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सचमुच बेमिसाल थे राम जेठमलानी

भारतीय कानून जगत के ‘भीष्म पितामह’ कहे जाने वाले दिग्गज वकील, पूर्व केन्द्रीय मंत्री और मौजूदा समय में बिहार से राजद के राज्यसभा सांसद राम जेठमलानी का 95 साल की उम्र में निधन हो गया। जेठमलानी लंबे समय से बीमार चल रहे थे और इलाजरत थे। उनके परिवार में उनके बेटे महेश जेठमलानी हैं, जो स्वयं जाने-माने वकील हैं, और एक बेटी हैं जो अमेरिका में रहती हैं।
अपने बेबाक बयानों और दिलचस्प शख्सियत के कारण जेठमलानी कोर्ट में ही नहीं, राजनीतिक गलियारों में भी खासे लोकप्रिय रहे। वर्तमान पाकिस्तान के सिंध प्रांत में 14 सितंबर 1923 को जन्मे जेठमलानी ने महज 17 साल की उम्र में एलएलबी की डिग्री ली और पाकिस्तान में अपनी प्रैक्टिस शुरू की। बॉम्बे वे एक शरणार्थी के तौर पर पहुँचे और फिर वहां नए सिरे से अपनी ज़िन्दगी शुरू की। यहां पहली बार वे नानावटी केस से चर्चा में आए और इसके बाद फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
विलक्षण प्रतिभा के धनी और बेहद परिश्रमी राम जेठमलानी हमेशा जीतने के लिए लड़ते थे और उन्होंने कभी इस बात की परवाह नहीं की कि लोग क्या कहेंगे। उनकी ऊर्जा युवा वकीलों को भी शर्माने के लिए मजबूर कर दिया करती। उनमें यह अद्भुत साहस था कि वे बहुत अलोकप्रिय केस को भी हाथ में लिया करते। उन्होंने इन्दिरा गांधी और आगे चलकर राजीव गांधी के हत्यारे का केस लड़ा और संसद पर हमले के आरोपी अफजल गुरु का बचाव किया जबकि आम जन की भावना इसके खिलाफ थी। इसी तरह उन्होंने जेसिका लाल मर्डर केस में मनु शर्मा का बचाव किया, स्टॉक मार्केट केस में हर्षद मेहता और केतन पारेख का बचाव किया और अपनी आलोचनाओं से बिल्कुल बेपरवाह रहे। उन्होंने अंडरवर्ल्ड डॉन हाजी मस्तान, जयललिता, लालू प्रसाद यादव, अमित शाह, अरविन्द केजरीवाल, जगनमोहन रेड्डी, बीएस येदियुरप्पा, कनिमोई, संजय दत्त, बाबा रामदेव और आसाराम बापू के केस भी लड़े।
जेठमलानी के नाम देश में सबसे कम और सबसे अधिक उम्र के वकील होने का नायाब रिकॉर्ड दर्ज है। उन्होंने 19 साल की उम्र में वकालत शुरू की और लगातार 77 साल तक इस पेशे में रहे। ज़िन्दगी उन्होंने अपनी शर्तों पर जी और अपने बनाए उसूलों पर चले। 2017 में अपने एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा था कि 76 साल से प्रैक्टिस कर रहा हूँ, पर कोई आदर्श नहीं मिला। वे दूसरों का मूल्यांकन भी उसी आधार पर किया करते जिन मूल्यों में वे खुद यकीन रखते। बहुत कम लोग जानते हैं कि उन्होंने जनता की भलाई से जुड़े कई महत्वपूर्ण काम किए।
बता दें कि साल 2010 में राम जेठमलानी को सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन का अध्यक्ष चुना गया था। छठी और सातवीं लोकसभा में उन्होंने भाजपा के टिकट पर मुंबई से चुनाव जीता था। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वे कानून मंत्री और शहरी विकास मंत्री रहे और साल 2004 में वाजपेयी के ही खिलाफ उन्होंने लखनऊ सीट से चुनाव भी लड़ा था।
कुल मिलाकर, इस बेमिसाल शख्सियत को किसी एक लेख से या महज कुछ पन्नों में जान लेना और जानकर समझ लेना मुमकिन नहीं। उन्हें समझने के लिए कई-कई बार और कई-कई तरीके से देखना होगा। फिलहाल इतना ही। उन्हें हमारी विनम्र श्रद्धांजलि।

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