सर्जन डॉ.प्रभात कुमार सिंह और स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ.कल्याणी सिंह द्वारा वर्ष 2012 में स्थापित एलबीकेएमसीएच दिनांक 16 सितंबर को अपना 11वां स्थापना दिवस उत्साह पूर्वक मनाया। अनुभवी प्राचार्य डॉ.अशोक कुमार यादव एवं अन्य कॉलेज कर्मियों द्वारा बुद्धा मेडिकल कॉलेज के आलीशान भवनों को दुल्हन की तरह सजाया गया था। छात्र-छात्राओं द्वारा रात तक रंगारंग कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी गई।
सर्वप्रथम संस्थापक डॉ.पीके सिंह, डॉ.कल्याणी सिंह, मुख्य अतिथि प्रो.(डॉ.)भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी, प्राचार्य डॉ.अशोक कुमार यादव आदि द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का श्रीगणेश किया गया। तत्पश्चात संस्थापक निदेशक डॉ.पीके सिंह द्वारा अपने संबोधन में छात्रों को उत्साहित करते हुए यही कहा गया कि 2025 तक वे किसी युवा को यह भार सौंपना चाहेंगे।
मुख्य अतिथि के रूप में बीएन मंडल विश्वविद्यालय में कुलानुशासन व कुलसचिव रह चुके डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने बुद्धा मेडिकल कॉलेज के संस्थापक सहित छात्रों व कर्मियों को संबोधित करते हुए अत्यंत रोचक संदेश देते रहे और जमकर तालियां बटोरते रहे। उन्होंने संस्थापक डॉ.पी के सिंह से कहा कि उम्र को दराज में रख दो उम्र दराज मत बनो…। डॉ.मधेपुरी ने बुद्ध, नानक और कबीर को संदर्भित करते हुए छात्रों व कर्मियों को संदेश देते रहे। अंत में उन्होंने भारतरत्न डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम को संदर्भित करते हुए कहा कि नोबेल पुरस्कार विजेता लेखक डॉ.ए केरौल की पुस्तक “मैन द अननोन” चिकित्सकों एवं मेडिकल छात्रों के लिए गीता और कुरान के समान है तथा मरीजों के लिए संजीवनी। इस अवसर पर सर्जन डॉ.डीके सिंह, डॉ.आरके पप्पू एवं बिंदेश्वरी प्रसाद यादव आदि गणमान्य मौजूद थे।
समाहरणालय के डीआरडीए परिसर स्थित झल्लू बाबू सभागार में 70वाँ हिन्दी दिवस समारोह एडीएम रवींद्र नाथ प्रसाद सिंह की अध्यक्षता में आयोजित की गई। जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी, जिला निर्वाचन पदाधिकारी नीरज कुमार, जिला नजारत उप समाहर्ता संजीव तिवारी सहित ओएसडी चंदन कुमार एवं कल्याण पदाधिकारी, सहायक निदेशक सामाजिक सुरक्षा कोषांग के अतिरिक्त समाहरणालय के विभिन्न विभागों के कर्मियों की अच्छी-खासी उपस्थिति थी। सबों ने हिन्दी को अपनाने पर जोर दिया।
सर्वपथम मुख्य वक्ता डॉ.मधेपुरी ने अपने संबोधन में कहा कि इस अवसर पर सर्वाधिक प्रसन्नता हो रही है कि 70वें हिन्दी दिवस की अध्यक्षता वैसी शख्सियत द्वारा की जा रही है जिन्होंने प्रशासनिक सेवा में रहते हुए दर्जनों पुस्तकें हिन्दी में लिखी है, जिन्हें बच्चे अमेजॉन पर पढ़कर लाभ उठा रहे हैं। डॉ.मधेपुरी ने देश की एकता और अखंडता बनाए रखने के लिए भारतीय रेल, खेल, सिनेमा, महात्मा गांधी और हिन्दी की आवश्यकता पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए यही कहा कि भारत में अंग्रेजी को बनाए रखने की कोशिश भारतीय जनक्रांति के साथ विश्वासघात है।
अंत में साहित्यकार सह अध्यक्ष एडीएम रवींद्र नाथ प्रसाद सिंह ने हिन्दी के औचित्य को विस्तार से रखते हुए कहा कि इस अवसर पर हिन्दी में बेहतर ढंग से संचिकाओं का निष्पादन करने वाले पदाधिकारियों एवं शहर के गणमान्य हिन्दी सेवियो को भी सम्मानित किया जाना चाहिए। धन्यवाद के साथ समारोह समाप्ति की घोषणा की गई।
समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने अपने निवास ‘वृंदावन’ में नारियल दिवस मनाते हुए इसके उद्देश्यों को विस्तार से बताया। नारियल की खेती के प्रति लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने, इसकी अहमियत बताने एवं इस फसल की ओर राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय ध्यान आकर्षित करने के लिए कुछ लोगों के बीच डॉ.मधेपुरी ने नारियल के पेड़ों का वितरण भी किया।
जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि 2009 से हर साल 2 सितंबर को दुनिया में ‘विश्व नारियल दिवस’ मनाया जाता है। प्रकृति प्रदत्त उत्पादों में एक है- ‘नारियल’ जिसके बहुमुखी उपयोग हैं। आयुर्वेदिक उपयोग के अतिरिक्त खाने-पीने एवं कॉस्मेटिक से लेकर भारतीय व विदेशी व्यंजनों में भी नारियल का उपयोग किया जाता है। डॉ.मधेपुरी ने यह भी कहा कि न केवल स्वास्थ्य के लिहाज से बल्कि आर्थिक रूप से भी नारियल महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। विश्व में नारियल उत्पादक 18 देशों में भारत भी शामिल है। सबसे ज्यादा नारियल का उत्पादन इंडोनेशिया करता है। तभी तो इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में भी विश्व नारियल समुदाय का हेड ऑफिस स्थापित किया गया है।
कौशिकी क्षेत्र हिन्दी साहित्य सम्मेलन रविवार को तुलसी दास की जयंती अपराहन 2:00 बजे से अंबिका सभागार में पूर्व प्रति कुलपति डॉ.केके मंडल की अध्यक्षता में मनाई गई।
सर्वप्रथम गोस्वामी तुलसीदास के तैल चित्र पर अध्यक्ष डॉ.केके मंडल, सचिव डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी, मुख्य अतिथि प्रोफेसर शचीन्द्र व डॉ.अरुण कुमार एवं विदुषी उर्वशी कुमारी और उपस्थित साहित्यानुरागियों द्वारा पुष्पांजलि की गई। कार्यक्रम का शुभारंभ संगीत के मर्मज्ञ उमेश कुमार, संगीत शिक्षक, टीपी कॉलेजियेट मधेपुरा, द्वारा भजन “तुम काहे को जग में आया रे” से किया गया।
रामचरितमानस में सामाजिक सद्भाव विषय पर संवाद की शुरुआत मुख्य वक्ता प्रो.मणि भूषण वर्मा द्वारा विस्तार से विभिन्न उदाहरणों द्वारा समझाते हुए की गई। सामाजिक सद्भाव की बारीकियों को प्रोफेसर वर्मा द्वारा प्रदर्शित करते हुए खूब तालियां बटोरी गई। उन्होंने कहा कि पारिवारिक समरसता का अद्भुत उदाहरण है तुलसी का रामचरितमानस।
सचिव डॉ.मधेपुरी ने कहा कि विस्तार से रामचरितमानस में विज्ञान भरा-पड़ा है। उन्होंने दर्पण की परिभाषा तुलसी की पंक्तियों “श्री गुरु चरण सरोज राज……” द्वारा समझाया। अवकाश प्राप्त निदेशक जगनारायण यादव ने आइंस्टीन की के सापेक्षवाद को संदर्भित करते हुए रामचरितमानस की विस्तृत चर्चा की।
इस अवसर पर स्थानीय +2 विद्यालयों के सर्वश्रेष्ठ छात्र-छात्राओं को भाषण प्रतियोगिता विषय- “रामचरितमानस की प्रासंगिकता” में चयनित होने पर पुरस्कृत किया गया। रासबिहारी उच्च विद्यालय के प्रियांशु कुमार, टीपी कॉलेजिएट की छात्रा सृष्टि कुमारी, केशव कन्या बालिका उच्च विद्यालय की छात्रा रश्मि कुमारी और एसएनपीएम के छात्र अंशु कुमार( प्रथम) को अंगवस्त्रम, मोमेंटो, पाग व पुष्पगुच्छ देकर अध्यक्ष डॉ. केके मंडल, सचिव डॉ,मधेपुरी, मुख्य अतिथि प्रो.शचीन्द्र एवं विदुषी उर्वशी कुमारी द्वारा सम्मानित किया गया।
अध्यक्षीय संबोधन में डॉ.केके मंडल ने विस्तार से कहा कि रामचरितमानस में विज्ञान से बढ़कर राजनीति के सिद्धांतों की झलक मिलती है। सामाजिक समरसता पर तो मानस को महारत प्राप्त है।
मौके पर मुख्य अतिथि प्रो.शचीन्द्र, डॉ.अरुण कुमार, पूर्व पार्षद ध्यानी यादव, हिंदी के शोधार्थी सुनील कुमार एवं बीएनएमयू में हिंदी के छात्र शंकर सुमन, जिला प्रचारक दिवाकर यादव, प्रमोद यादव, मनीष कुमार आदि भी अपने विचार व्यक्त किए। अंत में धन्यवाद ज्ञापन श्यामल कुमार सुमित्र ने किया।
शिक्षा मंत्री प्रो.चंद्रशेखर 27 अगस्त को पटना से सड़क मार्ग से अपने काफिले के साथ गुजरते हुए प्रत्येक चौक-चौराहे पर महागठबंधन के कार्यकर्ताओं, शिक्षकों, प्राध्यापकों व आमजनों का स्वागत स्वीकारते हुए निर्धारित समय से 2 घंटे बाद मधेपुरा पहुंचे।
मधेपुरा प्रवेश करते ही वे सर्वप्रथम समाजवादी चिंतक भूपेन्द्र नारायण मंडल की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने हेतु उतरे, जहां पर समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी पूर्व से ही मौजूद थे। काफिले को नीचे छोड़ शिक्षा मंत्री प्रो.चंद्रशेखर ने डॉ.मधेपुरी के साथ उस मनीषी की प्रतिमा पर श्रद्धा सहित माल्यार्पण किया। फिर आगे बढ़ते हुए सामाजिक न्याय के पुरोधा बीपी मंडल, जननायक कर्पूरी ठाकुर, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, शहीद सदानंद के प्रतिमा स्थल पर माल्यार्पण करते हुए सभा स्थल केशव कन्या उच्च विद्यालय में रायबहादुर केशव प्रसाद की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। घंटों लग गया उन्हें लोगों द्वारा माला, बुके, शाॅल, पाग व स्वागत गीत सहित फोटो खिंचवाने में। इस दरमियान पंखा के बावजूद वे पसीना-पसीना होते नजर आते रहे।
शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर ने कहा कि शिक्षा दुनिया को बदलने का सबसे शक्तिशाली हथियार है। उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षा किसी जाति या धर्म का दास नहीं है। जातिवाद देश के विकास में सबसे बड़ी बाधा है।
शिक्षा मंत्री प्रो.चंद्रशेखर के स्वागत समारोह में पूर्व मंत्री अशोक कुमार सिंह, पूर्व मंत्री डॉ.रमेश ऋषिदेव, पूर्व सांसद विश्वमोहन मंडल, पूर्व विधायक अरुण कुमार यादव, पूर्व विधायक परमेश्वरी प्रसाद निराला, सिंहेश्वर के विधायक चंद्रहास चौपाल, शांतनु बुंदेला, एमएलसी अजय कुमार सिंह, समाजसेवी-साहित्यकाार डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी, राजद के जिलाध्यक्ष जयकांत यादव, जदयू की जिलाध्यक्षा मंजू कुमारी उर्फ गुड्डी देवी, जिला परिषद अध्यक्षा मंजू देवी, कांग्रेस के जिला अध्यक्ष सत्येंद्र कुमार सिंह, राजद नेत्री रागिनी रानी, पूर्व जदयू जिला अध्यक्ष प्रो.बिजेंद्र नारायण यादव, रामकृष्ण यादव, नरेश पासवान, अशोक चौधरी आदि। सीपीआई के राष्ट्रीय परिषद के सदस्य प्रमोद प्रभाकर ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। आरंभ में गांधी कुमार मिस्त्री के नेतृत्व में केशव कन्या की छात्राओं ने स्वागत गान प्रस्तुत किया।
25 अगस्त 2022 को बीपी मंडल की 105वीं जयंती राजकीय सम्मान समारोह के साथ उनके पैतृक गांव मुरहो (मधेपुरा) में जिला प्रशासन के सहयोग से मनाई जाएगी। बीपी मंडल के साथ बिताए गए समय का स्मरण करते हुए समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने उनके संबंध में अपना विचार यूं व्यक्त किया।
इस संसार में न जाने कितने बच्चे रोज जन्म ग्रहण करते हैं, परंतु उनमें से कुछ ही बच्चे अपनी प्रतिभा, पुरुषार्थ एवं पराक्रम के साथ-साथ साहस भरे सतकर्मों के चलते दुनिया वालों को मजबूर करते हैं कि वे उन्हें याद करें कि वह बच्चा कौन था ? किस दिन जन्म लिया था ? उनके माता-पिता कौन थे….. ?
वैसे ही बच्चों में से एक हैं- मंडल कमीशन के अध्यक्ष एवं सामाजिक न्याय के पुरोधा श्री बिंध्येश्वरी प्रसाद मंडल, जिसे सारी दुनिया बीपी मंडल के नाम से जानती है।
वही बीपी मंडल जो आजादी के बाद मधेपुरा से विधायक, सांसद, मंत्री एवं मुख्यमंत्री बनकर ताजिंदगी हासिये पर खड़े अंतिम व्यक्ति की पीड़ाओं से रू-ब-रू होते रहे और गहराई से उनकी पीड़ाओं को महसूसते भी रहे। हासिये पर खड़े सामाजिक एवं शैक्षिक रूप से पिछड़े, चाहे वे किसी भी जाति-धर्म के क्यों न हों, को आरक्षण का लाभ देकर खुद के जीवन गंगा को पवित्र बनाकर चले गए। तभी तो विगत वर्षों में सुलझे सोच कर दो निर्भीक इंसान- मंडल और मंडेला का नाम संपूर्ण दुनिया में एक साथ गूंजता रहा।
बीपी मंडल का जन्म 25 अगस्त, 1918 को काशी (उप्र) में हुआ था। पिता रास बिहारी लाल मंडल, माता सीतावती मंडल, ग्राम- मुरहो मधेपुरा। वे ब्रिटिश भारत में अवैतनिक दंडाधिकारी रहे। स्वतंत्र भारत में तीन बार विधायक, दो बार सांसद, एक बार बिहार विधान परिषद सदस्य और एक बार मुख्यमंत्री भी बने। वे पिछड़ा वर्ग आयोग-2 के अध्यक्ष एवं बिहार राज्य नागरिक परिषद के ताजिंदगी उपाध्यक्ष भी रहे। उन्होंने 4 देशों चेकोस्लोवाकिया, रोमानिया, बुल्गारिया, युगोस्लाविया की विदेश यात्रा भी की थी। अंत में 13 अप्रैल, 1982 को पटना में उन्होंने अंतिम सांस ली। पैतृक गांव में उनका पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन हुआ। अब प्रतिवर्ष 25 अगस्त को बीपी मंडल की जयंती राजकीय समारोह के रूप में जिला प्रशासन मधेपुरा के सहयोग से आयोजित की जाती है।
हवाई सर्वेक्षण कर मुख्यमंत्री ने कम वर्षा से उत्पन्न स्थिति का लिया शुक्रवार को जायजा। सूबे के मुखिया ने हवाई अड्डा पर ही पदाधिकारियों की मीटिंग की। किसानों को राहत देने के लिए योजनाएं बनाने का निर्देश दिए। मुख्यमंत्री औरंगाबाद, जहानाबाद, गया के साथ-साथ नालंदा और पटना को भी देखा।
बता दें कि सूबे में सामान्य से 285 एमएम कम बारिश अब तक हुई है और 15 छोटी-छोटी नदियां सूख गई हैं। कम बारिश से जहानाबाद, गया व औरंगाबाद में धान की रोपनी बहुत कम हुई है। सीएम किसानों के लिए चिंतित हैं और उच्चाधिकारियों को यही कह रहे हैं कि किसानों की बेहतरी के लिए शीघ्रातिशीघ्र योजनाएं बनाएं।
पर्वत पुरुष दशरथ मांझी की पुण्य तिथि 17 अगस्त से लेकर अंबेडकर की पुण्यतिथि 6 दिसंबर 22 तक प्रदेश द्वारा निर्देशित कार्यक्रम के प्रथम दिन से ही जिला अध्यक्षा मंजू कुमारी उर्फ गुड्डी देवी, जिला प्रभारी प्रो.शिव कुमार यादव, प्रदेश अनुसूचित जाति प्रकोष्ठ से नियुक्त प्रभारी आनंद रजक एवं समाजसेवी-शिक्षाविद प्रो.(डॉ)भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी सहित दलित प्रकोष्ठ के नेता नरेश पासवान, जिला मुख्य प्रवक्ता डॉ.नीरज कुमार, व्यवसायिक प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष अशोक चौधरी, डॉ.धर्मेंद्र राम, महेंद्र पटेल, युगल पटेल, महेंद्र ऋषिदेव, रामेश्वर मेहतर, शिवनारायण सादा, नरेश ऋषिदेव, छेदनी देवी आदि ने स्थानीय वार्ड नंबर-21 के अनुसूचित जाति की बस्ती में जाकर पर्वत पुरुष दशरथ मांझी के संकल्प एवं अंबेडकर के ज्ञान सहित मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा दलितों के लिए किए गए कार्यो की विस्तार से चर्चाएं की।
इस अवसर पर अध्यक्षता कर रहे अधिवक्ता शिवनारायण सादा एवं पूर्व वार्ड पार्षद नरेश ऋषिदेव को संबोधित करते हुए मौजूद नर-नारियों के बीच शिक्षाविद डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी ने कहा कि आप अपने आपको असहाय मत समझें। आप सबके अन्दर ईश्वरीय तेज छिपा है। उस चीज को पंख देने की कोशिश कीजिए और अपने सभी बच्चों को शिक्षित कीजिए। नीतीश कुमार ने दलितों को मुख्यधारा में लाने के लिए क्या नहीं किया है। एकल पद में भी आरक्षण देने का साहस नीतीश ने किया है।
इस अवसर पर प्रो.शिव कुमार यादव ने मैथिली में सीएम नीतीश कुमार द्वारा क्रियाशील दलितों के हित विभिन्न योगदानों का बखान किया और आनंद रजक ने हिन्दी में उद्गार व्यक्त किया। अंत में अध्यक्षीय भाषण देते हुए अध्यक्ष शिव नारायण सादा ने समापन की घोषणा की।
बुधवार को जिला जदयू अध्यक्षा गुड्डी देवी के आवासीय परिसर स्थित कार्यालय में जिला अनुसूचित जाति प्रकोष्ठ के अध्यक्ष महेंद्र ऋषिदेव की अध्यक्षता में पर्वत पुरुष दशरथ मांझी की 16वीं पुण्यतिथि मनाई गई। इस कार्यक्रम में जिले के तेरहो प्रखंड के अनुसूचित जाति प्रकोष्ठ के प्रखंड अध्यक्ष सहित सक्रिय कार्यकर्ताओं की अच्छी-खासी उपस्थिति थी।
Shikshavid Dr.Bhupendra Narayan Yadav Madhepuri along with Prof.Shivkumar Yadav and Anand Rajak are being honoured by JDU President Guddi Devi and Karyakarta at Madhepura JDU party office.
इस अवसर पर मुख्य अतिथि सह मुख्य वक्ता के रूप में समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी सहित मधुबनी से आए जिला जदयू प्रभारी प्रोफेसर शिव कुमार यादव, अनुसूचित जिला जदयू प्रभारी आनंद रजक, जिला जदयू अध्यक्षा श्रीमती मंजू कुमारी उर्फ गुड्डी देवी सहित उनकी टीम के कुछ हीरे-मोती नरेश पासवान, महेंद्र पटेल, डॉ.नीरज कुमार, डॉ.धर्मेंद्र राम, युगल पटेल, अशोक चौधरी, आशीष कुमार आदि मौजूद थे।
सबों ने पर्वत पुरुष दशरथ मांझी के पत्नी-प्रेम की कहानी सुनाकर पहाड़ काट 55 किलोमीटर की दूरी को 15 किलोमीटर में तब्दील करने के संकल्प की चर्चा के साथ-साथ सूबे के विकास पुरुष सह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा अनुसूचित जाति एवं जनजाति के सहयोग के अतिरिक्त न्याय के साथ विकास की विस्तार से घंटों चर्चाएं की।
अंत में शिक्षाविद डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी ने कहा कि माउंटेन मैन दशरथ मांझी की पत्नी फाल्गुनी की जिंदगी और मौत के बीच यह पहाड़ बाधक बनकर खड़ा रहा, इसीलिए मांझी ने संकल्प लिया कि पहाड़ के सीने को चीर कर दूरी घटा दूंगा ताकि कोई इस पहाड़ के कारण लंबी दूरी तय करते-करते फागुनी की तरह रास्ते में ही दम न तोड़ दे। डॉ मधेपुरी ने कहा कि पहाड़ की चोटी पर बैठकर दशरथ मांझी ने यह संकल्प गीत गुनगुनाया था-
इ पहड़िया कैलक जिंदगी बर्बाद सजनी !
जब तक ना तोड़ब ऐकड़ा, छोड़ब ना सजनी !
हम दे तानी तोहा के आवाज फागुनी….. !!
आगे बकरी बेचकर छैनी-हथौड़ी खरीदा और 24 से लेकर 46 वर्ष की उम्र यानी 22 वर्षों (1960 से 1982) तक अहर्निश पहाड़ को काटता रहा दशरथ मांझी।
डॉ.मधेपुरी ने कहा कि ताजमहल को बनने में भी 22 वर्ष लगे लेकिन उसके निर्माण में 20000 कुशल कारीगरों के अतिरिक्त शाहजहां की खुली तिजौरी भी थी और यहां एक छैनी, एक हथौड़ी और पत्नी प्रेम में पागल एक संकल्पी पति दशरथ मांझी….. यदि ताजमहल प्रेम का प्रतीक है तो दशरथ मांझी प्रेम की पराकाष्ठा। तभी तो नीतीश कुमार ने अपनी सरकार द्वारा उनके नाम दशरथ मांझी कौशल विकास योजना चलाकर उन्हें वैश्विक पहचान दिला दी है। उनके गांव गहलौर में- मांझी द्वार, मांझी म्यूजियम, मांझी स्मृति भवन, और मांझी रोड नामित करने के अलावे उन्हें पद्म पुरस्कार देने की केंद्र सरकार से अनुशंसा भी की। बदले में केंद्र सरकार ने मांझी के नाम डाक टिकट जारी कर दी। फिल्मकारों को आकर्षित होकर वहां जाना पड़ा। आमिर खान भी पहुंचे। सांसद रहने तक पप्पू यादव भी उनके पुत्र भगीरथ मांझी को ₹10000 प्रति माह सहयोग करते रहे।
अंत में डॉ.मधेपुरी ने कहा कि इंसानी जज्बे व जुनून की मिसाल है दशरथ मांझी। दीवानगी भी ऐसी जो प्रेम की खातिर जिद्द में बदली…….. जिद्द ऐसी कि कभी-कभी लोग घर में सोए रहते तब भी दशरथ मांझी पहाड़ काटता रहता। हम सब भी दशरथ मांझी की तरह मेहनत करें तो डॉ.कलाम के सपनों का भारत एक दिन विकसित भारत बनकर रहेगा।
मधेपुरा के वर्तमान विधायक एवं पूर्व आपदा प्रबंधन मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर को बिहार के महागठबंधन की सरकार में शिक्षा मंत्री बनाए जाने पर समाजसेवी-साहित्यकार प्रोफेसर डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने हार्दिक बधाई दी है। प्रोफ़ेसर चंद्रशेखर को महामहिम राज्यपाल फागू चौहान द्वारा आज शपथ दिलाई गई। वे दूसरी बार बिहार सरकार में कैबिनेट मंत्री बने हैं। इससे पहले वे 2015 में महागठबंधन की सरकार में आपदा प्रबंधन मंत्री बनाए गए थे। प्रोफेसर चंद्रशेखर की लोकप्रियता इस बात को दर्शाती है कि वे लगातार तीसरी बार जीत दर्ज कर मधेपुरा के आरजेडी विधायक बने हैं। राजद कार्यकर्ताओं के साथ-साथ उनके शिक्षा मंत्री बनने पर महागठबंधन के अन्य दलों के कार्यकर्ताओं सहित क्षेत्र के लोगों की ओर से बधाइयों का तांता लगा हुआ है।