बिहार में कांग्रेस-आरजेडी के बीच सीट बंटवारा अभी अधर में ही है और इस बीच महागठबंधन के छोटे दल भी अपने तेवर कड़े कर रहे हैं। इससे सीट शेयरिंग के फॉर्मूले को लेकर दिक्कतें बढ़ती जा रही हैं। बिहार के महागठबंधन में आरजेडी और कांग्रेस के अलावा रालोसपा, विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी), हम और लेफ्ट खेमा शामिल है। अब सभी की नजरें आरजेडी नेता तेजस्वी यादव और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बीच हुई हालिया बातचीत के नतीजों पर टिकी हुई हैं।
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी कथित तौर पर अपनी पार्टी के लिए पूर्व केन्द्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा की अगुआई वाली रालोसपा के बराबर सीटों की मांग कर रहे हैं। उधर लेफ्ट खेमा भी सीट शेयरिंग फॉर्मूले को लेकर सौदेबाजी कर रहा है। सीपीआई कम से कम तीन सीटें मांग रही है, जबकि सीपीआई (एम) की नजरें उजियारपुर सीट पर हैं। इस सीट से फिलहाल भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय सांसद हैं।
भाजपा के पूर्व सांसद कीर्ति आजाद के कांग्रेस में शामिल होने के बाद दरभंगा सीट को लेकर भी महागठबंधन सहयोगियों के बीच विवाद बढ़ गया है। आजाद पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर दरभंगा सीट से जीते थे और इस बार भी कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर उसी सीट से लड़ना चाहते हैं। लेकिन अब दिक्कत यह है कि वीआईपी नेता मुकेश सहनी भी दरभंगा सीट ही चाहते हैं। वीआईपी को आरजेडी महागठबंधन में इसी सीट का भरोसा देकर लाई थी।
उधर मधेपुरा के सांसद व जाप नेता पप्पू यादव भी कथित तौर पर महागठबंधन का हिस्सा बनने वाले हैं। हालांकि, कांग्रेस ने अभी पप्पू यादव की एंट्री के बारे में कोई फैसला नहीं लिया है। आरजेडी के एक नेता ने बताया, ‘हमारी पार्टी पप्पू को महागठबंधन में शामिल नहीं करना चाहती। इसलिए कांग्रेस के लिए यह फैसला लेना मुश्किल होगा।‘ गौरतलब है कि पप्पू यादव ने 2014 लोकसभा चुनाव में शरद यादव को हराया था। शरद यादव जेडीयू से निकलने के बाद अपनी पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल (एलजेडी) बना चुके हैं और वह फिर से मधेपुरा से लड़ सकते हैं। हालांकि पेंच यहां भी फंसा हुआ है, सूत्रों की मानें तो आरजेडी इस बात पर अड़ी हुई है कि शरद उसके सिंबल पर लड़ें। अपने कद से समझौता कर शरद ये शर्त मानते हैं कि नहीं, ये देखने की बात होगी।