Menu

महाकवि विद्यापति के पदों में मधुरता और गेयता का अद्भुत संगम- डॉ.मधेपुरी

कौशिकी क्षेत्र हिन्दी साहित्य सम्मेलन संस्थान के अंबिका सभागार में मैथिली के महाकवि विद्यापति की जयंती कोसी प्रमंडल के साहित्यकारों द्वारा धूमधाम से मनाई गई। इस अवसर पर परिचर्चा का विषय रखा गया- महाकवि विद्यापति के काव्य में लोक भाषा का महत्व।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार हरिशंकर श्रीवास्तव शलभ ने विषय-प्रवेश के दरमियान कहा कि विद्यापति भारतीय साहित्य की श्रृंगार परंपरा के साथ-साथ भक्ति परंपरा के प्रमुख स्तंभों में से एक एवं मैथिली के सर्वोपरि कवि के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने कहा कि विद्यापति के काव्य में मध्यकालीन मैथिली भाषा के स्वरूप का दर्शन किया जा सकता है तथा उन्हें वैष्णव, शैव एवं शाक्त भक्ति के सेतु के रूप में स्वीकार भी किया जा सकता है।

मुख्य वक्ता के रूप में बीएन मंडल विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर अंग्रेजी के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ.ललितेश मिश्र ने कहा कि मिथिला के लोगों को “देसिल बयना सब जन मीठ्ठा” का सूत्र देकर विद्यापति ने उत्तरी बिहार में लोकभाषा की जनचेतना को जीवित करने का महान प्रयास किया है। डॉ.मिश्र ने कहा कि मिथिलांचल के लोक व्यवहार में प्रयोग किए जाने वाले गीतों में आज भी विद्यापति के श्रृंगार और भक्ति रस से ओत-प्रोत रचनाएं जीवित हैं।

Sachiv Dr.Bhupendra Madhepuri delivering his speech on the occasion of Mahakavi Vidyapati Jayanti at Ambika Sabhagar, Kaushiki Kshetra Sahitya Sammelan, Madhepura.

कौशिकी के सचिव डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि मैथिली भाषा में पदावली तथा अवहट्ट भाषा में कीर्ति लता एवं कीर्ति पताका महाकवि विद्यापति की अमर कृतियाँ हैं। विद्यापति के पदों में मधुरता एवं गेयता का अद्भुत संगम है। डॉ.मधेपुरी ने कहा कि अस्वस्थ रहने के बाद भी सम्मेलन के संरक्षक व पूर्व सांसद डॉ.आर के यादव रवि ने दूरभाष पर अपने संक्षिप्त संदेश में इतना ही कहा कि महाकवि विद्यापति ने अपनी अमर कीर्ति पदावली में कृष्ण-राधा विषयक श्रृंगारिका काव्य के जन्मदाता के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त की है। और यह भी कि कृष्ण जिस रूप में विद्यापति द्वारा चित्रित किए गए हैं वैसा चित्रण किसी पूर्ववर्ती अथवा परवर्ती श्रृंगार कवियों ने करने का साहस भी नहीं जुटा पाया है।

Adhyaksh Harishankar Shrivastav Shalabh, Sachiv Dr.Bhupendra Madhepuri and others at Kaushiki Kshetra Sahitya Sammelan.

साहित्यानुरागी वक्ताओं में पूर्व प्रति कुलपति डॉ.के.के.मंडल सहित डॉ.सिद्धेश्वर कश्यप. डॉ.विनय कुमार चौधरी. मोहम्मद मुख्तार आलम व अन्य वक्ताओं ने कहा कि महाकवि विद्यापति अपनी कालजयी देसिल बयना की बदौलत भारतीय साहित्य में युग-युग तक जीवित रहेंगे। मौके पर दशरथ प्रसाद सिंह कुलिश, डॉ.आलोक कुमार. डॉ.अर्जुन कुमार. डॉ.एनके निराला, उल्लास मुखर्जी, संतोष सिन्हा, आजाद, द्विजराज, बलभद्र यादव, प्रो.मणि भूषण वर्मा, डॉ.अरविंद श्रीवास्तव, किशोर श्रीवास्तव व आनंद कुमार आदि उपस्थित थे। अंत में डीपीएस के निदेशक एवं कौशिकी के उपसचिव श्यामल कुमार सुमित्र ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

सम्बंधित खबरें