अभावों की जिंदगी जीने वाला हॉकर यानि अखबार घर-घर पहुंचाने वाला कुलदीप ने अपने एकमात्र पुत्र कृष्ण कुमार कन्हैया को दिल्ली में पढ़ाकर तथा कंप्यूटर इंजीनियर बनाकर एक मिसाल कायम कर दिया है। कुलदीप ने बेटी कोमल को अच्छी तालीम दिला कर प्राइवेट स्कूल की संचालिका ही नहीं बनाया बल्कि अखबार बेचकर ही उसने एक शिक्षक लड़का से बेटी कोमल की शादी धूमधाम के साथ किया। इस शादी में कुलदीप ने शहर के उन तमाम बुद्धिजीवियों को आमंत्रित किया था जिन्होंने अभावों के इस कुबेर कुलदीप को किसी-न-किसी रूप में हौसला बढ़ाया था…… उत्साहित एवं प्रोत्साहित किया था।
बता दें कि सहरसा जिले के सौर प्रखंड के काँप गांव में रहने वाला कुलदीप गरीबी की मार झेलने के दरमियान घर चलाने हेतु 1980 में मधेपुरा आकर अखबार बेचने का काम शुरू किया। आरंभ में कुलदीप ने मात्र 50 पेपर लेकर और पांव पैदल चलकर उसे घर-घर पहुंचाने लगा। फिर कुलदीप की मेहनत रंग लायी और साल लगते-लगते वह साइकिल पर सवार होकर लगभग 200 तक पेपर बेच लिया करता। फिलहाल वह बाईक पर सवार होकर 700 से अधिक पेपर की बिक्री करने लगा है।
यह भी जानिए कि निष्ठा पूर्वक अपने धंधे में लगे रहने वाले कुलदीप ने पेपर बेचकर ही मधेपुरा में अपनी जमीन खरीदकर मकान भी बना लिया है तथा अपने परिवार को सुखमय जीवन देकर वह दिनोंदिन शहर में चर्चित होता जा रहा है। शहर के प्रतिष्ठित लोग भिन्न-भिन्न अनुष्ठानों में कुलदीप को आमंत्रित करना नहीं भूलते हैं। भला क्यों नहीं कुलदीप ने तो अपनी पत्नी को भी उच्च शिक्षा देकर शिक्षिका जो बना लिया है। कुलदीप के घर में चतुर्दिक खुशियों का माहौल बरकरार है।
चलते-चलते यह भी बता दें कि सर्वाधिक अनुभवी हॉकर कुलदीप यादव विगत कुछ वर्षों से जिले के अखबार बिक्रेताओं की कतिपय समस्याओं के समाधान के लिए हमेशा तत्पर रहा करते हैं। तभी तो हॉकरों ने उन्हें वर्षों से जिला हॉकरों संघ का अध्यक्ष बनाये रखा है।