Menu

प्रधानमंत्री का पद और महागठबंधन की परीक्षा

डीएमके अध्यक्ष एम के स्टालिन की ओर से प्रधानमंत्री पद के लिए राहुल गांधी का नाम प्रस्तावित किए जाने के बाद गठबंधन के सहयोगी असहज दिख रहे हैं। अब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि अभी यह सही समय नहीं है। ममता से पहले समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी इस पर असहमति जताई थी।

बहरहाल, ममता बनर्जी ने इस संदर्भ में बड़े सधे हुए तरीके से कहा कि ‘यह सही समय नहीं है, चुनाव आने दीजिए। हम सब मजबूती से साथ हैं और साथ काम कर रहे हैं। जो भी पार्टियां तय करेंगी, वही इसका जवाब होगा।’  इससे पहले तृणमूल कांग्रेस की ओर से कहा गया था कि राहुल के नाम का ऐलान किए जाने से संभावित गठबंधन में शामिल होने वाले दलों में फूट पड़ सकती है इसलिए इसपर लोकसभा चुनाव के बाद फैसला लिया जाना चाहिए।

बता दें कि ममता से पहले बुधवार को समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा था कि ‘लोग बीजेपी से नाराज हैं। तेलंगाना के मुख्यमंत्री (केसीआर), ममताजी और शरद पवारजी ने प्रयास किया है कि सभी नेता साथ आएं और एक गठबंधन बनाएं। ऐसे में अगर कोई अपनी राय दे भी रहा है तो इसका मतलब यह नहीं है कि गठबंधन की भी वही राय है।’ गौरतलब है कि तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एम करुणानिधि की प्रतिमा के अनावरण मौके पर डीएमके प्रमुख एम के स्‍टालिन ने आगामी लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री पद की उम्‍मीदवारी के लिए राहुल गांधी के नाम का प्रस्‍ताव रखा था और कहा था कि कांग्रेस अध्‍यक्ष में मोदी सरकार को हराने की काबिलियत है।

कुल मिलाकर देखा जाय तो स्टालिन ने जिस तरह मुखर होकर कांग्रेस अध्यक्ष की वकालत की है, वैसी किसी और सहयोगी दल ने अब तक नहीं की है। अभी-अभी आए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद कांग्रेस का आत्मविश्वास बढ़ा जरूर है लेकिन वह अभी से गठबंधन का नेतृत्व अपने हाथ मे लेने की बात शुरू कर दे, यह संभव नहीं दिखता। सच यह है कि अभी सभी दल गठबंधन में अपने को मजबूत दिखाने और सीटों के गणित में आगे निकलने की होड़ में लगे हैं। महागठबंधन के लिहाज से समझदारी अभी इसी में है कि सभी दल पहले एनडीए के विरुद्ध अपनी एकता कायम रखें, अहं को आड़े ना आने दें और बड़े लक्ष्य के लिए छोटे त्याग करने से ना चूकें। अगर ऐसा नहीं होता है तो एनडीए 2019 में गिरते-पड़ते ही सही, सरकार बना ले जाएगी।

सम्बंधित खबरें