल, विज्ञान शिक्षक राजेंद्र प्रसाद यादव आदि ने कहा कि वे जीवन भर गरीबों, शोषितों और वंचितों की राह सजाते रहे। अंग्रेजों के सामने कभी नहीं झुके। वे हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत के अलावे बांग्ला, उर्दू, फारसी और फ्रेंच जैसी भाषाओं के भी ज्ञाता थे। विद्यालय के शिक्षक अमित कुमार सहित अन्य शिक्षकों एवं छात्रों ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि वे पढ़ने-लिखने में व्यस्त रहते थे। उनके मुरहो गांव में हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू और बंगला के चार-अखबार आते थे। वे “भारत माता का संदेश” पुस्तक की भी रचना की थी।
स्कूल के छात्रों के बीच पेंटिंग कंपिटीशन एवं क्विज कंपिटीशन कराया गया जिसमें रासबिहारी बाबू का चित्र ज्यादातर लड़को ने बनाया। उनमें विवेक कुमार प्रथम, आयुष कुमार द्वितीय एवं ओम कुमार तृतीय स्थान प्राप्त किया। इन्हें मेडल और ज्ञानवर्धक पुस्तकों द्वारा पुरस्कृत किया गया। क्विज कंपिटीशन में 12 लड़कों ने भाग लिया जिनमें प्रथम, द्वितीय और तृतीय ग्रुप को मेडल व कलम देकर पुरस्कृत किया गया।
अंत में शिक्षिका माधुरी ने धन्यवाद ज्ञापन किया और मंच संचालन स्काउट एंड गाइड आयुक्त जयकृष्ण प्रसाद यादव ने किया।
बिंध्येश्वरी प्रसाद मंडल को दुनिया बीपी मंडल के नाम से जानती है। मुरहो के जमींदार और अंग्रेजों से निर्भीकता पूर्वक लड़ने वाले बाबू रास बिहारी लाल मंडल के तीन पुत्र रहे हैं- भुवनेश्वरी प्रसाद मंडल, कमलेश्वरी प्रसाद मंडल और सबसे छोटे सामाजिक न्याय के पुरोधा बिंध्येश्वरी प्रसाद मंडल। पिछड़ा वर्ग आयोग- 2 के अध्यक्ष बने बीपी मंडल। दुनिया मंडल कमीशन के रूप में उन्हें सदा याद करती रहेगी। वे प्रतिभा संपन्न थे और उन्हें विरासत में निर्भीकता मिली थी। वे अंग्रेजी ऑनर्स के छात्र रहते हुए देश सेवा में कूद पड़े।
बीपी मंडल का जन्म 25 अगस्त 1918 है और जन्म स्थान कबीर की नगरी काशी, उत्तर प्रदेश है। उनकी शादी 1937 ईस्वी में सीता देवी के साथ हुई। उन्हें पांच पुत्र और दो पुत्रियाँ हुई। 1945 से 1951 तक मधेपुरा में ऑनरेरी मजिस्ट्रेट के रूप में कार्यरत रहे। वे तीन बार विधायक चुने गए- 1952-57, 1962-67 और 1972-75। वे एक बार 1968 में एमएलसी भी बने।
बीपी मंडल लोकसभा के सांसद भी तीन बार चुने गए- वर्ष 1967-68, 1968-71 और 1977-80। वे 1967-68 में बिहार के स्वास्थ्य मंत्री बने। अल्पकाल के लिए ही सही वे 47 दिनों के लिए बिहार के ऐसे मुख्यमंत्री रहे जिनकी प्रशासनिक क्षमता की गूंज आज भी सचिवालय के गलियारे में गूंजती हुई सुनाई देती है। वे एक वर्ष 8 महीना 22 दिनों तक घड़ी की सुई की तरह बिना रुके कश्मीर से कन्याकुमारी तक और राजस्थान से बंगाल की खाड़ी तक सभी धर्मों की 3743 जातियों को रेखांकित कर सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ों की सूची बनाई और उन्हें 27% आरक्षण देने की अनुशंसा की। उन्होंने 31-12-1980 को मंडल रिपोर्ट की प्रतियां तत्कालीन महामहिम राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी को समर्पित किया। फरवरी 1981 के 23 तारीख को मधेपुरा के सोशल क्लब में बीपी मंडल का भव्य नागरिक अभिनंदन तत्कालीन नगर पालिका उपाध्यक्ष डॉ۔भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। बिहार स्टेट सिटिजन काउंसिल के डिप्टी चेयरमैन रहते हुए उन्होंने 13 अप्रैल 1982 को पटना में अंतिम सांस ली। उनका अंतिम संस्कार पैतृक गांव मुरहो में किया गया।
रक्षाबंधन के पर्व पर राखी बांधने के बाद लोग अपनी बहनों की रक्षा करने का वचन देते आ रहे हैं तथा बहनों के प्रति अपना स्नेह दर्शाने के लिए कुछ नायाब उपहार भी देते हैं। यह पर्व हमें यह भी सिखाता है कि लोगों को अपनी बहनों के लिए स्नेह और सम्मान बनाए रखना चाहिए चाहे लोगों को कितनी भी व्यस्तता क्यों न हो !
रक्षाबंधन के अवसर पर समाजसेवी-साहित्यकार डॉ۔भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने वृंदावन हॉस्पिटल की महिला चिकित्सक डॉ.रश्मि भारती, अक्षत कुमार, विकास कुमार, गजेंद्र यादव, संजय मुखिया, विवेक कुमार, पप्पू यादव, प्रकाश कुमार, बसंत कुमार आदि की मौजूदगी में अपने वृंदावन परिसर के वृक्षों को राखी बांधा और रक्षाबंधन पर्व के अत्याधुनिक महत्व से उन्हें रू-ब-रू कराते हुए कहा- यदि धरती को रहने योग्य बनाना है तो लोगों को वृक्षों में राखियां बांध-बांधकर बहनों की तरह उसकी रक्षा करने का वादा करना होगा। साथ ही वृक्षों के प्रति सदैव स्नेह और सम्मान कायम रखना होगा।
डॉ۔मधेपुरी ने इस अवसर पर मौजूद लोगों से कहा कि प्राचीन काल से तो विशेष रूप से दो ही वृक्षों- पीपल और बरगद की पूजा की जाती रही है, परंतु आज ग्लोबल वार्मिंग और पर्यावरण को लेकर भिन्न-भिन्न अवसर पर किये गए पौधरोपण में प्रत्येक वृक्ष को स्नेह व सम्मान के साथ-साथ संरक्षण भी चाहिए अन्यथा धरती आने वाली पीढ़ियों के रहने योग्य नहीं रहेगी। वहीं डॉ۔रश्मि भारती ने वृक्षों के इस रक्षाबंधन की जमकर सराहना की। इस अवसर पर डॉक्टर रश्मि भारती ने मौजूद लोगों के बीच मिठाइयां बांटी।
जननायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ.दिनेश कुमार द्वारा एथिकल कमिटी के गठन हेतु आयोजित विभिन्न चिकित्सा विभागों के विभागाध्यक्षों, शिक्षाविदों एवं समाजसेवियों व अधिवक्ताओं की बैठक में शिक्षाविद व प्रखर समाजसेवी-साहित्यकार तथा बीएन मंडल विश्वविद्यालय में परीक्षा नियंत्रक, कुलानुशासक, कुलसचिव आदि पदों पर कार्यरत रह चुके फिजिक्स के यूनिवर्सिटी प्रोफेसर डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी को सर्वसम्मति से अध्यक्ष चयनित किया गया। इस समिति के अध्यक्ष डॉ۔मधेपुरी एवं सचिव के रूप में माइक्रोबायोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ۔प्रकाश कुमार मिश्र सहित नौ सदस्य हैं। जिनमें दो महिला सदस्यों में एक हैं- स्त्री रोग एवं प्रसव विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ۔पूनम कुमारी और दूसरी समाजसेविका सह राज्य महिला आयोग की पूर्व सदस्या श्रीमती मंजू कुमारी उर्फ गुड्डी देवी। शेष पांच सदस्यों में एक हैं- पीएसएम विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ.काशिफ शाहनवाज, दूसरे हैं- सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ۔गणेश कुमार, तीसरे हैं- केपी कॉलेज मुरलीगंज के पूर्व प्राचार्य प्रो.(डॉ.)राजीव रंजन, चौथे हैं- अधिवक्ता अनिल कुमार मिश्रा एवं अंतिम हैं- समाजसेवी राजकुमार रंजन।
ज्ञातव्य हो कि जेएनकेटी मेडिकल कॉलेज मधेपुरा में नवगठित एथिकल कमिटी को सरकार के विशेष सचिव स्वास्थ्य विभाग बिहार पटना द्वारा स्वीकृति भी प्रदान कर दी गई है।
जिला मधेपुरा और राज्य बिहार के लिए गर्व एवं सर्वाधिक प्रसन्नता की बात है कि ग्राम- मधैली बाजार व प्रखंड- शंकरपुर के निवासी कुमार आर्यन ने आईआईटी जैसी कठिन परीक्षा में सफलता हासिल कर अपने गांव का नाम रौशन किया है और जिला को गौरवान्वित किया है। आर्यन ने आईआईटी एडवांस एग्जाम- 2024 में समस्त भारत में प्रथम प्रयास में ही 2666वाँ रैंक प्राप्त किया है। उल्लेखनीय है कि कुमार आर्यन ने 2024 में ही 12th की परीक्षा में 95% मार्क्स लाकर सीबीएसई बोर्ड से उत्तीर्णता प्राप्त की है। कुमार आर्यन ने यह सफलता कठिन परिश्रम, स्वाध्याय एवं आत्मविश्वास के बल पर हासिल की है। प्रायः लोग यही सोचते हैं कि आईआईटी जैसी कठिन परीक्षा के लिए कोटा या दिल्ली जाकर ही तैयारी की जा सकती है। परंतु, आर्यन की नियमित पढ़ाई व कठिन परिश्रम ने उसे गलत साबित कर दिया है। वह अपने माता-पिता के साथ पटना में रहकर मेहनत करते हुए निकटतम कोचिंग संस्थान से गाइडेंस लेकर ही यह रैंक प्राप्त किया है।
यह भी प्रेरित करने वाली बात है कि आर्यन के पिता दौलत कुमार भी आईआईटी से उत्तीर्णता प्राप्त कर वर्तमान में इंडियन रिवेन्यू सर्विस (IRS) में उच्चाधिकारी के रूप में चंडीगढ़ में कार्यरत हैं। आर्यन की मां कुमारी श्वेता इंदिरा गांधी आवासीय विद्यालय हजारीबाग से 10th पास की जिन्होंने बिहार में 9वां रैंक प्राप्त किया था। अंत में पूछे जाने पर आर्यन ने बताया कि माता-पिता व गुरुओं के अलावे अपनी सफलता का श्रेय तीन प्रेरक व्यक्तित्व के रूप में प्रथम दादाश्री उपेंद्र नारायण यादव, दूसरे नानाश्री उपेंद्र कुमार जो मधेपुरा PWD में इंजीनियर थे और तीसरे भौतिकी के बेहतरीन प्रोफेसर एवं मधेपुरा के साहित्यकार डॉ۔भूपेन्द्र नारायण मधेपुरी को देता हूं।
समाजसेवी-साहित्यकार डॉ۔भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी के द्वारा वर्षों से चलाए जा रहे कार्यक्रम- “जो करेंगे मधेपुरा जिला को गौरवान्वित, उन्हें करेंगे डॉ۔मधेपुरी सम्मानित” के तहत सिंहेश्वर निवासी सक्षम अग्रवाल, जिन्होंने प्रथम प्रयास में ही नीट परीक्षा- 2024 में ऑल इंडिया स्तर पर प्रथम रैंक लाया है, को सम्मानित किया जाएगा। जानिए कि सक्षम ने 100% अंक लाकर जिले का नाम भारत भर में रोशन किया है। उसी प्रतिभा पुंज सिंहेश्वर के सक्षम अग्रवाल को भारतरत्न डॉ۔एपीजे अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि आगामी 27 जुलाई को टीपी कॉलेज मधेपुरा के सभागार में सारस्वत सम्मान से सम्मानित किया जाएगा। डाॅ.मधेपुरी ने सक्षम की ममतामयी मां माया अग्रवाल व चिकित्सक पिता डॉ۔चेतन अग्रवाल सहित उनके समस्त गुरुओं को भी ससम्मान हृदय से बधाई दी है।
साथ ही डॉ۔मधेपुरी ने मधेपुरा से दोबारा सांसद बने दिनेश चंद्र यादव सहित विश्व पर्यावरण दिवस पर पौधे लगा-लगाकर धरती के भविष्य को सुरक्षित रखने वालों एवं देश को मजबूत विपक्ष देने वाले कुशल मतदाताओं को भी ढेर सारी बधाइयां दी है।
सभी विद्यालयों ,महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों के छात्र-छात्राओं के पाठ्यक्रम में पर्यावरण, गार्बेज मैनेजमेंट सिस्टम और प्रकृति संरक्षण के बाबत सप्ताह में एक घंटी पढ़ाने की व्यवस्था अविलंब शुरू की जाय। तभी यह धरती आने वाली पीढ़ियों के अस्तित्व की सुरक्षा कर सकेगी। यदि वर्तमान पीढ़ी वनों की कटाई के प्रति उदासीन दृष्टिकोण अपनाती रही तो वह दिन दूर नहीं जब भारत की राजधानी दिल्ली भी बढ़ते तापमान को लेकर बंजर रेगिस्तान में तब्दील हो जाएगी।
ये बातें विश्व पर्यावरण दिवस- 2024 की पूर्व संध्या पर वृक्षारोपण करने के बाद वृंदावन परिसर में बच्चों को संबोधित करते हुए समाजसेवी-साहित्यकार डॉ۔भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने कही। उन्होंने यह भी कहा कि 27 जुलाई 2015 का वह दिन उन्हें बरबस याद आ जाता है जब डॉ۔एपीजे अब्दुल कलाम ने शिलांग में आईआईएम के छात्रों के बीच “धरती को रहने योग्य कैसे बनाया जाय” विषय पर बोलते हुए अंतिम सांस ली थी। उस महामना ने तब जोर देकर यही कहा था- ‘हमारी भूमि ही हमारा भविष्य है’- जो 2024 में आकर विश्व पर्यावरण दिवस का नारा बन गया है, उसकी थीम बन गई है।
डॉ۔मधेपुरी ने आस-पास के स्कूली बच्चों से यह भी कहा कि अच्छी बात यही है कि पर्यावरण को लेकर लोग अब जागरुक हो रहे हैं। धरती पर हरियाली को बढ़ावा देने के लिए भिन्न-भिन्न तरह के अभियान चलाए जा रहे हैं। परंतु, विकास के नाम पर तेजी से कट रहे पचासो वर्ष पुराने पेड़ों की भरपाई क्या नए रोपे हुए पेड़ कर पाएंगे ? इस बीच धरती पर रहने वाले लोगों का कितना बुरा हाल होगा۔۔۔۔ उसकी कल्पना नहीं की जा सकती। अभी तो कुछ ही जगहों पर तापमान 50 डिग्री पार किया है और एक ही दिन में दर्जनों बच्चे और बड़े-बूढ़े मौत को गले लगा लिए हैं। उन्होंने कहा कि धरती का भविष्य तभी बचेगा जब धरती पर प्रतिदिन पर्यावरण दिवस मनाया जाएगा। प्रकृति संरक्षित रहेगी तभी लोग सुरक्षित रहेंगे।
पीएम नरेंद्र मोदी ने किया 16 करोड़ की लागत से दौरम मधेपुरा स्टेशन के पुनर्विकास कार्य का वर्चुअल शिलान्यास। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में स्थानीय सांसद दिनेश चंद्र यादव ने अपने संबोधन में कहा कि अब सुंदर व आकर्षक बनेगा मधेपुरा का दौरम मधेपुरा रेलवे स्टेशन। उन्होंने यह भी कहा कि पीएम ने फाटक संख्या 90 पर बनने वाले ओवर ब्रिज के लिए 80 करोड रुपए की राशि दी है। करोड़ों की योजना से दौरम मधेपुरा स्टेशन की तस्वीर बदलने की उम्मीद बढ़ गई है। सांसद ने पीएम के प्रति आभार जताते हुए कहा कि बनेगा दो मंजिला भवन। अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस होगा स्टेशन। जगह-जगह दौरम मधेपुरा लिखा ‘ग्लो साइन बोर्ड’ लगाया जाएगा। इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम से दी जाएगी ट्रेनों की जानकारी। लिफ्ट और एस्केलेटर की भी सुविधाऐं होगीं। सारे कार्य निर्धारित अवधि में पूरे कर लिए जाएंगे। समारोह को रेलवे नोडल पदाधिकारी किशोर कुमार भारती, पूर्व विधायक अरुण कुमार, उपमुख्य पार्षद पुष्प लता कुमारी, भाजपा जिला अध्यक्ष दीपक कुमार, भाजपा प्रदेश मंत्री स्वदेश कुमार, जदयू के प्रदेश महासचिव प्रोफेसर विजेंद्र नारायण यादव आदि ने भी संबोधित किया।
MP Dinesh Chandra Yadav and others at PM Narendra Modi’s virtual meeting at Dauram Madhepura Station Campus.
दौरम मधेपुरा स्टेशन के पुनर्निर्माण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने कहा कि बात 1353 ई. की है, जब दिल्ली के शासक हुआ करते थे फिरोजशाह तुगलक। ओयनवार शासक को इस क्षेत्र की देखभाल का जिम्मा फिरोज शाह ने दे रखा था। आजू-बाजू के सेन शासक और कर्नाट शासक द्वारा पैदा की गई परेशानियों से निपटने हेतु फिरोज शाह तुगलक ने सेना की एक टुकड़ी के साथ एक सूफी संत ‘दौरामशाह मुस्तकीम’ को भी भेजा था। सब कुछ ठीक करने के बाद सेना जब लौटने लगी तो सूफी संत दौरम ने सेनापति से कहा कि यहां की हरियाली उन्हें बहुत अच्छी लगती है। आप सहमति दें तो यहीं कुटिया बनाकर रह जाऊं। वे यहीं गौशाला के उत्तर संत अवध बिहारी कॉलेज के पास रहने लगे और अपने व्यवहार कुशलता के कारण खूब प्रसिद्धि प्राप्त की। हिंदू-मुस्लिम सबके प्रिय बन गए। उनकी कुटिया सदियों तक ‘दौरम डीह’ के नाम से जानी जाती रही।
कालांतर में 1910 ई. में जब मधेपुरा में सर्वप्रथम रेल आई तो स्टेशन का नाम मधेपुरा रखा गया। परंतु, मधेपुरा के नाम प्रेषित माल डिब्बा कभी ‘मधुपुर’ तो कभी ‘मधेपुर’ चले जाने के कारण रेलवे द्वारा भेजी गई टीम ने इलाके की जनता की सर्वसम्मत राय से उसी सूफी संत दौरम के नाम को जोड़ने की अनुशंसा की और तभी से स्टेशन का नाम “दौरम मधेपुरा” कहा जाने लगा।
बीच-बीच में सृजन दर्पण के रंगकर्मी विकास कुमार के कलाकारों सहित होली क्रॉस, माया विद्या निकेतन, तुलसी पब्लिक स्कूल, किरण पब्लिक एवं ब्राइट एंजेल्स के बच्चे-बच्चियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों से समां बांध दिया और खूब तालियां बटोरी। बच्चे-बच्चियों को सांसद महोदय व अतिथियों के हाथों पुरस्कृत भी किया गया। समारोह में नप के पूर्व उपाध्यक्ष व राजद नेता रामकृष्ण यादव, दलित नेता नरेश पासवान, जदयू नेता सत्यजीत यादव, सीनेट सदस्य रंजन यादव, भाजपा नेता अरविंद अकेला, माया के अध्यक्ष राहुल यादव, भाजपा नेता विजय कुमार विमल, डॉ۔नीला कांत, प्रोफेसर सुजीत मेहता, डॉ۔ललन अद्री, पूर्व पार्षद रविंद्र कुमार यादव, नेता क्रांति यादव, बीबी प्रभाकर, योगेंद्र महतो सहित रेलवे अधिकारी आदि व गणमान्यों की गरिमयी उपस्थिति बनी रही।
जिले के घैलाढ़ प्रखंड के जागीर गांव के निवासी डॉ.नारायण प्रसाद यादव एक लोकप्रिय एवं हरदिल अज़ीज़ होम्योपैथी डॉक्टर के रूप में ख्याति प्राप्त कर चुके थे। कठिन रोगों के मरीज उनके अनुभव एवं विलक्षण प्रतिभायुक्त इलाज से ठीक होते रहे। डॉ.यादव ने सुपौल जिला के रहरिया अस्पताल एवं सहरसा हॉस्पिटल में 15 वर्षों तक सरकारी चिकित्सक के रूप में अपनी सेवा दी। बाद में नवहट्टा ब्लॉक में सरकारी चिकित्सक रहने के बाद सेवानिवृत्ति की तिथि तक मधेपुरा के सरकारी अस्पताल में कार्यरत रहे। उन्होंने अपनी कुशल चिकित्सीय इलाज के चलते हर जगह भरपूर लोकप्रियता हासिल की।
डॉ.नारायण प्रसाद यादव ने 14 फरवरी सरस्वती पूजा के दिन हार्ट अटैक के कारण पटना के आईजीआईएमएस में अंतिम सांस ली। वे अपने पीछे धर्मपत्नी प्रोफ़ेसर गीता यादव, जो पूर्व में रही जिला परिषद की सदस्या, 8 वर्षों तक बीएन मंडल विश्वविद्यालय की सीनेटर, फाइनेंस कमेटी की मेंबर और वर्तमान में राज्य महिला आयोग की सदस्या हैं, के अतिरिक्त बैंक आफ बडौदा मुंबई में कार्यरत एकमात्र पुत्र प्रीतम कुमार एवं दो पुत्री पूजा शेखर व नीनू यादव को छोड़ 65 वर्ष की उम्र में चिकित्सा जगत को भारी क्षति पहुंचाकर चले गए।
डॉ.नारायण द्वारा चार साल पूर्व मधेपुरा में निजी अस्पताल एवं रिसर्च सेंटर स्थापित किया गया था, जिसका उद्घाटन उन्होंने अपने गुरु समाजसेवी-साहित्यकार प्रो.(डॉ.)भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी द्वारा कराया था।
Dr.Bhupendra Madhepuri inaugurating Narayan H.Research Centre along with Prof.Sachidanand, Shikshak Parmeshwari Prasad Yadav, Dr.Narayan Prasad Yadav with spouse Prof.Geeta Yadav.
डॉ.नारायण के निधन की जानकारी मिलने पर मधेपुरा के सचेतन नागरिकों एवं उनसे इलाज कराये और ठीक हुए अनगिनत नर-नारियों के बीच शोक की लहर दौड़ गई। टीएमबीयू के पूर्व प्रति कुलपति डॉ.केके मंडल, टीपी कॉलेज के पूर्व प्राचार्य प्रोफेसर सच्चिदानंद यादव, बीएन मंडल विश्वविद्यालय के पूर्व परीक्षा नियंत्रक डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी, पूर्व सिंडिकेट सदस्य डॉ.परमानंद यादव, पूर्व जंतु विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ.अरुण कुमार, सीनेटर डॉ.नरेश कुमार, टीपी कॉलेजिएट के पूर्व प्राचार्य डॉ.सुरेश भूषण, प्रोफेसर सुलेन्द्र कुमार आदि ने शोक व्यक्त करते हुए यही कहा कि उनका कर्म सदा लहराएगा। साथ ही सबों ने ईश्वर से प्रार्थना की भी की कि उनके शोक संतप्त पारिवारिक जनों को इस अपार दुख को सहन करने हेतु धैर्य और साहस दे।