Menu

मुसलमानों के लिए भी हो परिवार नियोजन की अनिवार्यता : शिवसेना

शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में सोमवार को फिर एक विवादास्पद टिप्पणी आई कि मुसलमानों की बढ़ती जनसंख्या भाषाई, भौगोलिक और भावनात्मक असंतुलन का कारण बनेगी और इससे देश की एकता को भी खतरा है। साथ ही यह भी लिखा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मुसलमानों से स्पष्ट रूप से कहना चाहिए कि वे देश के कानून का पालन करें और परिवार नियोजन की अनिवार्यता स्वीकार करें।

संपादकीय में लिखा गया है कि वर्ष 2001 से 2011 के बीच मुस्लिम आबादी करीब 24 फीसदी बढ़ी है और यह 2015 तक इसमें निश्चित रूप से पांच-दस फीसदी का और इजाफा हो गया है। इस समस्या के संदर्भ में यह सवाल भी उठाया गया कि प्रधानमंत्री ने आधी रात में भी दरवाजा खटखटाने पर मुसलमानों को उनके मुद्दों का समाधान करने का वादा किया है लेकिन क्या मुसलमान भी देश की मदद के लिए उसी तरह दौड़ेंगे? देश को लोकपाल से भी अधिक एक समान नागरिक संहिता की जरूरत है।

संपादकीय में बल देकर कहा गया कि मुसलमानों को जवाब देने के लिए हिंदुओं की आबादी बढ़ाना समस्या का समाधान नहीं है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को सभी धर्मो पर परिवार नियोजन सख्ती से लागू कराने के लिए सरकार पर दबाव डालना चाहिए।

सम्बंधित खबरें