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अविवाहित मां के अभिवावक होने पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने आज एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए माना कि अविवाहित मां बच्चे के पिता की सहमति के बिना भी उसकी कानूनी अभिवावक बन सकती है। एक महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत को निर्देश दिया कि उसकी अर्जी पर दोबारा विचार करे।

एक अविवाहित मां ने अपने बच्चे की कानूनी तौर पर अभिवावक बनने के लिए निचली अदालत में अर्जी दी थी। इस पर अदालत ने उसे ‘गार्जियनशिप एंड वार्ड्स एक्ट’ के प्रावधानों के तहत बच्चे के पिता से सहमति लेने के लिए कहा। महिला द्वारा ऐसा करने में असमर्थता जताने पर अदालत ने उसकी अर्जी खारिज कर दी। इसके बाद महिला ने दिल्ली हाई कोर्ट में अपील की। उसने हाई कोर्ट को बताया कि बच्चे के पिता को यह मालूम तक नहीं कि उसकी कोई संतान है। बच्चे के लालन-पालन से उसका कोई लेना-देना नहीं है। पिता से संपर्क कर सहमति मांगने से दोनों ही पक्षों को असुविधा होगी। लेकिन हाई कोर्ट ने भी महिला की याचिका ठुकरा दी। इसके बाद महिला ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। महिला ने दलील दी कि जब पासपोर्ट बनाने के लिए पिता का नाम बताना जरूरी नहीं तो फिर अभिवावक बनने के लिए इसकी बाध्यता कैसे उचित है। महिला ने यह भी कहा कि इस तरह के मामले में परिस्थितियों के अनुसार फैसला लिया जाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने आज महिला की याचिका पर फैसला सुनाते हुए उसे बड़ी राहत दी। सुप्रीम कोर्ट ने गार्जियनशिप कोर्ट से कहा कि महिला की अर्जी पर नए सिरे से सुनवाई करे। सुप्रीम कोर्ट ने गार्जियनशिप कोर्ट को महिला की अर्जी का निपटारा जल्द से जल्द करने का निर्देश भी दिया।

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