सऊदी अरब की महिलाओं के लिए आज का दिन ऐतिहासिक है। आज से वहां महिलाएं भी गाड़ी चला सकेंगी। 28 साल के अनवरत संघर्ष के बाद हमेशा यात्री सीट पर बैठने वाली महिलाएं भी गाड़ी की स्टियेरिंग थाम सकेंगी, जो कल तक उनके लिए ‘गुनाह’ था वहाँ। गौरतलब है कि सऊदी अरब महिलाओं के गाड़ी चलाने पर लगे प्रतिबंध को हटाने वाला दुनिया का अंतिम देश है। बाकी देशों में महिलाओं को यह ‘आजादी’ पहले से हासिल थी।
आज राजधानी जेद्दा में महिलाएं जश्न मना रही हैं। उनके चेहरे की चमक और खुशी से उनके भीतर जगा आत्मविश्वास झांक रहा है। लेकिन यह अधिकार उन्हें ऐसे ही नहीं मिला। इसके पीछे लंबे संघर्ष का इतिहास है। 1990 में 47 महिलाओं ने नियम तोड़ते हुए शहर में वाहन चलाए थे। सभी को गिरफ्तार कर लिया गया था। सर्वोच्च धार्मिक संस्था ने अध्यादेश लाकर प्रतिबंध को सख्त किया, जिससे उन्हें जेल तक जाना पड़ा। इसी तरह महिला सामाजिक कार्यकर्ता मानल अल शरीफ को ड्राइविंग का वीडियो यूट्यूब पर अपलोड करने की वजह से जेल जाना पड़ा था। 2014 में लॉउजैन अल-हथलौल ने यूएई से सऊदी अरब तक ड्राइव करने की कोशिश की, जिसकी वजह से उन्हें 73 दिन तक जेल में रहना पड़ा। 70 साल की कार्यकर्ता अजीजा-अल यूसुफ को भी जेल जाना पड़ा था।
बहरहाल, सऊदी अरब में महिलाओं को मिली इस आजादी के मूल में वहाँ के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान का विजन 2030 कार्यक्रम है, जिसके तहत वे सऊदी अरब की तेल-गैस और हज यात्रा से होने वाली आमदनी पर निर्भरता कम करना चाहते हैं। साथ ही वे अर्थव्यवस्था को विविधता देने के लिए अलग-अलग तरह के मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर्स को बढ़ावा भी देना चाहते हैं। हाल ही में सऊदी ने देश में महिलाओं को अपनी मर्जी से बिजनेस शुरू करने के अधिकार दिए हैं। इसके अलावा महिलाओं के स्टेडियम में जाने पर लगे प्रतिबंध को भी सऊदी शासन हटा चुका है। माना जा रहा है कि प्रिंस ज्यादा से ज्यादा लोगों को अर्थव्यवस्था का हिस्सा बनाना चाहते हैं। इससे देश की उत्पादकता में भी बढ़ोतरी होगी। हालांकि, देश के कई कट्टरपंथी संगठनों ने प्रिंस के इन कदमों की आलोचना भी की है।
देखा जाय तो सऊदी अरब में महिलाओं की स्थिति बेहद खराब है। महिलाओं के प्रति होने वाली घरेलू हिंसा और यौन शोषण को रोकने के लिए वहाँ कोई कानून नहीं है। सऊदी में महिलाएं अकेले प्रॉपर्टी नहीं खरीद सकतीं, विदेश यात्रा नहीं कर सकतीं, रहने की पसंदीदा जगह नहीं चुन सकतीं और ना ही पासपोर्ट या नेशनल आईडी कार्ड के लिए अप्लाई कर सकती हैं। सऊदी अरब में पुरुषों की तरह महिलाओं को कानूनी तौर पर बराबरी हासिल नहीं है। ऐसे कई काम जिन्हें पुरुष कर सकते हैं, वो महिलाओं के लिए प्रतिबंधित हैं वहाँ। यहाँ तक कि पुरुष गवाह के बिना महिलाओं की पहचान की पुष्टि तक नहीं हो सकती। ऐसे में वहाँ महिलाओं को मिली यह आजादी क्या मायने रखती है, समझना मुश्किल नहीं।