अभी-अभी एनडीए से अलग हुई रालोसपा आज दो भागों में बंट गई। बिहार में पार्टी के दोनों विधायक और एकमात्र विधानपार्षद ने एनडीए के साथ रहने की घोषणा करते हुए रालोसपा पर दावा तक ठोंक दिया। इन नेताओं ने स्वयं को असली रालोसपा का नेता बताते हुए अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा पर व्यक्तिगत राजनीति करने का आरोप लगाया।
पटना में रालोसपा के दोनों विधायकों – सुधांशु शेखर और ललन पासवान – के साथ विधानपार्षद संजीव श्याम सिंह ने संवाददाता सम्मेलन कर एनडीए में रहने की घोषणा की और कहा कि वे एनडीए में थे और आगे भी रहेंगे। उन्होंने कहा कि रालोसपा एनडीए से कभी अलग हुई ही नहीं है। गौरतलब है कि कुछ ही दिन पूर्व रालोसपा अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने एनडीए में ‘सम्मान’ नहीं मिलने के कारण अलग होने की घोषणा की थी।
बहरहाल, संवाददाता सम्मेलन में तीनों नेताओं ने रालोसपा पर दावा ठोंकते हुए कहा कि अगर जरूरत पडे़गी तो वे लोग निर्वाचन आयोग से मिलकर अपनी बात रखेंगे। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि पार्टी के अधिकांश कार्यकर्ता भी उनके साथ हैं। उपेन्द्र कुशवाहा पर व्यक्तिवादी राजनीति करने का आरोप लगाते हुए इन नेताओं ने कहा कि वे केवल अपने लाभ की बात करते हैं। उन्हें ना पार्टी से मतलब रहा ना ही उन्हें बिहार से मतलब रहा।
कुल मिलाकर पहले ही कठिन दौर से गुजर रहे उपेन्द्र कुशवाहा के लिए ये सचमुच बहुत बुरी खबर है। पार्टी में दो फाड़ होने से स्पष्ट है कि महागठबंधन में भी उन्हें वो ‘भाव’ नहीं मिलेगा जिसकी उन्हेँ अपेक्षा होगी। कांग्रेस के दिन उधर अलग फिर गए हैं। तीन-तीन राज्यों में सत्ता में आने के बाद उसके हौसले बुलंद हैं और बहुत संभव है कि पार्टी बिहार में अधिक हिस्सेदारी चाहेगी। इसका खामियाजा भी कहीं ना कहीं रालोसपा को भुगतना पड़ेगा।