Menu

बिहार के प्रत्येक कॉलेज में गठित होंगे रोड सेफ्टी दूत

वाहन ड्राइविंग करते हुए मोबाइल फोन का इस्तेमाल युवा वर्ग इस तरह करता है कि हादसे का खतरा 4 गुणा तक बढ़ जाता है। ये बातें मधेपुरा अबतक नहीं बल्कि वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की रिपोर्ट में कही गई है।
बता दें कि यदि युवाओं द्वारा दो पहिए से लेकर 4 या अधिक पहिए वाली गाड़ियों के ड्राइविंग के वक्त फोन ना उठाए जाएं तो हर साल बच सकती है लगभग ढाई हजार जानें। भारत उन देशों में शामिल है जहाँ सेल्फी से प्रतिवर्ष सबसे ज्यादा जाानें जाती हैं। इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी की रिपोर्ट के अनुसार संसार में 2014 से 2018 फरवरी तक कुल 213 सेल्फी डेथ रिकॉर्ड की गई जिसमें 128 सेल्फी डेथ केवल भारत में हुई।
यह भी जानिए कि 2016 के अगस्त में भारत सरकार ने राज्यों को एडवाइजरी जारी कर यही सूचित किया कि प्रत्येक राज्य सेल्फी डेंजर जोन आईडेंटिफाई कर वैसी जगहों पर चेतावनी के बोर्ड लगाएँ। सड़क सुरक्षा की जानकारी दें।
और हाँ ! चलती गाड़ियों में ड्राइवर द्वारा फोन उठाने पर जहां आंध्र प्रदेश में 2014 में 20 बच्चे मारे गये वहीं उधमपुर में फोन उठाते ही बस खाई में गिरी और 14 बच्चे मारे गए और मोबाइल उठाने की वजह से ऐसे बड़े-बड़े हादसे आये दिन बराबर होते ही रहते हैं।
यही कारण है कि अब राज्य के प्रत्येक कॉलेज में रोड सेफ्टी दूत बनाए जाएंगे जिसके माध्यम से छात्रों के बीच सड़क सुरक्षा का अलख जगाये जाएगा। चयन हेतु प्रत्येक कॉलेज में प्राचार्य की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की जाएगी। इसके लिए परिवहन विभाग रोड सेफ्टी दूत के चयन के लिए प्रारूप तैयार कर रहा है जिसे सभी कालेजों में भेजा जाएगा।
सभी जानते हैं कि सड़क दुर्घटना में अधिकतर मौतें युवाओं की हो रही है जिसे सचेत करने के लिए प्रत्येक कॉलेज में स्वयंसेवक तैयार किये जा रहे हैं। साथ ही रोड सेफ्टी पर वीडियो भी दिखाया जाएगा। प्रशिक्षण के साथ-साथ सेफ्टी के बाबत स्लोगन प्रतियोगिता भी होगी और सड़क सुरक्षा को हाई स्कूल के सिलेबस में अगले शैक्षणिक सत्र में शामिल कर लिया जाएगा।

सम्बंधित खबरें