पृथ्वी पर जीवन का आधार है सूर्य क्योंकि सूर्य, को जगत की आत्मा कहा गया है। सूर्य के आलोक से पृथ्वी पर जीवन प्रकाशित हो उठता है। छठ व्रत इसी जीवनदायी सूर्य देव को आभार प्रकट करने का महापर्व है। ऐसा महापर्व जिसमें बिना किसी भेदभाव के समस्त समाज सामूहिक रूप से डूबते एवं उगते सूर्य को अर्घ्य देता है।
बता दें कि छठ एक अति प्राचीन महोत्सव है जिसे दिवाली के बाद छठे दिन मनाया जाता है। बिहार झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश… सहित देश के विभिन्न महानगरों में श्रद्धालुओं द्वारा इस प्रकृति प्रेम के प्रतीक छठ पर्व को सर्वाधिक निष्ठा पूर्वक मनाया जाता है। छठ में सभी श्रद्धालु नर-नारी जल में खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं। जल तो प्रेम का प्रतीक है चाहे नदी का हो या तालाब का या घर का ही क्यों ना हो।
यह भी जानिए कि यह पर्व सूर्य को आभार व्यक्त करने की परंपरा है। इस पर्व का उद्देश्य सूर्यदेव से अपनेपन को महसूस करना है। सूर्य देव को दूध या जल का अर्घ्य अर्पित किया जाना इस तथ्य को दर्शाता है कि श्रद्धालुओं का मन और हृदय दोनों पवित्र और स्वच्छ बना रहे। फिलहाल पद्मश्री शारदा सिन्हा का छठ गीत वातावरण को सरस बनाने में लग गया है।