बिहार के लगभग 4 लाख नियोजित शिक्षकों को 14 वर्षों के कठिन संघर्षों के दौरान न्याय दिलाने में लगे रहे- कोशी शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के MLC डॉ.संजीव कुमार सिंह, बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष सह विधान पार्षद श्री केदारनाथ पांडे एवं महासचिव श्री शत्रुघ्न प्रसाद सिंह आदि……. जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट श्री अभय कुमार जी से ‘समान काम समान वेतन’ को लेकर नियोजित, वित्तरहित व अन्य कोटि के शिक्षकों के बारे में कई राउंड विचार-विमर्श करते रहे……. आते-जाते रहे….. तथा देखे जाते रहे |
बता दें कि एमएलसी डॉ.संजीव ने तो प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए यही कहा कि अंततः जायज मांगों की न्यायिक जीत हुई | उन्होंने कहा कि माननीय हाईकोर्ट के मुख्य न्यायमूर्ति जस्टिस आर.मेनन एवं जस्टिस डॉ.ए.के.उपाध्याय के खंडपीठ का फैसला- “समान कार्य के लिए समान वेतन के हकदार हैं ये नियोजित शिक्षक, ऐसा नहीं करना संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन है |”
इस प्रकार के ऐतिहासिक फैसला को सुनते ही गोपालगंज से किशनगंज तक और सासाराम से सुपौल तक के सभी जिलों के नियोजित शिक्षकों के बीच खुशी की ऐसी लहर दौड़ने लगी कि सभी एक दूसरे को अबीर-गुलाल लगाने लगे, मिठाइयाँ खिलाने लगे और पटाखे फोड़ने लगे | सूबे के सभी शिक्षक संगठनों द्वारा ‘न्याय की जीत हुई’ का उद्घोष करते हुए मुक्तकंठ से माननीय उच्च न्यायालय के प्रति बार-बार आभार प्रकट किया जाता रहा |
एम.एल.सी. डॉ.संजीव ने इस ऐतिहासिक फैसले को नियोजित शिक्षकों एवं इनके संघ-संगठनों के सतत संघर्ष का फल बताते हुए समस्त नियोजित शिक्षकों को हृदय से बधाई दिया है तथा सरकार के समक्ष अपनी भावनाओं का इजहार इस प्रकार किया है-
“यह न्यायादेश सिर्फ शिक्षकों के संदर्भ में ही नहीं बल्कि सरकार को इसे व्यापक शैक्षणिक संदर्भ में लेने की जरूरत है | सरकार द्वारा सहजतापूर्वक तत्काल इस फैसले को लागू किये जाने से नियोजित एवं स्थायी शिक्षकों का भेदभाव मिटेगा और वर्तमान शैक्षिक परिदृश्य बदलने के साथ-साथ सार्थक एवं सकारात्मक परिणाम नजर आयेगा”
पुनः MLC डॉ.संजीव ने कहा कि संबंधित फैसले का समुचित अध्ययन किये बिना माननीय शिक्षा मंत्री का यह वक्तव्य कि इस न्यायादेश के खिलाफ माननीय उच्चतम न्यायालय में अपील करेंगे, कहीं से भी राज्य के शिक्षा व्यवस्था के हित में नहीं होगा बल्कि यह शिक्षकों के नैसर्गिक न्याय के विरुद्ध ही होगा……. साथ ही यह न्यायालय की अवमानना का भी मामला बन सकता है |
इस बाबत जब समाजसेवी शिक्षाविद डॉ.भूपेन्द्र नारायण मधेपुरी को टिप्पणी करने को कहा गया तो डॉ.मधेपुरी ने यही कहा कि ऑनरेबल सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में ही तो माननीय हाईकोर्ट ने यह निर्णय दिया है |सूबे की सरकार को सुप्रीम कोर्ट जाने के बजाय हाई कोर्ट के फैसले को तत्काल लागू करना चाहिए | डॉ.मधेपुरी ने खेद प्रकट करते हुए यहाँ तक कह डाला कि नियोजित शिक्षकों को चार-पांच माह से वेतन नहीं मिलना बल्कि होली-दशहरा-दिवाली, छठ-ईद-मुहर्रम जैसे पर्वों पर भी इस तरह की सरकारी चुप्पी को क्या कहेंगे आप…….? सरकार डाल-डाल चलेगी तो शिक्षक संगठनों को पात-पात चलने को मजबूर होना होगा……..|