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मोदी भी हुए मुरीद, प्रकाश-पर्व पर मेजबानी की मिसाल बना बिहार

Modi-Nitish

और नरेन्द्र मोदी भी मुरीद हो गए बिहार और नीतीश कुमार के। गुरु गोविंद सिंह के 350वें प्रकाश-पर्व पर आज पटना आए प्रधानमंत्री ने दिल खोलकर इस अवसर पर की गई भव्य व्यवस्था और भावपूर्ण आतिथ्य की सराहना की। साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मुक्त कंठ से तारीफ की उनके शराबबंदी अभियान को लेकर और कहा कि देश और दुनिया के लिए मिसाल बनेगा बिहार। इससे पहले नीतीश कुमार ने भी शराबबंदी को लेकर गुजरात और इस संदर्भ में वहाँ के मुख्यमंत्री के तौर पर मोदी के योगदान की तारीफ की थी। अब परस्पर की गई ये ‘तारीफ’ कितनी ‘दूर’ तक जाती है, ये तो आने वाला वक्त बताएगा, फिलहाल बात प्रकाश-पर्व की।

देखा जाय तो बिहार के लिए इससे सुंदर नहीं हो सकता था नए साल का आगाज। एक ओर राजधानी पटना में सिक्खों के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह की 350वीं जयंती पर प्रकाशोत्सव का आयोजन तो दूसरी ओर बुद्ध की नगरी गया में 34वीं कालचक्र पूजा का अनुष्ठान… पटना में देश-विदेश से आए सिख तो गया में बौद्ध श्रद्धालुओं का सैलाब… यानि अंतर्राष्ट्रीय महत्व के दो विशाल आयोजनों का मेजबान बनना था बिहार को। देश-दुनिया की निगाहें टिकी थीं बिहार पर और बिहार ने इतिहास रच दिया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में क्या शानदार इंतजाम किया हमारे शासन और प्रशासन ने!

पिछले साल सितंबर में प्रकाशोत्सव की कड़ी में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सिख कॉनक्लेव ने ही यह संकेत दे दिया था कि बिहार एक नया इतिहास लिखने की राह पर है। इसे महसूस कर ही पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने उस समय कहा था कि बिहार जैसा तो पंजाब भी नहीं कर सका। तब और आज प्रकाशोत्सव पर आई विभिन्न क्षेत्र की प्रमुख हस्तियों, श्रद्धालुओं, सेवादारों, जत्थेदारों के सुर एक हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और पंजाब कांग्रस के अध्यक्ष कैप्टन अमरिंदर सिंह, पंजाब के उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल, केन्द्रीय मंत्री एसएस अहलुवालिया से लेकर पंजाब सहित देश और दुनिया के अलग-अलग कोने से आए अनगिनत श्रद्धालु तक – सब के सब चकित हैं बिहार की व्यवस्था और आतिथ्य देखकर।

पटना स्थित हरमंदिर साहब गुरुद्वारा हो, वहीं स्थित बाललीला साहब हो, भव्य दरबार हॉल हो, गांधी मैदान, पटना बाईपास और पटना सिटी स्थित कंगन घाट पर टेंट सिटी का निर्माण हो, इन स्थलों पर अनवरत चलने वाले लाखों लोगों का लंगर हो, मंगल तालाब का लेजर शो हो, गांधी मैदान से गुरुद्वारे तक लगभग नौ किलोमीटर तक चला नगर-कीर्तन हो, गुरु गोविंद सिंह के चित्रों की प्रदर्शनी हो, हरमंदिर साहब और गांधी मैदान सहित श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल, भारतीय नृत्य कला मंदिर, रविन्द्र भवन आदि के सांस्कृतिक आयोजन हों, शहर के चप्पे-चप्पे की सफाई, सजावट और सुरक्षा हो, स्वागत-द्वार, होर्डिंग व बैनर से पटे चौक-चौराहे हों या फिर कदम-कदम पर बने हेल्प डेस्क – हर चीज अद्भुत, अभूतपूर्व और अविस्मरणीय। मुख्य आयोजन-स्थल पटना के गांधी मैदान में तो जैसे पूरा का पूरा शहर ही बसा दिया गया – हर सुविधा से लैस।

बीते कुछ वर्षों में असहिष्णुता देश में बड़ा सियासी व सामाजिक मुद्दा बनकर सामने आया है। इन्हीं कारणों से बड़े धार्मिक आयोजन भी संवेदनशील बनते गए हैं। ऐसे में इतने बड़े उत्सव का इतना सफल आयोजन कर बिहार ने न केवल देश बल्कि दुनिया भर में मिसाल कायम की है। उम्मीद है कि एक बार  फिर बिहार की धरती से सर्व धर्म समभाव का संदेश दुनिया भर में जाएगा।

मधेपुरा अबतक के लिए डॉ. ए. दीप

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