आजकल रमजान का महीना है | इसी महीने में कुरान-ए-पाक़ धरती पर नाजिल हुआ था | भारतरत्न डॉ. कलाम बचपन से ही अपने सिरहाने में गीता और कुरान रखते आ रहे हैं और रामेश्वरम के मस्जित में नवाज एवं शिवमंदिर की परिक्रमा करते आ रहे हैं तभी तो कलाम न हिन्दू बने और न मुसलमान ! वे बने तो केवल और केवल भारत माता का सपूत और सुलझे सोच का एक नेक दिल इंसान | उन्होंने अपनी ज़िन्दगी में नये-नये पदचिन्ह बनाये | उन्हीं पदचिन्हों पर चलने वाले हजारों-लाखों में एक हैं – साहुगढ़ मधेपुरा निवासी तथा भू.ना.मंडल वि.वि. के परिसम्पदा/क्रीडा पदाधिकारी डॉ.शैलेन्द्र कुमार | वही शैलेन्द्र जो विगत पच्चीस वर्षों से सदा पाक़ रमजान के महीने में एक दिन खुद भी रोज़ा रखते हैं और साहुगढ़ मधेपुरा के हिन्दू-मुस्लिम नेक दिल इंसानों को इफ्तार पार्टी में ससम्मान बुलाते भी हैं |
यह भी जानें की इस इफ्तार पार्टी में कुलपति डॉ. विनोद कुमार , कुलसचिव डॉ. कुमारेश सिंह ,एन.एस.एस.ऑफिसर मो.लतीफ़, हरदिल अजीज हरिश्चन्द्र झा जी सहित सैकड़ों वि.वि. कर्मी ही नहीं बल्कि सिंघेश्वर के झिटकिया निवासी मो. गुलहसन से लेकर भिरखी के मो. मुरसिद सबों ने सिरकत की | इसके साथ-साथ पूर्व मंत्री राजेन्द्र प्रसाद यादव, पूर्व कुलानुशासक डॉ. शिव नारायण यादव, पूर्व प्राचार्य श्यामल किशोर यादव, प्राचार्य डॉ. अशोक कुमार, डॉ. मधेपुरी, डॉ. नरेश कुमार, डॉ.आलोक कुमार, डॉ. अरुण कुमार, डॉ. विनय कुमार चौधरी एवं अन्य गण्यमान देर तक अपनी उपस्थिति बनाये रहे तथा रमजान में खुदा की रहमत पाने के आसरे में बैठे रहे | नज़ारे को देखकर डॉ. मधेपुरी ने मधेपुरा अबतक से यही कहा –
होली ईद मनाओ मिलकर, कभी रंग को भंग करो मत !
भारत की सुन्दरतम छवि को, मधेपुरी बदरंग करो मत !!