विगत दो दिन कबल बिहार विधान परिषद के चुनाव में मानसून की बौछार पर भारी पड़ा स्थानीय निकायों के वोटरों का उत्साह | इस लहर में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का “हर घर दस्तक” ठंडा होने से पहले पुनः गर्म होने लगा है |
इस बीच “हर घर दस्तक” में जुटे कार्यकर्ताओं द्वारा, चाहे वे किसी भी गठबंधन के हों, समाज में व्याप्त अंधविश्वास को अब भी तो गाँव-घर छोड़ने के लिए मजबूर करें | सदियों से चली आ रही सामाजिक कुरीतियों को समाप्त करने की दिशा में यह जद यू का हर घर दस्तक कार्यक्रम इसी तरह चलता रहे तो सम्पूर्ण प्रदेश का कल्याण होगा | इस कार्यक्रम के बहाने अनेक राष्ट्रीय कार्यक्रमों को भी सफल करने में मदद मिलेगी – यथा घर-घर शौचालय की बात हो या डायन बताकर महिलाओं को गांवों में प्रताड़ित करने की बात अथवा निरक्षरता दूर करने से लेकर मृत्योपरांत कर्मकांडों एवं वृहत भोज त्याग कर प्रगतिशील सोच को बढ़ावा देने की बात |
इस तरह अंधविश्वास एवं रुढ़िवादी व्यवस्था को मिटाने के प्रयासों को देखकर गाँव की जनता वैसे गठबन्धन को अपना समर्थन तन-मन-धन से देने को तैयार हो जायेगा | चुनाव के समय कहने की जरुरत भी नहीं पड़ेगी |
घर-घर दस्तक के क्रम में यदि किसी निर्धन एवं मेधावी व लगनशील बच्चे दिख जय तो उसके लिए बेहतर अवसर प्रदान करने की व्यवस्था करने में पार्टी कर्मियों का एकजुट होकर प्रयासरत हो जाना ही माननीय मुख्यमंत्री के “हर घर दस्तक” कार्यक्रम की सफलता मानी जायेगी और बापू के गांवों का कल्याण | भारत गांवों का देश है और इस “हर घर दस्तक” कार्यक्रम से भारत मजबूत होगा |