पृष्ठ : मधेपुरा अबतक

समस्त भारत मना रहा है- आजादी का अमृत महोत्सव ! तिरंगामय हुआ मधेपुरा ।।

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प्राचार्य

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खुले हाथ दुनिया से गए महावीर बाबू, लहराता रहेगा उनका कर्म

भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, लालू नगर, मधेपुरा के परिसर में स्थित पांचवें कुलपति व पूर्व सांसद डॉ.महावीर प्रसाद यादव की 26वीं पुण्यतिथि पर उनकी प्रतिमा पर वर्तमान कुलपति प्रो.(डॉ.)आरकेपी रमण, प्रति कुलपति प्रो.(डॉ.)आभा सिंह, कुलसचिव प्रो.(डॉ.)मिहिर कुमार ठाकुर सहित समाजसेवी-साहित्यकार प्रो.(डॉ.)भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी, बीएन मुस्टा के महासचिव व सीनेटर प्रो.(डॉ.) नरेश कुमार, बीएनएमवी के पूर्व प्राचार्य डॉ.पीएन पीयुष, कुलानुशासन डॉ.विश्वनाथ विवेका सहित विश्वविद्यालय के अन्य पदाधिकारी एवं कर्मचारी द्वारा बारी-बारी से माल्यार्पण व पुष्पांजलि की गई।

इस अवसर पर कुलपति, प्रति कुलपति सहित अन्य पदाधिकारियों ने महावीर बाबू के लिए यही कहा कि गुजरे दुनिया से खुले हाथ, पर कर्म सदा लहराता है।

Samajsevi-Educationist Dr.B.N.Yadav Madhepuri paying tribute to Former State Education Minister Dr.Mahavir Babu at BNMU Campus.
Samajsevi-Educationist Dr.B.N.Yadav Madhepuri paying tribute to Former State Education Minister Dr.Mahavir Babu at BNMU Campus.

टीपी कॉलेज में वर्षों महावीर बाबू के साथ कार्यरत रहने वाले भौतिकी के विभागाध्यक्ष प्रो.(डॉ.)भूपेन्द्र मधेपुरी ने कहा कि टीपी कॉलेज की आत्मा यदि प्राचार्य रतन चंद को मानें तो महावीर बाबू को टीपी कॉलेज का विश्वकर्मा लोग सही में कहते हैं।

मौके पर विकास पदाधिकारी डॉ.ललन प्रसाद अद्री, सीनेटर रंजन कुमार, बीएनएमयू के जंतु विज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो(डॉ.)अरुण कुमार जूनियर विश्वकर्मा, डीएसपी मनोज कुमार, उमेश कुमार, डॉ.गजेंद्र कुमार, राष्ट्रीय उद्घोषक पृथ्वीराज यदुवंशी, कुलपति के निजी सहायक शंभू नारायण यादव, कुलसचिव के पीए राजीव कुमार, डॉ.राम नारायण कौशिक आदि मौजूद थे।

 

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प्रजापिता ईश्वरीय विश्वविद्यालय की मधेपुरा शाखा में बीके राजयोगिनी रंजू ने यह अमूल्य उपहार “रक्षाबंधन” कार्यक्रम किया आयोजित

12 अगस्त 2022 को प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की मधेपुरा शाखा “सुख शांति भवन” में बीके रंजू दीदी द्वारा आयोजित भाई-बहन के अटूट प्रेम, श्रद्धा एवं विश्वास के पर्व के रूप में किया गया। इस दौर में पत्थर बनते जा रहे अधिकांश लोगों का ‘दिल’ अब रिश्तो के लिए धड़कना छोड़ दिया है।

अक्षत के नानाश्री राजयोगिनी रंजू दीदी ने समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी को राखी बांधते हुए यही कहा-

भाई-बहन के वैश्विक रिश्तों को याद दिलाने वाला परमात्मा का अमूल्य उपहार है यह- “रक्षाबंधन”।

बाद में बालक अक्षत के माथे पर तिलक लगाते हुए ब्रम्हाकुमारी राजयोगिनी रंजू दीदी ने यही कहा कि यह तिलक शुद्ध, शीतल एवं सुगंधित जीवन जीने की प्रेरणा देती है। अंत में उन्होंने यह भी कहा कि मिठाई खिलाने के पीछे यह राज भरा होता है कि निरंतर मन और संबंधों को मिठास मिलता रहे।

 

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संपूर्ण भारतीय थे डॉ.कलाम- प्राचार्य डॉ.कैलाश

देश के पूर्व राष्ट्रपति भारतरत्न  डॉ.एपीजेअब्दुल कलाम एक संपूर्ण भारतीय थे। उनकी सादगी, विनम्रता एवं कर्तव्यनिष्ठा हम सबों के लिए प्रेरणादायी है। ये बातें  टीपी कॉलेज के प्रधानाचार्य डा. कैलाश प्रसाद यादव ने कही।

वे बुधवार को महाविद्यालय के स्मार्ट सभागार में डॉ. कलाम की 8वीं पुण्यतिथि पर आयोजित सम्मान समारोह की अध्यक्षता कर रहे थे। “जो करेंगे मधेपुरा को गौरवान्वित, डॉ. मधेपुरी करेंगे उन्हें सम्मानित” कार्यक्रम के तहत यह आयोजन टी. एन. बी. ट्रस्ट, मधेपुरा के सचिव डॉ.मधेपुरी द्वारा किया गया।

प्रधानाचार्य ने यह भी कहा कि कलाम ने रामेश्वरम् से राष्ट्रपति भवन तक की यात्रा तय की। उनकी यह यात्रा शून्य से शिखर तक की यात्रा है। वे अति साधारण परिवार में पैदा हुए, लेकिन अपने संघर्षों के दम पर वे असाधारण महापुरुष बन गए। उनका संपूर्ण जीवन हम सबों के लिए प्रेरणादायी है। आज उनके जीवन-दर्शन पर शोध की जरुरत है।

इस अवसर पर ट्रस्ट के सचिव समाजसेवी-साहित्यिकार प्रोफेसर डाॅ. भूपेंद्र नारायण यादव मधेपुरी ने कहा कि कलाम के मन में शिक्षक के प्रति असीम आदर एवं सम्मान था और वे शिक्षक के पद को राष्ट्रपति से भी बड़ा मानते थे। यही कारण है कि राष्ट्रपति बनने के बाद भी वे हमेशा शिक्षकों, विद्यार्थियों एवं बच्चों से जुड़े रहे।

डॉ. मधेपुरी ने विस्तार पूर्वक कहा कि कलाम का संदेश है कि सोते हुए रात्रि में सपना नहीं देखें, बल्कि जागते हुए सपना देखें। कभी भी एक लक्ष्य की प्राप्ति के बाद रुकें नहीं, बल्कि हमेशा आगे बढ़ते रहें। हमेशा अपना लक्ष्य बड़ा रखें, क्योंकि छोटा लक्ष्य अपराध है।

मुख्य अतिथि बीएनएमयू के जंतु विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. अरूण कुमार ने कहा कि कलाम ने देश की राजनीति को नई दिशा दी है। आज भी देश को कलाम जैसे राजनेताओं की जरूरत है।

विशिष्ट अतिथि जनसंपर्क पदाधिकारी डॉ. सुधांशु शेखर ने कहा कि कलाम जाति-धर्म की सीमाओं से परे थे। उनका जीवन-दर्शन हमारे लिए अनुकरणीय है।

शिक्षाशास्त्र विभाग के अध्यक्ष डॉ. जावेद अहमद ने कहा कि कलाम का बचपन काफी संघर्ष में गुजरा।

हर्षवर्धन सिंह राठौर ने कहा कि कलाम यह मानते थे कि जो दूसरों के चेहरे पर मुस्कान लाते हैं, उनका ही जीवन सार्थक होता है। सबों ने मधेपुरा की उड़नपरी सुमन भारती  ललिता एवं कबड्डी के लाइफ लाइन सचिव अरुण कुमार की भरपूर तारीफ की । धाविका ललिता के कोच शंभु कुमार ने बताया कि ललिता ने अपने जीवन में काफी संघर्ष किया और मधेपुरा का नाम रौशन किया है।

जिला कबड्डी संघ के सचिव अरुण कुमार ने कहा कि विश्वविद्यालय की खेल प्रतिभाओं को निखारने के लिए कोचिंग की समुचित व्यवस्था करने की जरुरत है। यह सुनकर लोगों ने खूब तालियां बजाई।

इस अवसर पर डाॅ. उपेन्द्र प्रसाद यादव, डॉ.शिवनंदन कुमार, अमित कुमार, डाॅ. मिथिलेश कुमार, कुंजन लाल पटेल, मो. नदीम, डाॅ. अशोक कुमार अकेला, विवेकानन्द, सौरभ कुमार चौहान, डेविड यादव आदि उपस्थित थे। इसके पूर्व कार्यक्रम की शुरुआत में सभी अतिथियों ने कलाम के चित्र पर पुष्पाजलि की। दोनों सम्मानित पुरस्कार विजेताओं सुमन भारती ललिता एवं अरुण कुमार को शाॅल, पाग, पुष्पगुच्छ एवं स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ.छोटे लाल यादव ने किया

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रायरंगपुर से रायसीना तक पहुंची द्रोपदी मुर्मू

भारत के 15वें  राष्ट्रपति चुनाव में कुल 4809 लोग वोट करते हैं, जिनमें 776 सांसद और 4033 निर्वाचित विधायकगण शामिल होते हैं। यह भी जानिए कि राष्ट्रपति के चुनाव में मनोनीत सांसद व विधायक एवं विधान परिषद के सदस्यगण मतदान नहीं करते हैं।

आदिवासी समुदाय से आने वाली श्रीमती द्रौपदी मुर्मू देश की राष्ट्रपति बनी तो उनके ग्राम वासियों में जबरदस्त खुशी देखने को मिल रही है। सारा गांव ही नहीं, देश के कोने-कोने में नगाड़े की आवाज गूंज रही है। चारो ओर जश्न का माहौल है।

गांव में शिक्षक से करियर की शुरुआत और अब 25 जुलाई को शपथ ग्रहण करने के बाद भारत की तीनों सेना की सर्वोच्च कमांडर बनेगी श्रीमती द्रौपदी मुर्मू, जिसे विश्व कहेगा- “फर्स्ट सिटीजन ऑफ इंडिया” यानि भारत का पहला नागरिक।

महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू का जीवन दर्शन यही है- “खुद को कभी छोटा ना समझें हम खुद आगे नहीं बढ़ेंगे तो कोई दूसरा हमें आगे नहीं बढ़ा सकता।”

महामहिम गांधीयन मिसाइल मैन भारतरत्न डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम के अत्यंत करीबी रहे समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने श्रीमती द्रौपदी मुर्मू की जीत पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी एवं बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार को शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए यही कहा कि नवनिर्वाचित राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू भी डॉ.कलाम की तरह रायरंगपुर से रायसीना की पहाड़ी तक पहुंचने में संघर्ष को ही जीवन पथ का संबल बनाया है।

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जननायक कर्पूरी छात्रावास जल्द ही सभी जगहों पर बनेगा- सीएम नीतीश

विकास पुरुष के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि हमने जननायक कर्पूरी छात्रावास का निर्माण शुरू करा दिया है। कुछ जगहों पर बना और कुछ जगहों पर नहीं बना है। जहां नहीं बना है वहां जल्द बने।

नीतीश कुमार ने कहा कि पहले मात्र 3 छात्रावास थे। आज 9 छात्रावास का शिलान्यास हुआ है। कुल 23 जननायक कर्पूरी छात्रावास बन चुके हैं। शेष जगहों पर जल्द ही बनेगा।

मौके पर समाजसेवी-साहित्यकार प्रो.(डॉ.)भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने बताया कि मधेपुरा कॉलेज के कौशल्या ग्राम में बरसों से छात्र हित में बना कर्पूरी छात्रावास बर्षों से क्रियाशील है। जिसमें कर्पूरी जी की प्रतिमा लगाने हेतु डॉ.मधेपुरी ने कालेज के प्राचार्य डॉ.अशोक कुमार से वर्षों पूर्व चर्चाएं की थी और प्रधानाचार्य से सहमति भी प्राप्त कर ली थी।

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सृजन की क्षमता भरपूर अध्ययन की ऊर्जा से निकलती है- डॉ.मधेपुरी*

कवयित्री डॉ.शांति यादव द्वारा रचित “वैदेही का अंतर्द्वन्द्व” आठ सर्गों में लिखी गई एक खंडकाव्य है। इस खंड काव्य की समीक्षा हेतु कौशिकी क्षेत्र हिन्दी साहित्य सम्मेलन संस्थान के अंबिका सभागार में आयोजन किया गया। जिसमें नामचीन साहित्यकारों व कवियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। आयोजन का उद्घाटन कौशिकी के अध्यक्ष डॉ.केके मंडल ने किया। मौके पर कवयित्री डॉ.शांति यादव का सम्मेलन के अध्यक्ष व सचिव द्वारा अंगवस्त्रम, पाग, बुके, मोमेंटो आदि के साथ भरपूर सम्मान किया गया।

विद्वान उद्घाटनकर्ता डॉ.के.के. मंडल ने कहा कि ‘विदेह’ कहलाने वाले राजा जनक की छत्र-छाया में पली-बढ़ी सीता को स्वर्ण-मृग पाने की लालसा होना या फिर धनुर्विद्या में विशारद सीता का रावण द्वारा अपहरण-प्रसंग में स्वयं के बचाव के लिए कोई संघर्ष नहीं करना भी तो वैदेही के अंतर्द्वंद को दर्शाता है। इस तरह कवयित्री ने विभिन्न प्रसंगों को लेकर वैदेही के अंतर्द्वन्द्वों की व्याख्या इस खंडकाव्य में अत्यंत करीने से की है। डॉ.शांति यादव उच्च कोटि की विदुषी है। वह और आगे बढ़ेगी। निश्चय ही “वैदेही का अंतर्द्वन्द्व” एक साहित्यिक रचना है।

इस अवसर पर जनलेखक संघ के राष्ट्रीय महासचिव व राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत साहित्यकार डॉ.महेंद्र नारायण पंकज ने “वैदेही का अंतर्द्वन्द्व” की विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि नारी सशक्तिकरण की दिशा में यह खंडकाव्य मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने कहा कि देश की बेटियों को अब वैदेही की भांति अपना जीवन “बिरोग” में व्यतीत करने की विवशता नहीं होगी। अब बेटियां ना तो जीवन में संघर्ष को स्थगन देंगी और ना ही जीवन की गति को कभी विराम देंगी।

सम्मेलन के सचिव डाॅ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने कहा कि “वैदेही का अंतर्द्वन्द्व” खंडकाव्य में भाषाई स्वरूप, काव्य-शिल्प, भरपूर विजन एवं अद्भुत सृजन के दर्शन होते हैं। यह सच है कि सृजन की क्षमता भरपूर अध्ययन की ऊर्जा से निकलती है। तभी तो कवयित्री ने वाल्मीकि रामायण, तुलसीकृत रामचरितमानस, गीतावली, भवभूति कृत उत्तर रामचरितमानस, कालिदास कृत रघुवंशम, दशरथ जातक सहित विभिन्न महान प्रकाशकों की संदर्भित रचनाओं के गहन अध्ययन की चर्चा पुस्तक की भूमिका में ही की है। वह यह कि रामकथा का सर्वाधिक लोकप्रिय प्रसंग है- लक्ष्मण-रेखा, परंतु इसकी चर्चा ना तो बाल्मीकि रामायण में है और ना ही रामचरितमानस में।

समीक्षात्मक गोष्ठी में प्रो.मणि भूषण वर्मा, डॉ.सीताराम शर्मा, डॉ.विश्वनाथ विवेका, प्रो.शचिंद्र, डॉ.शैलेंद्र कुमार, आचार्य योगेश्वर डॉ.प्रमोद कुमार सूरज. डॉ. गजेंद्र कुमार, डॉ.सुरेश भूषण, डॉ.ओमप्रकाश ओम, डॉ.यशवंत कुमार ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किए जिनके संबोधन का सार यही है कि आस्था, धर्म, राजनीति से सर्वथा अलग भावभूमि पर इस खंडकाव्य की रचना हुई है। अंत में राकेश कुमार द्विजराज, अरुण कुमार (फर्जी हास्य कवि), अर्चना कुमारी, रमन जी, अभिनंदन यादव, सियाराम यादव मयंक, शिवजी साह, ध्यानी यादव, नितिन कुमार, श्याम बहादुर पाल, प्रदीप कुमार सिंह कवियों ने अपनी प्रतिनिधि कविताओं का पाठ कर संस्थापक पंडित युगल शास्त्री प्रेम को याद किया। कार्यक्रम सहयोगी बने रहे डॉ.अरुण कुमार एवं श्यामल कुमार सुमित्र।

 

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एमएलसी डॉ.संजीव का मधुराम+2 विद्यालय ग्वालपाड़ा के शिक्षकों ने किया स्वागत

कोशी शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के विधान पार्षद डॉ.संजीव कुमार सिंह अपने पिताश्री स्मृतिशेष डॉ.शारदा प्रसाद सिंह की भांति क्षेत्र भ्रमण करने एवं स्कूल व कालेजों के शिक्षकों की समस्याओं से रू-ब-रू होने तथा समाधान करने में सदैव लगे रहते हैं। अपने सत्कर्म के चलते शारदा बाबू भी ताजिंदगी कोसी शिक्षक क्षेत्र के एमएलसी बने रहे। डॉ.संजीव भी पिता के पदचिन्हों पर चलते हुए शिक्षक मतदाताओं के दिलों में जगह बनाने में लगे रहते हैं। यही कारण है कि वे जहां भी जाते हैं वहीं भरपूर स्वागत पाते हैं।

बता दें कि एमएलसी डॉ.संजीव कुमार सिंह अपने क्षेत्र भ्रमण के दौरान जिले के ग्वालपाड़ा प्रखंड मुख्यालय के मधुराम+2 विद्यालय पहुंचे जहां उपस्थित शिक्षकों डॉ.विनय कुमार विश्वकर्मा, भूपेंद्र कुमार, राजेश कुमार, निरंजन कुमार, मनोज कुमार शर्मा, पवन कुमार यादव आदि मौजूद थे। हेड मास्टर संजय कुमार ने स्वागतोपरांत विद्यालय की समस्याओं से विधान पार्षद को अवगत कराया और समस्या के निदान के लिए पहल करने का आग्रह किया। अंत में डॉ.संजीव ने स्थानीय एमएमभी कॉलेज गए और प्राचार्य प्रोफेसर कैलाश प्रसाद यादव को महाविद्यालय की समस्या के समाधान का आश्वासन दिया।

 

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रमई राम के निधन से मर्माहत हुए डॉ.मधेपुरी

जदयू के वरिष्ठ नेता समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने कहा कि रमई राम के निधन से राजनीतिक एवं सामाजिक क्षेत्र में अपूरणीय क्षति हुई है। उनके निधन से मैं व्यक्तिगत रूप से मर्माहत हूं। जब वे जनता दल के प्रदेश अध्यक्ष हुआ करते थे तब मैं प्रदेश जनता दल के कार्यकारिणी का सदस्य रहा करता था। वे प्राय: अपने सरकारी निवास पर ही प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक किया करते थे। वे कभी किसी से दबकर नहीं रहे। वे केवल अपने मतदाताओं के सामने दबकर रहते, चुनाव जीतते और 5 वर्षों तक उनकी बेहतरी के लिए दहाड़ते रहते। वे कुल 9 बार विधायक रहे। मंत्री भी बनते रहे। ना किसी से दबे और ना डरे। राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार संपन्न हुआ। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे।

 

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समाज में जातीय जटिलता तोड़ने पर ही समाजवाद सशक्त होगा- प्रो.चंद्रशेखर

वेद व्यास महाविद्यालय में गुरु पूर्णिमा के दिन मनाई गई महर्षि वेदव्यास की भव्य जयंती। उद्घाटन कर्ता के रूप में मधेपुरा के विधायक व पूर्व आपदा प्रबंधन मंत्री प्रो.चंद्रशेखर ने कहा कि समय-समय पर देश को मजबूती प्रदान करने के लिए महान विभूति अवतरित होते हैं। उन्होंने विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि समाज में जातीय जटिलता तोड़ने पर ही समाजवाद सशक्त होगा।

मुख्य अतिथि मंडल विश्वविद्यालय के पूर्व प्रति कुलपति डॉ.रामदेव प्रसाद ने कहा कि वेदव्यास अपनी रचनाओं में भारतीय संस्कृति को जो अवदान दिया है वह अति विशिष्ट है। वेदव्यास कर्मवादी गुरु एवं चिंतक थे। उनकी रचना महाभारत कर्म, ज्ञान एवं उपासना का सार है। विशिष्ट अतिथि सिंहेश्वर विधायक चंद्रहास चौपाल ने कहा कि वेद और पुराण सनातन हिन्दू संस्कृति का आधार है।

इस अवसर पर समाजसेवी-साहित्यकार प्रो.(डॉ.)भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने विस्तार से गुरु की महत्ता एवं वेदव्यास को गुरुओं के गुरु ब्रह्मा-विष्णु-महेश का साक्षात प्रतिनिधि बताया। डॉ.मधेपुरी ने महर्षि वेदव्यास को संस्कृति पुरुष, दिव्य विश्वकोश एवं ज्ञानावतार बताते हुए कहा कि उनका अवदान समस्त मानवता की धरोहर है। उनकी रचनाएं वर्तमान साहित्य की संचित निधि है।

अध्यक्षता करते हुए जहां संस्थापक सचिव डॉ.रामचंद्र प्रसाद मंडल ने कहा कि महर्षि वेदव्यास संपूर्ण मानवता के सार तत्व हैं वहीं कॉलेज के शालीन प्रधानाचार्य डॉ.आलोक कुमार ने कहा कि भारतीय संस्कृति वेदव्यास की रचनाओं के कारण ही समृद्ध है। विशिष्ट वक्ता के रूप में रिटायर्ड एचएम दुर्गानंद विश्वास एवं जिलाध्यक्ष जयकांत यादव ने जयंती की महिमा एवं उपयोगिता को बताते हुए कहा कि वेदव्यास की विशिष्ट कृति हर काल खंडों में याद किया जाता रहेगा।

इस अवसर पर विद्वतगण  डॉ.विनय कुमार चौधरी, डॉ.सीताराम शर्मा, डॉ.जगदीश नारायण प्रसाद सहित संत गंगा दास, प्रोफ़ेसर फुलेश्वर पंडित, प्रोफेसर प्रकाश मिश्रा, प्रोफेसर रंजना कुमारी, प्रोफेसर मणि भूषण वर्मा आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम में हरि साह, ध्यानी यादव, राजेश मल्लाह, बालकृष्ण यादव आदि मौजूद रहे। अंत में प्रोफेसर मणिभूषण वर्मा ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

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