Menu

मंडल विश्वविद्यालय में ‘मीडिया और सृजनात्मक लेखन’ पर सेमिनार

भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय (नॉर्थ कैंपस) के हिन्दी स्नातकोत्तर विभाग द्वारा ‘मीडिया और सृजनात्मक लेखन’ पर आयोजित सेमिनार में समाजसेवी साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी द्वारा हिन्दी विभाग को दान स्वरूप दिये गये एक स्पीकर सेट व भव्य दीप प्रज्वलित कर उद्घाटन करते हुए विद्वान कुलपति प्रो.(डॉ.)अवध किशोर राय ने उपस्थित श्रोताओं की करतल ध्वनि के बीच डॉ.मधेपुरी को गर्मजोशी के साथ शुभकामनाएं दी……. साथ-साथ दान देने वाली ऐसी प्रवृत्ति की हृदय से सराहना भी की। ज्ञातव्य है कि चन्द महीने पूर्व हिन्दी विभाग के एक कार्यक्रम के उद्घाटन करने के क्रम में प्रतिकुलपति डॉ.फारूक अली ने उक्त दान के बाबत स्वयं घोषणा की थी जिसके पूरा होने पर प्रोवीसी डॉ.अली ने मधेपुरा के कलाम कहे जानेवाले डॉ.मधेपुरी की जमकर तारीफ की………।

Samajsevi Sahityakar & Former University Professor of Physics Dr.Bhupendra Madhepuri receiving honour for his generosity from Honourable Vice-Chancellor Dr.Awadh Kishor Ray at North Campus BNMU Madhepura.

बता दें कि कुलपति डॉ.राय ने मीडिया को ज्यादा सृजनात्मक होने की जरूरत पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पत्रकारों को दोनों पक्षों की बातों को रखनी चाहिए। आगे भारत के विकास में मीडिया के रचनात्मक सहयोग की आवश्यकताओं पर बल देते हुए उन्होंने यही कहा कि अब मीडिया समाज और देश का आईना बन चुका है जिसमें समाज अपनी अच्छाइयों एवं बुराइयों को साफ-साफ देख सकता है। कुलपति ने न केवल मीडिया द्वारा रचनात्मक एवं सृजनात्मक लेखन के लिए उसे साहित्य से सानिध्य बनाये रखने पर बल दिया बल्कि यह भी कहा कि इसके लिए मीडिया को पहले से कहीं ज्यादा सृजनात्मक और संवेदनशील होना होगा तथा छात्रों को कॉलेज आने के लिए जागरूक भी करना होगा…… अखबारों में उच्च शिक्षा हेतु एक विशेष कॉलम यथाशीघ्र बनाना होगा।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि सह प्रति कुलपति डॉ.फारूक अली ने अपने संबोधन में यही कहा कि मीडिया हाउसों के बीच एक दूसरे से आगे बढ़ने की होड़ लगी है जबकि मीडिया को हमेशा तथ्य परक खबरों को ही तवज्जो देनी चाहिए। यदा-कदा जल्दबाजी में अपुष्ट समाचार को प्रकाशित एवं प्रसारित किये जाने के कारण कई बार समाज को बहुत बड़ी क्षति उठानी पड़ती है……. विश्वविद्यालय के कुलसचिव कर्नल नीरज कुमार ने हाल-फिलहाल मीडिया के साथ अपने भोगे हुए अनुभवों को निर्भीकतापूर्वक साझा किया तथा मीडिया के अच्छे एवं बुरे पहलुओं पर विस्तार से प्रकाश डाला …..!

यह भी जानिए की विशिष्ट अतिथि डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी ने मीडिया को सत्ता एवं समाज के बीच की कड़ी बताते हुए तथा टैगोर-गांधी-विवेकानंद एवं डॉ.कलाम को संदर्भित करते हुए कहा कि हम समाज की बेहतरी के लिए कितना सकारात्मक सोच रखते हैं…….. उसका आकलन आम लोगों को भी करने की जरूरत है क्योंकि समाज रास्ते से भटक गया है……. उसे जगाना मीडिया का ही नहीं….. शिक्षकों का भी दायित्व है।

आगे जहाँ डॉ.मधेपुरी ने कहा कि मीडिया के सकारात्मक लेखन से कई प्रकार की सामाजिक समस्याओं का समाधान हो जाता है वहीं हिंदुस्तान के ब्यूरो चीफ सरोज कुमार ने सोशल मीडिया को जिम्मेदार होने की जरूरत बताते हुए कहा कि मीडिया तो समाज में समाचारों के संप्रेषण का माध्यम है।

एक ओर जहाँ सीनेटर-शिक्षक डॉ.नरेश कुमार ने कहा कि सृजनशील बनकर ही मीडिया समाज को आगे बढ़ाने में मददगार साबित हो सकता है वहीं पूर्व एचओडी डॉ.इंद्र नारायण यादव ने चैनल द्वारा किसानों की समस्याओं को गंभीरता पूर्वक नहीं उठाये जाने की चर्चा की।

समापन के सिलसिले में सृजनात्मक लेखन के जरिये अखबारों को ऊंचाई प्रदान करने वाले पत्रकारों- प्रो.संजय परमार, प्रो.सुरेंद्र कुमार, मनीष कुमार, दिलखुश आदि को कुलपति द्वारा सम्मानित किये जाने के साथ-साथ मुक्तहस्त से दान देने की प्रवृत्ति पालक डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी को भी उन्होंने सम्मानित किया।

सेमिनार की अध्यक्षता करते हुए हिन्दी के एचओडी डॉ.सीताराम शर्मा ने मीडिया में सकारात्मकता के हो रहे ह्रास पर खेद प्रकट करते हुए कहा कि मीडिया को जरूरत है समाज के हर पहलू पर सकारात्मकता के साथ काम करने की। सफल मंच संचालन करते हुए डॉ.सिद्धेश्वर काश्यप ने कहा कि मीडिया का मूल- सृजन एवं कल्याण है। उपस्थित सभी विभागाध्यक्षों, छात्रों ,आगंतुकों एवं अतिथियों को शोधकर्ता सोनम सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

सम्बंधित खबरें