मध्य प्रदेश का एक जिला है – बैतूल। इस जिला मुख्यालय से 12 किलोमीटर दूर है एक गांव – खंडारा। वह खंडारा गांव बापू के सपनों को साकार करने में लगा है जहाँ हर घर पर न केवल नाम पट्टिकायें लगी हैं बल्कि इन पट्टिकाओं यानी नेम प्लेटों पर घर की बेटियों का नाम आज की तारीख में शोभायमान हो रहा है।
बता दें कि खंडारा गांव से शुरू हुई यह मुहिम अब जिले के हर गांव और शहर में फैल चुकी है। बड़ी संख्या में वहां के लोग अपने-अपने घरों के ऊपर नेम प्लेटों पर अपनी बेटियों का नाम लिखा रहे हैं। यह भी जानिए कि खंडारा गांव निवासी अनिल यादव ने सर्वप्रथम इस मुहिम की शुरुआत की थी।
यह भी बता दें कि स्वयंसेवी अनिल यादव ने “डिजिटल इंडिया विद लाडो” अभियान के तहत लोगों को बेटियों के नाम नेमप्लेट लगाने के लिए प्रोत्साहित करना शुरू किया था। अनिल ने मधेपुरा अबतक से बताया कि कुछ लोगों को वे बेटियों के नाम वाले नेम प्लेटें अपनी ओर से बनवाकर भी दिये थे। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि वर्तमान में खंडारा गांव के 200 घरों में से 155 घरों में बेटियां हैं। इन सभी घरों की पहचान अब बेटियों के नाम की पट्टिकाए लगाई जा चुकी हैं। इन घरों की पहचान अब बेटियों के नाम से होती है। अन्य गांव व शहरों की तरह घर के मुखिया के नाम से नेम प्लेट नहीं होती है।
अनिल यादव का यह प्रयास न केवल समाज में एक सकारात्मक बदलाव लाया है बल्कि खंडारा गांव की तो पहचान ही अब बेटियों के नाम से हो गई है। जिला मुख्यालय बैतूल शहर के अखिलेश ठाकुर ने भी जहां एक ओर अपने मकान पर अब अपने नामवाले यानी नेमप्लेट को हटाकर बेटियाँ द्वय लहक व लक्ष्मी के नाम से पट्टीका लगा रखी है वहीं दूसरी और राजेश चौकीकर भी अपने नाम वाले नेमप्लेट चंद रोज कबल हटाकर अपनी बेटियाँ वैष्णवी व समीक्षा के नाम कर दी है।
चलते-चलते यह भी बता दें कि इस अभियान से प्रभावित होकर स्थानीय विधायक ने एक महती जनसभा को संबोधित करते हुए एक सरकारी भवन का नाम भी वहाँ की प्रतिभाशाली बेटी के नाम पर रखने की घोषणा कर दी है।