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साहित्य आन्दोलन खड़ा करेगा पिछड़ा वर्ग……!!

Chief Guest Dr.Bhupendra Yadav, Shyamal Kishor Yadav, Mahasachiv Mahendra Narayan Pankaj and others attending meeting at Dr.Madhepuri Marg Madhepura.

वैचारिक धरातल को मजबूत करने तथा सामाजिक असमानता को दूर करने के लिए पिछड़ा वर्ग साहित्यिक आंदोलन खड़ा करेगा | भला क्यों नहीं, कभी साहित्यकारों द्वारा यह कहा जाता था कि साहित्य समाज का दर्पण है वहीं अब कुछ गंभीर साहित्यकारों द्वारा यह कहा जाने लगा कि साहित्य समाज का दर्पण नहीं, धड़कन है |

इसे महसूसते हुए डॉ.मधेपुरी मार्ग पर अवस्थित भारतीय जनलेखक संघ के केंद्रीय कार्यालय में आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत अपने उद्घाटन भाषण में प्राचार्य प्रो.श्यामल किशोर यादव ने कहा कि आज समाज को ऐसे लेखकों, रचनाकारों एवं विचारकों की आवश्यकता है जो सामाजिक असमानता के विरुद्ध रचना कर सके |

From L to R :- Special Guest Prof.(Dr.) R.K.P. Raman & Dr.Gajendra Nr.Yadav, Chief Guest Dr.Madhepuri, Udghatankarta Prof. S.K. Yadav, Prashikashak Er.Harishchandra Mandal & Rashtriya Mahasachiv M.N.Pankaj attending Prashikshan Shivir of Bhartiya Jan Lekhak Sangh Central Office located at Dr.Madhepuri Marg, Madhepura.

मुख्य अतिथि डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी ने अपने संबोधन में कहा कि साहित्यिक आंदोलन खड़ा करने के लिए साहित्यकारों की संख्या में वृद्धि करने की आवश्यकता है | मौके पर डॉ.मधेपुरी ने युवा साहित्यकारों से आह्वान किया कि कथाकार महेन्द्र नारायण पंकज द्वारा चलाये गये इस अभियान में बढ़-चढ़कर अपनी भागीदारी दें तथा इसे सफल बनाने में सहयोग करते रहें | उन्होंने इस धरती के साहित्यकारों के कार्यों को याद करते हुए कहा कि- अपने अतीत को याद किये बगैर ना तो हम अपने भविष्य को गढ़ सकते हैं और ना हीं वर्तमान में एक कदम आगे बढ़ सकते हैं |

इस अवसर पर जहां डॉ.आर.के.पी. रमण, डॉ.सीताराम शर्मा व डॉ.आलोक कुमार ने सामाजिक परिवर्तन के लिए लेखनी को मजबूत बनाने की बातें कही वहीं साहित्यकार-कुलानुशासक डॉ.विश्वनाथ विवेका ने कहा कि पिछड़ा वर्ग तभी आगे बढ़ सकता है जब वह पुस्तक एवं पुस्तकालय से संबंध बनावे और ज्ञानार्जन करे |

प्रशिक्षक के रूप में जहां ई.हरीशचंद्र मंडल ने विस्तार से अपने विचार व्यक्त करते हुए भारतीय जन लेखक संघ की स्थापना के लक्ष्य एवं उद्देश्य की चर्चा की वहीं भारतीय जन लेखक संघ के राष्ट्रीय महासचिव एवं राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक-साहित्यकार महेन्द्र नारायण पंकज ने अपने संबोधन में विस्तार से विचार व्यक्त करते हुए कहा कि समाज में जो दबा-कुचला और पिछड़ा है वही अपना हक पाने के लिए साहित्यिक आंदोलन खड़ा करेगा तथा जन आंदोलन के माध्यम से अपना अधिकार प्राप्त करेगा |

कार्यक्रम को सरस बनाने के लिए जहां सुकवि राकेश द्विजराज एवं प्रो.भूपेन्द्र भूप आदि ने व्यंग्यात्मक काव्य पाठ किया वहीं डॉ. अरुण कुमार साह ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की | जिला सचिव डॉ.गजेन्द्र कुमार ने मंच संचालन किया और डॉ.सुरेश ने यह गीत गा-गाकर कार्यक्रम को जानदार बनाया- हम होंगे कामयाब… एक दिन…!!

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