इस साल आश्विन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा यानि शरद पूर्णिमा के दिन सितारे अद्भुत संयोग बना रहे हैं। ऐसा संयोग जो आप पर धन और ऐश्वर्य की वर्षा कर देगा। बस आपको करनी होगी सच्चे भाव से मां लक्ष्मी की पूजा। जी हां, मां लक्ष्मी, शास्त्रों के अनुसार जिनका जन्म शरद पूर्णिमा के दिन ही हुआ था।
शरद पूर्णिमा को लेकर मान्यता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी अपने वाहन उल्लू पर बैठकर भगवान विष्णु के साथ पृथ्वी का भ्रमण करने आती हैं। इसलिए आसमान पर चन्द्रमा भी सोलह कलाओं से चमकता है। शरद पूर्णिमा की धवल चांदनी रात में जो भक्त भगवान विष्णु सहित देवी लक्ष्मी और उनके वाहन की पूजा करते हैं, उन्हें देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
यही नहीं, ऐसा विश्वास किया जाता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत टपकता है और ये किरणें हमारे लिए भाग्यवर्द्धक होती हैं। ज्योतिषशास्त्र की मानें तो पूरे वर्ष में सिर्फ इसी दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होकर धरती पर अपनी अद्भुत छटा बिखेरता है। यही कारण है कि लोग रात में खीर बनाकर खुले आसमान के नीचे रखकर अगले दिन सुबह उसे प्रसाद के रूप में खाते हैं।
शरद पूर्णिमा जो पहले ही इतने शुभ का कारक है, इस साल और भी शुभ होकर आया है। गौरतलब है कि इस साल शरद पूर्णिमा गुरुवार को है और गुरु धन और सुख के कारक ग्रह हैं। उस पर चन्द्रमा भी गुरु की राशि मीन में है जो एक बड़ा शुभ संयोग है। अगला संयोग यह कि देवी लक्ष्मी के जन्मदिवस पर वृद्धि और ध्रुव नामक योग बने हुए हैं जो स्थायी धन, सुख और ऐश्वर्य में वृद्धिकारक है। इस अवसर पर सर्वार्थसिद्धि योग भी बना हुआ है। ग्रहों और नक्षत्रों का यह संयोग बहुत ही शुभ है जिसमें धनलाभ संबंधी कोई भी काम करना शुभ फलदायी होगा।
यह भी जानें कि बिहार एवं बंगाल के लोग इस दिन को कोजागरा और कोजागरी लक्ष्मी पूजा के रूप में मनाते हैं। उधर पश्चिम बंगाल और उड़ीसा में इस दिन कुमारी कन्याएं प्रातः स्नान करके सूर्य और चन्द्रमा की पूजा करती हैं। माना जाता है कि इससे योग्य पति मिलता है।