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किरासन तेल चाहिए अब बिजली गायब होने लगी है

मॉनसून के आते ही कुछ दिनों से शाम ढलते-ढलते बिजली की आंख-मिचौली शुरू हो गई है। इस पर चिंता व्यक्त करते हुए अति संवेदनशील समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने कहा कि जिला प्रशासन के लिए बाढ़ के साथ-सथ बिजली से उत्पन्न होने वाली छोटी-बड़ी समस्याओं पर भी विचार करना जरूरी है। कुछ दिनों से शाम होते ही बार-बार बिजली गुम होने से बच्चों को पढ़ाई में एवं महिलाओं को रसोई बनाने में कठिनाई उत्पन्न होने लगी है। हर घर में जनरेटर या इनवर्टर तो है नहीं, फिर भी अंधेरे से निजात पाने के लिए रोशनी तो चाहिए ही चाहिए।

डॉ.मधेपुरी ने बाजार से जानकारियां भी लीं, तो पता चला कि जब लोगों ने मोमबत्ती खरीदना ही छोड़ दिया तो दुकानदारों ने भी मंगाना कम कर दिया। कुछ मंगाते भी हैं तो बहुत महंगा दाम चुकाने पर मिलता है।

डॉ.मधेपुरी ने जनहित में प्रशासन से मांग की है कि बाढ़ की समाप्ति तक कम से कम सप्ताह में एक दिन भी किसी सार्वजनिक स्थान यथा- नगर परिषद या जिला परिषद या किसी अन्य उपयुक्त स्थान पर किरासन तेल प्रति परिवार आधा लीटर या एक लीटर जो उपयुक्त लगे उसकी व्यवस्था की जानी चाहिए। बात तो छोटी है, परंतु है जरूरी। यदि फिर भी बात समझ में ना आए तो इस लोकोक्ति को एक बार नहीं, बार-बार हृदय से स्मरण करना लाजमी है-

जाके पांव न फटी बिवाई,  वो क्या जाने पीर पराई

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मधेपुरा में नीतीश कुमार के प्रति आभार यात्रा का भव्य प्रदर्शन

नीतीश कुमार जी का आभार व्यक्त करने को लेकर मधेपुरा जिला जदयू परिवार द्वारा 25 जून को सफल “आभार यात्रा” का आयोजन किया गया। यह आयोजन भूपेन्द्र स्मृति कला भवन से निकल सर्वप्रथम बीपी मंडल चौक पहुंचकर उनकी प्रतिमा पर जदयू के वरिष्ठ नेता डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी, बिहार के जदयू प्रवक्ता निखिल मंडल, जिला अध्यक्षा श्रीमती मंजू कुमारी उर्फ गुड्डी देवी आदि द्वारा माल्यार्पण किया गया।

आगे-आगे लंबी कतार में मोटरसाइकिल, कार, ई-रिक्शे पर सवार युवा कार्यकर्ता बैनर-पोस्टर एवं तीर निशान वाले झंडे के साथ बैंड-बाजे की धुन पर “बढ़ो जवानो बढ़ो……” से कदम मिलाते हुए धूप की परवाह किए बिना आगे बढ़ते रहे।

JDU Zila Adyaksha Guddi Devi, Senior Leader Dr.Bhupendra Narayan Yadav Madhepuri, former minister and JDU MLA Narendra Narayan Yadav and former minister Dr.Ramesh Rishidev at Bhupendra Chowk during Aabhar-Yatra at Madhepura.
JDU Zila Adyaksha Guddi Devi, Senior Leader Dr.Bhupendra Narayan Yadav Madhepuri, former minister and JDU MLA Narendra Narayan Yadav and former minister Dr.Ramesh Rishidev at Bhupendra Chowk during Aabhar-Yatra at Madhepura.

आगे भूपेन्द्र चौक वाले समाजवादी चिंतक भूपेन्द्र नारायण मंडल की प्रतिमा पर बिहार सरकार के दो-दो पूर्व मंत्री व समाजवादी सोच वाले आलमनगर विधायक नरेंद्र नारायण यादव, पूर्व मंत्री डॉ.रमेश ऋषिदेव, जदयू के वरिष्ठ नेता व समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी, जिला जदयू अध्यक्षा गुड्डी देवी आदि द्वारा माल्यार्पण किया गया। फिर यह कारवां मधेपुरा शहर के बीचो-बीच बढ़ता गया। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा पर जिला अध्यक्षा गुड्डी देवी द्वारा माल्यार्पण करते हुए कर्पूरी चौक पर जननायक कर्पूरी की प्रतिमा पर सबों ने माल्यार्पण किया। अंत में केशव कन्या उच्च विद्यालय के पास नाश्ता-पानी के साथ समापन किया गया। इस बीच मीडिया के लोग प्रमुख नेतागण से इस आयोजन के बाबत सवाल-जवाब करते रहे। बाइट लेते रहे।

इस आभार-यात्रा में जिले के सभी प्रखंडों से लेकर राज्य स्तरीय जदयू के सभी छोटे-बड़े नेतागण शामिल थे। सभी प्रकोष्ठ के प्रतिनिधि सहित पूर्व जिला जदयू अध्यक्ष द्वय प्रो.बिजेंद्र नारायण यादव, सियाराम यादव, डॉ.बीबी प्रभाकर, प्रो.सत्यजीत यादव, बुलबुल सिंह, विनोद कांबली निषाद, गोवर्धन मेहता, महेंद्र पटेल, युगल पटेल, विद्यानंद मेहता, डॉ.धर्मेंद्र राम, डॉ.मनोज भटनागर, नरेश पासवान, नीरज कुमार, प्रो.अभिषेक, गुलटेन, आशीष यादव, उमेश मंडल, रूपेश कुमार, महेंद्र ऋषिदेव, मनोज कुशवाहा, अभिषेक कुशवाहा, प्रशांत कुमार, ज्योति कुमारी, चंदेश्वरी राम, मोहम्मद राजा, पिंटू मेहता, अशोक चौधरी आदि नेता व कार्यकर्ता सभी शामिल थे।

 

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प्रत्येक मनुष्य के जीवन में राजयोग के सतत अभ्यास से मिलती है शांति

प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय मधेपुरा के सुख शांति भवन में 24 जून को प्रथम प्रशासिका मातेश्वरी जगदंबा सरस्वती की 57वीं पुण्यतिथि श्रद्धालुओं द्वारा मनाई गई। सर्व प्रथम पुण्यतिथि समारोह का उद्घाटन संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर संचालिका राजयोगिनी रंजू दीदी, मुख्य अतिथि समाजसेवी डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी, विशिष्ट अतिथि समाजसेविका रागिनी कुमारी, पूर्व प्रमुख विनय वर्धन उर्फ खोखा यादव, पूर्व उपाध्यक्ष नप रामकृष्ण यादव, पूर्व उपाध्यक्ष यदुवंशी, प्रोफेसर शिवकुमार, किशोर भाई, सतीश भाई, ओम प्रकाश यादव आदि सहित श्रद्धालु मातृशक्ति ने किया। मां जगदंबा की तस्वीर पर सबों ने पुष्पांजलि की और अपना-अपना उद्गार व्यक्त किया।

इस अवसर पर समारोह की अध्यक्षता कर रही राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी रंजू दीदी ने विस्तार से परिचय देते हुए तथा ओम राधे को मम्मा कहते हुए कहा कि मामा का ईश्वर में असीम श्रद्धा व विश्वास था। मम्मा का समर्पण एवं तपोबल उच्चस्तरीय ही नहीं बल्कि सौ फ़ीसदी शुद्ध था। समाज सेविका विशिष्ट अतिथि नेत्री रागिनी कुमारी ने अपना व्यक्तिगत अनुभव सभी मौजूद श्रद्धालुओं के साथ साझा किया और विस्तार से बताया कि जब से ब्रम्हाकुमारी विश्वविद्यालय के संपर्क में आई हूं तब से कितना परिवर्तन हुआ है वह गिनाना संभव नहीं।

मुख्य अतिथि के रुप में समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने कहा कि जो ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय आज लगभग 145 देशों में कार्यरत है, आरंभ में उसके दो ही स्तंभ रहे थे एक प्रजापिता ब्रह्मा बाबा लेखराज कृपलानी और दूसरी मातेश्वरी जगदंबा सरस्वती जो प्रथम मुख्य प्रशासिका की भूमिका में रही थी। मां जगदंबा के स्मरण मात्र से ही हमारी बौद्धिक शक्तियां अनुशासित होने लगती है। तभी तो आज उनके परी निर्वान के 56 वर्ष बाद भी छोटे-बड़े सभी श्रद्धालुगण यही बोलते हैं-

यादों से उतरकर नैनों में

नैनों से दिल में समा जाओ

बच्चे पुकारते हैं मम्मा

फिर से धरती पर आ जाओ।

 

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दिव्यांग छात्रा रजनी को मिला जन सहयोग से एक हारमोनियम

सहरसा जिले के बैजनाथपुर गांव की अत्यंत गरीब दिव्यांग छात्रा रजनी को मधेपुरा जिले के समाजसेवियों एवं शिक्षाविदों के सहयोग से एक हारमोनियम विश्व संगीत दिवस के अवसर पर दिया गया। इस जन सहयोग हेतु मुख्य भूमिका में रहे समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी एवं बीएनएमयू के पीजी जूलॉजी विभागाध्यक्ष प्रो.(डॉ.)अरुण कुमार। जिन्होंने आनन-फानन में 9 समाजसेवी.शिक्षाविद दानदाताओं से ₹9000 में एक हारमोनियम खरीदकर दिव्यांग रजनी को उसकी माता लीला देवी-पिता साधु दास एवं अन्य के समक्ष हस्तगत कराया। दानदाताओं में डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी एवं डॉ अरुण कुमार के अतिरिक्त डॉ.जवाहर पासवान (प्रधानाचार्य के पी कॉलेज, मुरलीगंज), डॉ.केपी यादव (प्रधानाचार्य टीपी कॉलेज, मधेपुरा), सीनेटर व बीएन मुस्टा के महासचिव डॉ.नरेश कुमार, डॉ.अशोक कुमार (प्रधानाचार्य मधेपुरा कॉलेज मधेपुरा), डॉ.सुनील कुमार (प्रधानाचार्य बाबा सिंघेश्वर नाथ महाविद्यालय), वृंदावन हॉस्पिटल के सर्जन डॉ.बरुण कुमार एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ.रश्मि भारती हैं।

कार्यक्रम प्रांगण जन कल्याण फाउंडेशन के बैनर तले संपन्न हुआ जिसके संस्थापक सुनीत साना और सदस्य संतोष राजा मौजूद थे। इस दरमियान डॉ.मधेपुरी को प्राचार्य डॉ.अशोक कुमार एवं पीजी जूलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ.अरुण कुमार क्रमशः स्नातक एवं स्नातकोत्तर तक रजनी को पढने में सहयोग करने के वचन भी दिए। इस कार्यक्रम के शुरू से अंत तक डॉ.मधेपुरी का उत्साह वर्धन किया साईं भक्त दिगंबर प्रसाद यादव ने।

 

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टीपी कॉलेज के प्राचार्य प्रो.राजीव नंदन यादव अब नहीं रहे

टीपी कॉलेज मधेपुरा में फरवरी 2003 से लगभग 4 वर्षों तक यानि अवकाश ग्रहण करने तक प्रधानाचार्य के रूप में कार्यरत डॉ.राजीव नंदन अब नहीं रहे। एक अर्थशास्त्री के रूप में ख्याति प्राप्त समाजसेवी डॉ.राजीव नंदन ने पूर्व में पूर्णिया कॉलेज पूर्णिया में प्राचार्य के रूप में लंबे समय तक अपनी सेवाएं दी और कॉलेज को आगे बढ़ाया। लोकप्रिय होने के कारण वहीं से उन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस पार्टी द्वारा लोकसभा का प्रत्याशी भी बनाया गया था।

बीएन मंडल विश्वविद्यालय में विभिन्न पदों पर कार्यरत रह चुके  डॉ.भूपेन्द्र नारायण मधेपुरी ने उनके निधन पर शोक प्रकट करते हुए कहा कि उनके जाने से शिक्षा जगत को अपूरणीय क्षति हुई है जिसकी पूर्ति निकट भविष्य में संभव नहीं है। डॉ.मधेपुरी ने बताया कि पूर्णिया विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.राजनाथ यादव एवं भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.आरकेपी रमण ने उनके निधन को शिक्षा जगत की अपूरणीय क्षति बताई है।

शोक प्रकट करते हुए उनके परिजनों टीएमबीयू के पूर्व प्रति कुलपति डॉ.केके मंडल, डॉ.रत्नदीप, डॉ.चंद्रदीप, डॉ.अमरदीप सहित प्रो.रीता कुमारी, प्रो.चंद्रशेखर व अन्य ने दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की।

 

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अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर बोले डॉ.मधेपुरी

समाजसेवी-साहित्यकार व फिजिक्स के प्रोफेसर डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर अपने निवास “वृंदावन” में मौजूद बच्चों से कहा कि योग एक विज्ञान है। योग न केवल हमारे विवेक को बल्कि शारीरिक और मानसिक पीड़ा व परेशानियों को भी कम करता है और सभी प्रकार के संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है। जब भी हमारा शारीरिक व मानसिक संतुलन बिगड़ता है तो हम किसी न किसी रोग से ग्रसित हो जाते हैं। हम नियमित रूप से योग करते रहेंगे तो हमारा शारीरिक एवं मानसिक संतुलन हमेशा बना रहेगा और हम निरोगी बने रहेंगे।

डॉ.मधेपुरी ने यह भी कहा कि योग सबके लिए है। किसी खास धर्म और खास उम्र के लिए नहीं। जैसे ऑक्सीजन सबों के लिए जरूरी है वैसे ही योग हर उम्र के लोगों के लिए जरूरी है। योग प्राणवायु है। योग स्वस्थ जीवन की कुंजी है।

उन्होंने कहा कि एक घंटे योग और बारह घंटे कर्म योग जीवन को पुरुषार्थी बनाता है, समाज को मजबूत बनाता है और देश को आगे ले जाता है। मानवता की रक्षा के लिए योग आवश्यक है। योग प्रत्येक मनुष्य के जीवन को अनुशासित करता है।

डॉ.मधेपुरी ने यह कामना व्यक्त की कि मधेपुरा के लोग योगमय जीवन जीएं। अनुशासित जीवन जीते हुए शांतिपूर्ण तरीके से हक के लिए सत्याग्रह करें ताकि जिला प्रशासन को प्रकृति प्रदत्त बाढ़ की विभीषिका से जूझने का भरपूर अवसर प्राप्त हो सके।

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अग्निपथ के विरुद्ध अग्निवीरों का अग्नि प्रदर्शन अशोभनीय

अग्निवीरों का सवाल है कि चार साल बाद अग्निवीर क्या करेंगे ? अपने ही देश की संपत्ति वे स्वंय जलाएंगे ? आग बुझाने वाले आग लगाने वाले बनेंगे ? ये बातें डॉ.मधेपुरी ने कही।

हां ! देश की सुरक्षा में लगे जवानों के मनोबल को कायम रखना भी देश चलाने वाले रहनुमाओं की जिम्मेदारी बनती है। वर्तमान में सेना में सिपाहियों की 15 वर्ष की नौकरी रहती है। 15 वर्षों तक उनकी शारीरिक शक्ति भी बनी रहती है। सरकार ने सेवा-अवधि में एक-दो साल कम करने के बजाए कुल 4 वर्षों की सेवा कर दी है। क्या सरकार देश की सेवा के लिए एमएलए, एमपी की कुल कार्यावधि 4 साल की तय करेगी। फिर उन्हें परफॉर्मेंस के आधार पर आगे मौका दिया जाएगा। ऐसा नियम बना सकती है सरकार ?

कहा जाता है कि सैनिक एवं अग्नि वीरों के लिए रत्ती भर गुंडागर्दी करने की गुंजाइश नहीं होगी… तो क्या राजनीतिज्ञों और राजनीतिक कार्यकर्ताओं के लिए गुंडागर्दी करने की पूरी छूट होगी ?

देश में शांति व्यवस्था तभी कायम रहेगी जब राजनीति करने वाले विधायक-सांसद सदन में गुंडागर्दी करते रहें, जूता-चप्पल एक-दूसरे पर फेंकते रहें, यहां तक कि अध्यक्ष की कुर्सी-टेबल पर भी माइक तोड़कर फेकते रहें और महिला प्रतिनिधियों की साडी खींचते रहें और सदन के काम ठप्प रहने पर प्रति मिनट करोड़ों का नुकसान होता रहे। देश के सभी सदनों के जनप्रतिनिधियों की सीट के चारों तरफ 7 फीट ऊंचे लोहे के जंगले लगाने एवं उसमें लगे ताले का रिमोट अध्यक्ष के पास रखने वाले स्कीम के लिए समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी के प्रस्ताव की बार-बार अनदेखी क्यों की जाती रही है ?

देश में शांति व्यवस्था तभी कायम रहेगी जब राजनीति करने वाले एमएलए-एमपी सभी महात्मा गांधी, लाल बहादुर शास्त्री, सरदार वल्लभभाई पटेल, गुलजारी लाल नंदा, जयप्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया, भूपेंद्र नारायण मंडल, कर्पूरी ठाकुर, डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम जैसों की जिंदगी जीना स्वीकार करेंगे। नियम सबके लिए एक जैसा हो । नियमित शिक्षक और नियोजित शिक्षक एक जैसे काम करते हैं, परंतु भुगतान अलग-अलग ऐसा क्यों ? देश में समान काम के लिए समान पैसे दिए जाने चाहिए, डिस्पेरिटी को समाप्त किया जाए।

डॉ.मधेपुरी ने कहा चार साल की सेवा के बाद भी पेंशन का टेंशन देने वाले रहनुमाओं को जवाब देना होगा कि चार दिन की सेवा करने वाले एमएलए-एमपी को क्यों दे रहे हो चार-चार पेंशन। उन्होंने कहा कि अग्निवीर तो यह बोल ही सकते हैं कि मंत्रियों, सांसदों को केवल चार साल के लिए ही रखे जाएं और उसके बाद बाहर के रास्ते दिखा दिए जाएं। बिना चार-चार पेंशन दिए ही उन्हें ‘सदन वीर’ का सर्टिफिकेट देकर ससम्मान विदा कर दिए जाएं। वे तो देश के सेवक हैं ना, 15-20 वर्षों तक देश की सेवा करने वाले जाँबाज सैनिक नहीं…… !!

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कुछ नोटों पर टैगोर व कलाम की तस्वीर छापने वाले विचार को देशवासियों का सलाम

पहली बार भारतीय नोटों पर रवींद्र नाथ टैगोर व डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम की तस्वीर छापने जा रहे पीएम नरेंद्र मोदी की टीम को देशवासियों का सलाम है। आजादी के बाद से अब तक भारतीय मुद्रा यानि रुपए पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की तस्वीर ही छपती रही है। एक नहीं अनेक प्रकार के नोटों पर महात्मा गांधी की तस्वीर विश्व के बच्चों द्वारा भी देखी जाती रही है।

बता दें कि नरेंद्र मोदी सरकार का केंद्रीय वित्त मंत्रालय एवं भारतीय रिजर्व बैंक कुछ नोटों की सीरीज पर डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम और रवींद्र नाथ टैगोर के वाटर मार्क तस्वीर देखने को मिल सकती है। इसे अंतिम रूप देने हेतु आरबीआई और सिक्योरिटी प्रिंटिंग एंड मिटिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया द्वारा आईआईटी दिल्ली में महीनों पूर्व गांधी, टैगोर और कलाम के वाटर मार्क के नमूनों के दो-दो सेटों पर कार्यारंभ हो चुका है।

अतः पहली बार भारतीय नोटों पर कवींद्र रवींद्रनाथ टैगोर एवं डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की तस्वीर छापने हेतु कार्यारंभ किए जाने को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी की टीम को समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी ने अग्रिम बधाई भी दी है।

 

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स्थानीय पांडुलिपियों को संरक्षित करने की जरूरत- डॉ.मधेपुरी

संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत कार्यरत इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र द्वारा क्रियाशील राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन द्वारा प्रायोजित एवं भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के अंतर्गत क्रियाशील केंद्रीय पुस्तकालय द्वारा आयोजित 30 दिवसीय उच्च स्तरीय कार्यशाला में विशिष्ट वक्ता के रूप में समाजसेवी-साहित्यकार एवं विश्व विद्यालय में परीक्षा नियंत्रक, कुलानुशासन व कुलसचिव आदि पदों पर कार्य कर चुके भौतिकी के प्रोफेसर डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने समापन के एक दिन पूर्व कहा कि स्थानीय महापुरुषों की पांडुलिपियों को संग्रहित एवं सुरक्षित करने की जरूरत है।

 

डॉ.मधेपुरी ने कहा कि समाज सुधारक एवं स्वतंत्रता सेनानी रासबिहारी लाल मंडल, आधुनिक बिहार के निर्माता शिवनंदन प्रसाद मंडल, समाजवादी चिंतक भूपेन्द्र नारायण मंडल एवं सामाजिक न्याय के पुरोधा बीपी मंडल आदि हमारे जो भी महापुरुष रहे हैं उनकी पांडुलिपियाँ हमारी विरासत का हिस्सा है। हमें इस विरासत को संरक्षित एवं संवर्धित करने की जरूरत है।

भौतिकी के लोकप्रिय शिक्षक रहे प्रो.(डॉ.)भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने वर्कशॉप में उपस्थित विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों से कहा कि संविधान आधुनिक भारत की सबसे महत्वपूर्ण पांडुलिपि है जिसे प्रेम बिहारी नारायण रायजादा को हाथ से लिखने में 6 महीने के समय के साथ 254 बोतल स्याही एवं 303 नीब-होल्डर का उपयोग करना पड़ा था। उन्होंने कहा कि 299 संविधान सभा सदस्यों में चतरा के कमलेश्वरी प्रसाद यादव भी थे। भारत के संविधान को तैयार होने में 2 वर्ष 11 महीने 18 दिन लगे थे। गांधीयन मिसाइल मैन डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा तार पत्रों पर अंकित चिकित्सीय परामर्शों के कंप्यूटरीकृृत करने की चर्चाा के साथ-साथ इतिहासकार हरिशंकर श्रीवास्तव शलभ के अंग लिपि एवं कैथी लिपि की भी भरपूर चर्चा उन्होंने की।

अंत में सीनेटर एवं बीएन मुस्टा के महासचिव नरेश कुमार, कार्यशाला के संयोजक प्रो.(डॉ.)अशोक कुमार, पीआरओ सह आयोजन सचिव डॉ.सुधांशु शेखर, प्रखर उद्घोषक पृथ्वीराज यदुवंशी ने समस्त विद्यार्थियों, शोधार्थियों की मौजूदगी में डॉ.मधेपुरी को बुके, अंगवस्त्रम व प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया व कोटि-कोटि धन्यवाद ज्ञापित किया।

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“मधेपुरा बदलती दिशा और दशा” शीर्षक सौ फ़ीसदी सही- डॉ.मधेपुरी

जन लेखक संघ के जिला कमिटी के तत्वावधान में केंद्रीय कार्यालय डॉ.मधेपुरी मार्ग, साहित्यकार नगर, मधेपुरा वार्ड नंबर 1 में सुकवि डॉ.प्रमोद कुमार सूरज की अध्यक्षता में प्रो.सच्चिदानंद यादव द्वारा लिखित मधेपुरा बदलती दिशा और दशा नामक पुस्तक की समीक्षात्मक संगोष्ठी संपन्न हुई। उद्घाटनकर्ता के रूप में तिलकामांझी विश्वविद्यालय भागलपुर के पूर्व प्रति कुलपति डॉ.केके मंडल ने विस्तार से कहा कि प्रो.सच्चिदानंद यादव की पुस्तक मधेपुरा बदलती दिशा और दशा सिर्फ मधेपुरा ही नहीं विश्व इतिहास को सामने लाया है। डॉ.विनय कुमार चौधरी ने कहा कि लेखक ने मधेपुरा को साहित्यिक गतिविधियों व साहित्य रचना से परिचित कराया है। डॉ.अमोल राय ने कहा कि पुस्तक मधेपुरा में हुए शिक्षण संस्थान की स्थापना एवं शैक्षिक कार्य से अवगत कराती है। पूर्व सीनेटर हीरा कुमार सिंह ने कहा कि इस पुस्तक में विश्व इतिहास की झलक मिलती है।

जन लेखक संघ के राष्ट्रीय महासचिव डॉ.महेंद्र नारायण पंकज ने कहा कि पुस्तक में मधेपुरा का ही नहीं विश्व इतिहास और राजनीतिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक विषय पर विस्तृत चर्चा की गई है। प्राचार्य डॉ.जवाहर पासवान ने अपने गुरु सह पुस्तक के लेखक प्रो.सच्चिदानंद के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए कहा कि अवकाश प्राप्त करने के बाद भी गुरुवर लेखनी के माध्यम से हमारे बीच ज्ञानकोष लुटा रहे हैं। ईश्वर उन्हें दीर्घजीवी बनाए रखें यही प्रार्थना है।  स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ.सीताराम शर्मा ने पुस्तक में मधेपुरा के इतिहास को परोसने की चर्चा करते हुए लेखक से अनुरोध किया कि पुस्तक के शीर्षक को बदलना चाहिए।

अंत में समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने कहा कि कोई भी पुस्तक या व्यक्ति पूर्ण नहीं होता। शिवनंदन बाबू एवं भूपेंद्र बाबू के साथ-साथ इस पुस्तक को संदर्भित करते हुए उन्होंने शिक्षा के महत्व एवं औचित्य को विस्तार से रखा। चंद वरिष्ठ साहित्यकारों द्वारा लेखक प्रो.सच्चिदानंद की पुस्तक की समीक्षा करते हुए यह कहे जाने पर कि पुस्तक के शीर्षक को भी बदल देना चाहिए इस पर डॉ.मधेपुरी ने तर्क देते हुए कहा कि “मधेपुरा बदलती दिशा और दशा” शीर्षक सौ फ़ीसदी सही है।

मौके पर साहित्यकार सियाराम यादव मयंक, डॉ.सिकंदर गुप्ता, डॉ.भूपेन्द्र भूप, शंभू शरण भारतीय, राकेश कुमार द्विजराज, सुभाष चंद्र प्रभाकर, धीरज कुमार, शैलेंद्र पोद्दार आदि ने अपने-अपने विचार प्रकट किए।

 

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