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1974 के छात्र आंदोलन में हुए शहीद सदानंद को दी गई श्रद्धांजलि

मधेपुरा में शहीद सदानंद के शहादत-स्थल पर जेपी सेनानी व भूतपूर्व एमएलसी विजय कुमार वर्मा, समाजसेवी-साहित्यकार एवं 1974 के छात्र आंदोलन में सक्रिय डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी, जेपी सेनानी इंद्र नारायण यादव प्रधान, नगर परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष रामकृष्ण यादव, प्रो.(डॉ.)अरुण कुमार, जय किशोर यादव, डॉ.विजेंद्र कुमार, पूर्व मुखिया जयकांत यादव, पूर्व मुखिया अरविंद कुमार, मुन्ना जी, गोपाल जी, डॉ.अमरेश कुमार, संदीप कुमार, भोला यादव, रंजय कुमार, महेंद्र पटेल, प्रमोद प्रभाकर, राजेंद्र प्रसाद यादव, अमरेंद्र कुमार, देव प्रकाश, तेज नारायण यादव आदि ढेर सारे लोगों ने पुष्पांजलि की और शहीद सदानंद अमर रहे के नारे लगाए।

जेपी सेनानी विजय कुमार वर्मा ने कहा कि ऐतिहासिक 19 मार्च 1974 के छात्र आंदोलन के बाद शहीद सदानंद के शहादत-स्थल पर देश के शीर्षस्थ नेताओं का आगमन हुआ- पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल, जननायक भारतरत्न कर्पूरी ठाकुर जैसे अनेकानेक नेताओं के द्वारा पुष्पांजलि की गई। उन्होंने मांग की कि शहीदों को राजकीय दर्जा मिले।

शिक्षाविद् डॉ.मधेपुरी ने शहीद सदानंद के 52वें शहादत दिवस पर कहा कि पराधीन भारत में अल्पायु में ही जिस तरह शहीद हुए थे खुदीराम बोस व शहीद चुल्हाय यादव, उसी तरह स्वाधीन भारत में 1974 के 19 मार्च को अल्पायु में ही छात्र आंदोलन में टीपी कॉलेजिएट के नौवीं कक्षा के छात्र सदानंद हुए थे शहीद। डाॅ.मधेपुरी ने कहा कि 1974 के 18 मार्च को पटना में छात्रों ने महंगाई और भ्रष्टाचार के विरुद्ध आंदोलन किया था, जिसमें तत्कालीन महामहिम राज्यपाल बी.आर.भंडारे को विधानसभा जाने के क्रम में रोकने पर पुलिस की गोली के शिकार हुए थे कुछ छात्र। प्रतिक्रिया स्वरूप मार्च 19 को मधेपुरा में हुए छात्र आंदोलन में पुलिस की गोली से शहीद हुए छात्र सदानंद।

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डॉ.केएस ओझा का यूं चला जाना शिक्षा जगत के लिए अपूरणीय क्षति- डॉ.मधेपुरी

बीएन मंडल विश्वविद्यालय के पांच अंगीभूत महाविद्यालयों में प्राचार्य के रूप में अपनी अमिट छाप छोड़कर सेवानिवृत्त हुए रसायन शास्त्र के ख्याति प्राप्त प्रतिष्ठित विद्वान व लोकप्रिय प्रोफेसर डॉ.कृपा शंकर ओझा  (डॉ.केएस ओझा के नाम से सुविख्यात) के आकस्मिक निधन से कोसी अंचल के शिक्षाविदों की भारी क्षति हुई है। वे अत्यंत मिलनसार, विवेकी एवं ईर्ष्या-द्वेष से ऊपर उठकर सदैव संस्था के हित में सोचा करते थे। उनका यूँ चला जाना छात्र, शिक्षक और शिक्षा जगत के लिए अपूरणीय क्षति है।

मैं उस दिन से उनका मुरीद हो गया जब यह जाना कि वे भूपेंद्र नारायण मंडल वाणिज्य महाविद्यालय, बालमुकुंद नगर, साहूगढ़, मधेपुरा के ऑफिस में ही परीक्षा के दरमियान रात में रह जाया करते थे, क्योंकि अपने स्थायी निवास सहरसा से आने में विलंब होने पर परीक्षा में किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न नहीं हो पाए ! उनका सामाजिक व शैक्षिक कार्यों से विशेष अनुराग रहता था। जब मैं बीएनएमयू के पूर्व कुलपति स्मृतिशेष डॉ.महावीर प्रसाद यादव के सुपुत्र डॉ.अरुण कुमार, सिनेटर डॉ.नरेश कुमार के साथ महाविद्यालय परिसर में डॉ.महावीर प्रातिभ पीठ का उनके परिजनों द्वारा निर्माण कराने हेतु 2021 में उनसे भूमि चिन्हित कराने हेतु गया था तो उनका सहज सहयोग व सदप्रयास सराहनीय ही नहीं बल्कि सर्वाधिक प्रशंसनीय भी रहा था। वे मृदुल स्वभाव एवं सुलझे सोच के एक नेक दिल इंसान थे। वे छात्रों से लेकर विश्वविद्यालय पदाधिकारियों के बीच अंत तक लोकप्रिय बने रहे। मुझे कई अवसर पर उनके साथ मंच साझा करने का भी मौका मिला था। वे हमेशा औरों का सर्वाधिक ख्याल रखते थे। मैं व्यक्तिगत रूप से उनके निधन से आहत हूं। वे मेरे स्मरण व संस्मरण में हमेशा जीवित रहेंगे। उनके निधन पर इस महाविद्यालय के सेवानिवृत्त पूर्व प्राचार्य एवं पूर्व प्रतिकुलपति डॉ. केके मंडल, सेवानिवृत्त पूर्व प्राचार्य  प्रो.श्यामल किशोर यादव, बीएनएमयू के रसायन शास्त्र के विभागाध्यक्ष प्रो.(डॉ.) नरेश कुमार, सेवानिवृत्त जंतु विज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो.(डॉ.) अरुण कुमार एवं पूर्व प्राचार्य डॉ.पीएन पीयूष एवं डॉ.शेफालिका शेखर आदि ने शोक संवेदना व्यक्त करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की है।

 

 

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मधेपुरीयन होली में प्रेम और भाईचारे का अद्भुत संगम

मधेपुरा में होली के दिन शिक्षाविद् डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी के निवास ‘वृंदावन’ में हिंदू-मुस्लिम एवं अगड़े-पिछड़े सबों ने मिलबैठ कर होली मनाई। सामाजिक न्याय के पुरोधा बीपी मंडल के पिताश्री समाज सुधारक व स्वतंत्रता सेनानी रासबिहारी लाल मंडल से लेकर गांधीवादी शिवनंदन प्रसाद मंडल, समाजवादी भूपेन्द्र नारायण मंडल एवं एमएलसी मोहम्मद कुदरतुल्लाह आदि ने मधेपुरा को इस प्रकार संस्कारित किया कि 14 मार्च को मधेपुरीयन होली में चारो ओर प्रेम और भाईचारे का अद्भुत संगम दिखा। इस होली मिलन में अंतरराष्ट्रीय उद्घोषक पृथ्वीराज यदुवंशी, शौकत सेवार्थ सदन के संस्थापक सामाजिक कार्यकर्ता मो.शौकत अली, वेदव्यास महाविद्यालय के संस्थापक डॉ. रामचंद्र प्रसाद मंडल, चर्चित कवि-साहित्यकार व पूर्व प्राचार्य प्रो.मणिभूषण वर्मा आदि ने अपने गुरु डॉ.मधेपुरी के चरणों पर अबीर रखा और उन्होंने सबों के माथे पर अबीर लगाकर अपने अंदर की सारी बुराइयों, ईर्ष्या, द्वेष आदि को खत्म करने तथा सदैव प्रेम व आपसी भाईचारे के साथ रहने का संदेश दिया। सामाजिक समरसता को बरकरार रखते हुए सबों ने एक साथ होली पर बने पकवान खाकर त्योहार की मिठास को और अधिक बढ़ाया। सबों ने पुष्प की होली भी खेली।

आरंभ में सबों ने वृंदावन परिसर के पेड़ों के साथ होली खेलते हुए यही कहा कि सफाई, समरसता और पर्यावरण संरक्षण का पर्व है होली। अंत में डॉ.मधेपुरी ने रासबिहारी लाल मंडल पर लिखी अपनी पुस्तक- ‘पराधीन भारत में स्वाधीन सोच’ की एक-एक प्रति सामाजिक कार्यकर्ता मो.शौकत अली के अलावे सबों को दी। आजकल डॉ.मधेपुरी की ये पंक्तियां खूब वायरल हो रही हैं-

होली ईद मनाओ मिलकर/ कभी रंग को भंग करो मत/ भारत की सुंदरतम छवि को/ मधेपुरी बदरंग करो मत।

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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का मधेपुरा में भव्य आयोजन

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का आयोजन भूपेंद्र स्मृति कला भवन मधेपुरा में भव्य रूप से आयोजित किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन जिलापदाधिकारी तरनजोत सिंह (भाप्रसे) एवं आरक्षित अधीक्षक संदीप सिंह (आईपीएस), समाजसेवी-शिक्षाविद् डॉ.भूपेंद्र नारायण यादव मधेपुरी, डीडीसी अवधेश कुमार आनंद, सामाजिक कार्यकर्ता मोहम्मद शौकत अली आदि ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया । इस अवसर पर उद्घाटनकर्ता जिला पदाधिकारी तरनजोत सिंह ने कहा कि नारी जगत जननी है, ऊर्जा का भंडार है और आज के दिनों मे चांद पर जाने की हिम्मत रखती है।

स्थानीय कला भवन में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने कहा कि नारी तब भी भारी थी और अब भी भारी है। उन्होंने कहा कि आरंभ में जब पुरुष को विद्या, धन और शक्ति की आवश्यकता होती थी तो वह सरस्वती, लक्ष्मी और दुर्गा की पूजा-अर्चना व वंदना किया करते थे। और आज भी नारी उतनी ही सशक्त है कि भारत को पूरे विश्व में प्रथम स्थान दिलाई है, क्योंकि भारत में हवाई जहाज उड़ाने वाली महिला पायलटों की संख्या 1200 से अधिक है जो विश्व के किसी भी देश में नहीं है। साथ ही अन्य पदाधिकारी ने भी नारी की जागरूकता के संबंध में अपना वक्तव्य दिया।

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विज्ञान के इनोवेटिव रिसर्च से ही देश को ग्लोबल प्रतिष्ठा प्राप्त होगी- डॉ.मधेपुरी

39वां राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के मुख्य अतिथि के रूप में भौतिकी के लोकप्रिय प्रोफेसर डॉ.भूपेन्द्र नारायण मधेपुरी ने बीपी मंडल इंजीनियरिंग कॉलेज के भव्य ऑडिटोरियम में जिले के वर्ग 6 से 12 तक के “सीवी रमन टैलेंट सर्च टेस्ट” द्वारा चयनित स्कूली छात्र-छात्राओं के बीच विस्तार से हिंदी, अंग्रेजी व संस्कृत में ढेर सारी वैज्ञानिक दिलचस्प बातें कही। डॉ.मधेपुरी ने लगभग 1 घंटे से अधिक समय तक बच्चों में विज्ञान के प्रति दिलचस्पी व जागरूकता बढ़ाते हुए यही कहा कि अतीत को जाने बिना कोई भी व्यक्ति ना तो अपने भविष्य को गढ़ सकता है और ना ही वर्तमान में दो कदम आगे बढ़ सकता है।

न्यूटन, आइंस्टीन, सीवी रमन, होमी जहांगीर भाभा और डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की कहानियों के माध्यम से उन्होंने बच्चों से कहा कि वृक्ष से सेब गिरते तो सबों ने देखा, परंतु न्यूटन की नजर पड़ते ही ‘न्यूटन्स लॉज ऑफ़ ग्रेविटेशन’ बन गया। चाय तो सभी पीते रहे लेकिन न्यूटन के द्वारा चाय पीते ही ‘न्यूटन्स लॉज ऑफ़ कुलिंग’ बन गया। समुद्री पानी और आकाश का नीला रंग तो सबों ने देखा, परंतु सीवी रमन की जब नजर पड़ी तो ‘रमन इफेक्ट’ बनकर नोबेल पुरस्कार पा लिया। बच्चो ! तुम्हारे आसपास ढेर सारी वैज्ञानिक चीजें पड़ी हैं। उन्हें खोजी नजर से देखने की कोशिश करो। कोशिश का दुनिया में कोई विकल्प नहीं है। तभी तो सीवी रमन ने 1921 में समुद्री जल और आकाश का रंग नीला होने का वैज्ञानिक कारण तलाशना शुरू किया और 7 वर्षों के अनवरत परिश्रम, प्रयास और अभ्यास के बाद 28 फरवरी 1928 को सफल होकर “रमन इफेक्ट” की घोषणा की। किसी को भी शॉर्टकट से ऊंचाई प्राप्त नहीं होती। ऊंचाई पाने के लिए कठिन प्रयास और सतत अभ्यास की आवश्यकता होती है। विज्ञान के इनोवेटिव रिसर्च से ही देश को ग्लोबल प्रतिष्ठा प्राप्त होगी। विज्ञान रहित मानव जीवन आधा, अधूरा और असंभव है।

 

 

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डॉ.रवि बहुमुखी प्रतिभा के धनी एवं महान शिक्षाविद थे- डॉ۔केके मंडल

कौशिकी क्षेत्र हिंदी साहित्य सम्मेलन संस्थान के अंबिका सभागार में कौशिकी के संरक्षक, टीपी कॉलेज के प्राचार्य, बीएनएमयू के संस्थापक कुलपति व सांसद तथा प्रखर साहित्यकार रहे डॉ  रमेन्द्र कुमार यादव रवि की 83वीं जयंती कौशिकी के अध्यक्ष व पूर्व प्रतिकुलपति डॉ.केके मंडल की अध्यक्षता में 5 जनवरी को मनाई गई।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व कुलसचिव प्रो.सचिंद्र महतो ने कहा कि डॉ.रवि ने शैक्षणिक व राजनीतिक क्षेत्र के साथ-साथ विभिन्न सामाजिक, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संगठन में भी कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों का सफलतापूर्वक निर्वहन किया है। मुख्य वक्ता के रूप में प्रखर साहित्यकार प्रो.मणि भूषण वर्मा ने कहा कि मेरे गुरु रहे डॉ.रवि हिन्दी साहित्य के एक सुप्रसिद्ध विद्वान, कुशल प्रशासक, स्वाभिमानी शिक्षक, लोकप्रिय राजनेता एवं सह्रदय इंसान थे। उन्होंने कोसी, सीमांचल के शिक्षा, साहित्य एवं राजनीतिक जगत में अविस्मरणीय योगदान दिया। प्रो.वर्मा ने अब दोनों की विस्तार पूर्वक चर्चा की। उन्होंने डॉ.रवि के विभिन्न पुस्तकों की भी चर्चा की।

सम्मेलन के सचिव समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने कहा कि कोसी, सीमांचल की समृद्धि व सर्वांगीण विकास में अविस्मरणीय योगदान के लिए डॉ.रवि को सदा याद किया जाएगा। डॉ.मधेपुरी ने अध्यक्ष मंडल के तीनों अध्यक्षों के साहित्यिक अवदानों की चर्चा करते हुए सबों को श्रद्धांजलि दी और नमन किया। प्रो.अरुण कुमार ने कहा कि डॉ.रवि एक हर दिल अजीज इंसान एवं लोकप्रिय जन नेता थे।

स्कूली छात्र-छात्राओं के बीच डॉ.रवि के जन्मदिन (3 जनवरी) को आयोजित निबंध प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय, तृतीय एवं सांत्वना पुरस्कार के लिए चयनित चार छात्र-छात्रों को पुरस्कृत किया गया। वे हैं- माही, सपना, राजश्री एवं आयुष राज।

अंत में अपने अध्यक्षीय संबोधन में डॉ.केके मंडल ने कहा कि बीएन मंडल विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति एवं टीपी कॉलेज के प्रथम कमीशन्ड प्रधानाचार्य रह चुके डॉ. रमेन्द्र कुमार यादव रवि बहुमुखी प्रतिभा के धनी एवं महान शिक्षाविद् थे। उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र में विकास की जो लकीरें खींची हैं उन्हें याद की जाती रहेंगी। उन्होंने कौशिकी के पूर्व अध्यक्ष मंडल के तीन सदस्यों डॉ.हरिशंकर श्रीवास्तव शलभ, शिवनेश्वरी प्रसाद एवं भगवान चंद्र विनोद के साहित्यिक अवदानों की भी चर्चा की तथा श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर लोगों ने डॉ.रवि के तैल चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। प्रमुख रूप से विचार व्यक्त करने वालों में बीएनएमयू के पूर्व कुलसचिव, कवि डॉ.विश्वनाथ विवेका, बीएन मंडल विश्वविद्यालय हिंदी पीजी के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो.(डॉ.) सीताराम शर्मा, सैकड़ो मंच पर सम्मानित होने वाले प्रखर गजलकार सियाराम यादव मयंक सहित सत्यनारायण यादव, आनंद कुमार आदि। मंच संचालन राष्ट्रीय युवा वक्ता हर्षवर्धन सिंह राठौड़ व धन्यवाद ज्ञापन डॉ.श्यामल कुमार सुमित्र ने किया।

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टीपी कॉलेज के विश्वकर्मा कहे जाते हैं प्राचार्य डॉ.महावीर- कुलपति

आज 2 जनवरी, 2025 (गुरुवार) को बिहार के पूर्व राज्य शिक्षा मंत्री, मधेपुरा के सांसद एवं दो विश्वविद्यालयों के प्रति कुलपति तथा अंत में बीएन मंडल विश्वविद्यालय के 5वें कुलपति के रूप में कार्यरत रहते हुए डॉ.महावीर प्रसाद यादव ने अंतिम सांस ली। आरंभ में टीपी कॉलेज में इतिहास के संस्थापक प्राध्यापक एवं प्राचार्य के रूप में लंबी अवधि तक विश्वकर्मा कहलाने वाले तथा कुलपति के रूप में कार्यरत रहते हुए दिवंगत डॉ.महावीर को विश्वविद्यालय परिसर में ही संस्कारित किया गया।

आज 99वीं जयंती के अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.बीएस झा एवं कुलसचिव प्रो.विपीन कुमार राय व पूर्व परीक्षा नियंत्रक सह समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने सर्वप्रथम उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण व पुष्पांजलि की। बारी-बारी से पूर्व कुलपति प्रो.आरकेपी रमण सहित कुलानुशासक डॉ.विमल सागर, डीएसडब्ल्यू डॉ.अशोक कुमार सिंह, प्रो.नरेश कुमार, प्रो.अशोक कुमार, एफओ डॉ.एसपी सिंह, परीक्षा नियंत्रक डॉ.शंकर मिश्रा, डॉ.गजेंद्र कुमार, पूर्व प्राचार्य डॉ.पीएन पीयूष, डॉ.अरविंद कुमार, कुलपति के निजी सहायक शंभू नारायण यादव, कुलसचिव के निजी सहायक राजीव कुमार, इंजीनियर कमल कुमार, पीएन पांडेय, डॉ.संग्राम सिंह, प्रोफेसर आई, रहमान, प्रो.अरुण कुमार यादव एवं उनके दो पुत्र पूर्व जंतु विज्ञान विभागाध्यक्ष  प्रो.अरुण कुमार व सेवानिवृत्ति पुलिस उपाधीक्षक मनोज कुमार आदि ने माल्यार्पण व पुष्पांजलि की।

इस अवसर पर कुलपति प्रो.इंदु शेखर ने कहा कि वे जिस पद पर भी कार्यरत रहे उसे अंत तक ईमानदार प्रयास करते हुए आगे बढ़ते गए। तभी तो वे प्राध्यापक से प्राचार्य, प्रतिकुलपति से कुलपति बने और आगे विधायक, राज्य शिक्षा मंत्री और सांसद तक पहुंच गए। कुलसचिव डॉ.राय ने कहा कि उन्होंने कालेज के विकास में अहम योगदान दिया है। समाजसेवी-शिक्षाविद् डाॅ.मधेपुरी ने कहा कि वे बराबर यही कहा करते कि जीवन सामंजस्य का नाम है। उन्होंने मधेपुरा में अपनी अलग पहचान बनाई। देर शाम तक विश्वविद्यालय एवं कालेज कर्मियों द्वारा उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि करते देखा गया।

 

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छठ गीतों की अमर आवाज बनी रहेगी शारदा सिन्हा

स्वर शोभिता महाविद्यालय, मधेपुरा के परिसर में स्मृतिशेष लोक गायिका डॉ.शारदा सिन्हा के निमित्त आयोजित श्रद्धांजलि सभा में समाज सेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने कहा कि बिहार कोकिला पद्मभूषण डॉ. शारदा सिन्हा को छठ गीत के लिए ही प्रसिद्धि प्राप्त हुई। उन्हीं की मधुर जानी-पहचानी आवाज के चलते लोकल से ग्लोबल हो गया छठ। तभी तो छठ मैया ने छठ के ही दिन अपनी बेटी को अपने आंचल में समेट लिया। डॉ.मधेपुरी ने यह भी कहा कि छठ गीतों की अमर आवाज बनी रहेगी डॉ.शारदा सिन्हा। उन्होंने मैथिली, भोजपुरी, हिंदी, मगही, वज्जिका, अंगिका आदि कई भाषाओं में छठ, शादी, फिल्मों एवं संगीत समारोहों में भी अपनी मधुर आवाज दी।

इस अवसर पर स्वर शोभिता महाविद्यालय की निदेशिका डॉ.हेमा कश्यप ने अध्यक्षता करते हुए पुष्पांजलि एवं श्रद्धांजलि अर्पित की। डॉ.कश्यप ने कहा कि बिहार कोकिला शारदा सिन्हा सदा-सदा के लिए छठ संगीत का पर्याय बनी रहेगी। प्रो.अरुण कुमार बच्चन ने कहा कि उनकी आवाज के बिना छठ महापर्व अधूरा रहता है। प्रो.रीता कुमारी ने कहा कि कोसी की बेटी शारदा सिन्हा का गांव ‘हुलास’ छठ के दिन रहेगा सबसे अधिक उदास। मौके पर संगीत शिक्षिकाएं शशि प्रभा जायसवाल, रेखा यादव, पुष्प लता, चिरामणि यादव, रोशन कुमार, सुरेश कुमार शशि, हर्षवर्धन सिंह राठौड़, रंगकर्मी विकास कुमार सहित स्वर शोभिता के छात्रों ने भी शोकोदगार व्यक्त करते हुए यही कहा कि संगीत जगत में अभूतपूर्व योगदान के लिए इन्हें पद्मश्री व पद्मभूषण जैसे पद्म सम्मानों से सम्मानित किया गया। अंत में डॉ.शारदा सिन्हा की आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन रखा गया

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नहीं रहे राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत शिक्षक व प्रखर साहित्यसेवी डॉ.महेंद्र नारायण पंकज

1. *बीते चंद दिनों से थे बीमार, दर्जनों पुस्तक लिखीं*

2. *ताजिंदगी रचनारत रहे पंकज*

3. *अंतिम रचना कहानी संग्रह “एक युद्ध”*

 

हिंदी साहित्य के प्रति समर्पित जुझारू साहित्यसेवी एवं राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत 72 वर्षीय शिक्षक डॉ.महेंद्र नारायण पंकज नहीं रहे। 3 नवंबर 2024 (रविवार) को प्रातः 9:00 बजे दुनिया को अलविदा कह दिया। बीते चंद दिनों से वे बीमार चल रहे थे। उन्होंने अंतिम सांस निज गांव भतनी में ली। आरंभ में उनका साहित्यिक कर्मक्षेत्र प्रगतिशील लेखक संघ रहा था। परंतु, जुझारू साहित्यसेवी होने के चलते उन्होंने उस संघ से अलग होकर ‘राष्ट्रीय जन लेखक संघ’ की स्थापना की जिसका केंद्रीय कार्यालय डॉ۔मधेपुरी मार्ग, वार्ड नंबर- 1, मधेपुरा में अवस्थित है। राष्ट्रीय महासचिव के रूप में उन्होंने भारत के 13 राज्यों में जन लेखक संघ की स्थापना की एवं निकटवर्ती तीन अन्य देशों- नेपाल, भूटान एवं बांग्लादेश में भी विस्तारित किया। उन्हें अंतरराष्ट्रीय जन लेखक संघ का महासचिव भी बनाया गया। उन्होंने दिल्ली में राष्ट्रीय जन लेखक संघ के कई सम्मेलन आयोजित किये और हाल ही में वहां एक कार्यालय भवन भी बनाया। पिछले महीने यानी 20 अक्टूबर 2024 को बिहार राज्य राष्ट्रीय जन लेखक संघ का सम्मेलन राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ भवन में आयोजित कर सर्वाधिक सदस्यों को सम्मानित भी किया। वे हिंदी साहित्य के विकास के लिए अपना तन-मन लगाते रहे। साथ ही वेतन एवं भविष्य निधि से व्यक्तिगत राशि निकालकर भी लगा दिया करते थे। साहित्य सेवा के लिए मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने उन्हें 50 हजार रुपये नगद राशि के साथ प्रशस्ति पत्र देकर हाल ही में सम्मानित किया है।

चार भाई उपेंद्र, महेंद्र, शैलेंद्र और अखिलेंद्र में डॉ.महेंद्र नारायण पंकज दूसरे नंबर पर रहकर भी सबसे पहले ही दुनिया को अलविदा कह दिया। इन्हें दो पुत्र नीरज और नवीन एक इंजीनियर एवं दूसरे शिक्षक हैं। एक पुत्री है और दामाद बैंक मैनेजर हैं। नाती-पोते से भरा-पूरा परिवार छोड़कर वे रविवार को ही 3:00 बजे अपराह्न में पंचतत्व में विलीन हो गए। बड़े पुत्र नीरज ने उन्हें मुखाग्नि दी।

अवशेष रह गई उनकी रचनाएं- युग-ध्वनि (कविता संग्रह), अपमान (कहानी संग्रह), क्रांतिवीर चंद्रशेखर आजाद (प्रबंध काव्य), एक युद्ध (कहानी संग्रह)…… आदि सहित मधेपुरा निवासी उनके निकटतम डॉ. गजेंद्र कुमार,  राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष जो उन्हें साहित्य जगत में जीवित रखेंगे।

उनके निधन का समाचार सुनते ही मधेपुरा के लेखक, कवि एवं साहित्यकार कौशिकी क्षेत्र हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ.केके मंडल, पूर्व प्रतिकूलपति एवं सचिव डॉ.भूपेंद्र नारायण यादव मधेपुरी को अपनी संवेदना प्रेषित करते हुए कौशिकी के सदस्य डॉ.शांति यादव, डॉ. अरुण कुमार सहित समस्त साहित्यकार पूर्व कुलसचिव प्रो.सचिंद्र महतो, पूर्व प्राचार्य प्रो.सच्चिदानंद यादव, मणि भूषण वर्मा, सियाराम यादव मयंक, डॉ.आलोक कुमार, डॉ.विनय कुमार चौधरी, डॉ.बीएन विवेका, डॉ. सिद्धेश्वर कश्यप, पूर्व आचार्य डॉ.सुरेश भूषण, डॉ.शेफालिका शेखर, राकेश कुमार द्विजराज आदि ने छठ पूजा के बाद उनके प्रति संवेदना अर्पित करने के निमित्त एक श्रद्धांजलि सभा बुलाने हेतु अनुरोध किया है।

 

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नए डीएम को मधेपुरा के इतिहास-भूगोल से अवगत कराया डॉ.मधेपुरी ने

जिलाधिकारी तरनजोत सिंह (भाप्रसे) से शनिवार को मिलकर प्रसिद्ध समाजसेवी-शिक्षाविद प्रो.(डॉ.)भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने नव पदस्थापित डीएम को मधेपुरा का परिचय कराते हुए क्रांतिवीर “रासबिहारी लाल मंडलः पराधीन भारत में स्वाधीन सोच” वाली स्वलिखित पुस्तक भेंट की। डॉ.मधेपुरी ने नए डीएम को मधेपुरा का संक्षिप्त इतिहास बताते हुए कहा कि ब्रिटिश हुकूमत में बंगाल प्रेसीडेंसी के तत्कालीन भागलपुर जिला अंतर्गत 1845 ईस्वी. में मधेपुरा को अनुमंडल का दर्जा दिया गया था। तब से 25 वर्षों तक सुपौल और सहरसा मधेपुरा अनुमंडल के प्रशासनिक क्षेत्र अंतर्गत ही रहा। वर्ष 1870 में सुपौल और 1954 में सहरसा को अनुमंडल बनने का अवसर मिला। बावजूद इसके सहरसा और सुपौल में वर्षों पूर्व से केंद्रीय विद्यालय कार्यरत है,  परंतु मधेपुरा को अब तक केंद्रीय विद्यालय नहीं है।

मधेपुरा जेएनकेटी मेडिकल कॉलेज के एथिकल कमिटी के अध्यक्ष होने के नाते डॉ.मधेपुरी ने डीएम से यह भी कहा कि वहां पर जेएनकेटी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, बीपी मंडल इंजीनियरिंग कॉलेज एवं बीएनएमयू नॉर्थ कैंपस में हजारों-हजार छात्र-छात्राएं एवं मरीज व उनके परिजनों की अहर्निश भीड़ लगी रहती है। वहां एक पुलिस चौकी होने की सहमति हेतु डीएम ने हामी भरी। इसके अलावे डॉ.मधेपुरी ने युवाओं के लिए बीएन मंडल स्टेडियम में मिट्टी भरने से लेकर पानी निकासी व दो अतिरिक्त हाई मास्ट लाइट हेतु तथा बच्चों के लिए चिल्ड्रन पार्क के जीर्णोद्धार एवं सौंदर्यीकरण हेतु विस्तार से चर्चाएं की।

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