डॉ.सुधांशु शेखर का बीपीएससी से दर्शनशास्त्र विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में ज्यों ही चयन किया गया कि वे 3 जून 2017 को टीपी कॉलेज मधेपुरा में योगदान कर लेते हैं। साठ दिनों के अंदर ही वे विश्वविद्यालय के पीआरओ (जनसंपर्क पदाधिकारी) बन जाते हैं और 250 दिनों के अंदर ही विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर दर्शन शास्त्र विभाग में इन्हें प्रतिनियोजित कर लिया जाता है।
बता दें कि अब तक डॉ.सुधांशु के दो दर्जन से अधिक शोध-पत्रों के प्रकाशन तथा एक दर्जन रेडियो वार्ताओं के प्रसारण हो चुके हैं। साथ ही वे शोध-पत्रिका ‘दर्शना’ एवं ‘सफाली’ जर्नल ऑफ सोशल रिसर्च का संपादन भी करते रहे हैं। इसके अतिरिक्त ‘लोकतंत्र : नीति और नियति’ a1 ‘भूमंडलीकरण और पर्यावरण’ आदि आधे दर्जन पुस्तकों का डॉ.सुधांशु ने संपादन भी किया है। इनकी सर्वाधिक लोकप्रिय दो पुस्तकें हैं- सामाजिक न्याय : आंबेडकर विचार… (2014) एवं गांधी विमर्श (2015)।
यह भी जानिए कि पीआरओ डॉ.सुधांशु शेखर को पटना में आयोजित 41वें दर्शन परिषद बिहार का प्रदेश संयुक्त सचिव बनाया गया जबकि वे परिषद के मीडिया प्रभारी के साथ-साथ परिषद की अर्धवार्षिक शोध-पत्रिका ‘दार्शनिक अनुगूंज’ के संपादक मंडल के सदस्य भी रहे हैं। समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण मधेपुरी के अनुसार- ऐसा लगता है कि दर्शन परिषद बिहार का लाइफ लाइन बन गया है बीएनएमयू का पीआरओ डॉ.सुधांशु शेखर।
विश्वविद्यालय के क्षेत्रान्तर्गत डॉ.सुधांशु के आभामंडल से प्रभावित होकर कुलपति डॉ.अवध किशोर राय, प्रतिकुलपति डॉ.फारूक अली एवं डीन डॉ.शिवमुनि यादव ने कहा कि उनकी इस उपलब्धि से मंडल विश्वविद्यालय गौरवान्वित हुआ है। तभी तो शिक्षक के रूप में अपनी पहचान बनाए रखने वाले डॉ.शेखर को इनकी उपलब्धियों के लिए वित्त परामर्थी एससी दास, डीएसडब्ल्यू डॉ.नरेंद्र श्रीवास्तव, डॉ.ज्ञानंजय द्विवेदी, सीनेटर एवं बीएन मुस्टा के महासचिव डॉ.नरेश कुमार, डॉ.एम.आई.रहमान, खेल पदाधिकारी डॉ.फजल, विकास पदाधिकारी ललन प्रसाद अद्री आदि ने हृदय से बधाई दी है।