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उठाओ कलम ! सरकलम हो रहा है……..!!

Dr.Bhupendra Madhepuri, Dr.Ratan Lal, Dr.Pratima Yadav, Mahendra Narayan Pankaj, Awadesh, Prof. S.K. Yadav, Dr.Shanti Yadav present in the inaugural function of Bhartiya Jan Lekhak Sangh at T.P. Collegiate, Madhepura

भारतीय जन लेखक संघ के बैनर तले राष्ट्रीय परिसंवाद सह कवि सम्मेलन का आयोजन टी.पी. कॉलेजिएट के प्रांगण में किया गया | स्कूली बच्चियों द्वारा दिल्ली से आये साहित्यकार प्रो.रतन लाल, प्रो.सूरज मंडल, मध्य प्रदेश भोपाल से प्रो.प्रतिमा यादव, सचिव श्री अवधेश सिंह, झारखंड से प्रो.विकास कुमार सहित बिहार के विभिन्न जिलों से पधारे नामचीन साहित्यानुरागियों के स्वागत में सुमधुर स्वर के साथ स्वागतगान प्रस्तुत किया गया | साथ ही जलेस के राष्ट्रीय महासचिव महेन्द्र नारायण पंकज व जिला सचिव गजेंद्र कुमार द्वारा आगत अतिथियों का अंगवस्त्रम-सम्मानपत्रम के साथ भावपूर्ण स्वागत-सत्कार किया गया | लगे हाथ सुकवि जयकांत ठाकुर ने सम्मेलन में पधारे सभी कलमजीवियों को अपने मार्मिक शब्दों एवं सर्वोत्कृष्ट भावों से लैस गीत- “उठाओ कलम ! सरकलम हो रहा है……!!” गाकर सर्द मौसम में भी गर्माहट पैदा कर दिया |

जहां उद्घाटनकर्ता के रूप में हिन्दू कॉलेज दिल्ली के प्रो.(डॉ.)रतन लाल ने संविधान एवं परंपराओं की चर्चाएं विस्तार से करते हुए अपने संबोधन में कहा कि मन में बैठे मनुवादी विचारों का दहन करना जरूरी है वहीं उन्होंने बुद्धिजीवी लेखकों के अंतर्मन में विरोध के तेवर होने की चर्चा करते हुए यह भी कहा कि इतिहास हमें नजरअंदाज करने का खेल खेल रहा है |

Dr.Shanti Yadav receiving Angabastram & Certificate by Dr.Pratima Yadav from Bhopal, Madhya Pradesh.

मुख्य अतिथि के रुप में मध्य प्रदेश (भोपाल) से आई विदुषी डॉ.प्रतिमा यादव ने जहां अपने सारगर्भित संबोधन में किस्से एवं कहानियों का उदाहरण देते हुए यही कहा कि धीरे-धीरे क्रांति यात्रा शव यात्रा में बदल जाती है वहीं डॉ.यादव ने संदेश स्वरूप यही कहा कि उच्च मानव की श्रेणी में आने की कोशिश निर्भीकतापूर्वक करनी चाहिए तथा मेहनत करके अपनी मुकाम हासिल करने का हौसला भी बनाये रखना चाहिए तभी मुख्यधारा से बिछड़े हुए साहित्यकारों की सृजनात्मक पहचान बन पायेगी |

जहां भाजलेस के राष्ट्रीय महासचिव महेन्द्र नारायण पंकज के समर्पण की सबों ने सराहना की वहीं श्री पंकज ने संगठन के उद्देश्यों की जानकारी सभी लेखनकर्मियों को विस्तार से दी |

Audience enjoying the performances of the function.

यह भी बता दें कि जहां सचिव अवधेश सिंह, डॉ.शांति यादव, प्रो.श्यामल किशोर यादव, डॉ.सूरज मंडल, डॉ.विनय कुमार चौधरी सहित अन्य साहित्यसेवियों ने पिछड़े-आंदोलनों को प्रवाह देने के लिए साहित्य लेखन की चर्चा की और संकल्प लिया वहीं सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे डॉ.इन्द्र नारायण यादव व स्वागताध्यक्ष के रूप में विद्यालय प्रधान डॉ.सुरेश कुमार भूषण ने यही कहा कि भविष्य में साहित्यिक-लेखन को मजबूती प्रदान करने हेतु हमें जूझना होगा |

इस अवसर पर हरिश्चन्द्र मंडल, जयकांत ठाकुर, प्रो.दयानंद, डॉ.जगदीश नारायण प्रसाद, डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी, डॉ.अविनाश कुमार आदि ने अपने विचार व्यक्त किये |

दूसरे सत्र में राष्ट्रीय कवि सम्मेलन की अध्यक्षता डॉ.शांति यादव एवं संचालन प्रमोद कुमार सूरज ने किया | देर रात तक सुरेंद्र भारती, अलका वर्मा, अनुपम जी, संतोष सिन्हा, शंभू शरण भारती, राकेश कुमार द्विजराज एवं दूर-दूर से आये युवा कवियों ने भी अपनी मनभावन प्रस्तुति से श्रोताओं का मनोरंजन करते रहे |

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