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शराबबंदी कानून में ‘जरूरी’ संशोधन को नीतीश तैयार

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संसद से सड़क तक नोटबंदी पर हो रहे हो-हंगामे के बीच बिहार में शराबबंदी कानून पर सर्वसम्मति बनाने के उद्देश्य से बिहार सरकार ने सार्थक पहल की है। बिहार विधानसभा पुस्तकालय में शराबबंदी कानून पर बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में मुख्य विपक्षी दल भाजपा समेत सभी दलों की राय जानने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि इस बैठक और लोकसंवाद में मिले सुझावों पर कानूनविदों की राय लेंगे और जो प्रस्ताव होगा उसे सदन में लेकर आएंगे। इस बैठक के बाद यह साफ हो गया कि शराबबंदी कानून में ‘जरूरी’ संशोधन के लिए सरकार मन बना चुकी है।

गौरतलब है कि इससे पूर्व 14 नवंबर को मुख्यमंत्री ने लोगों से सीधा संवाद कर उनके सुझाव सुने थे। इन दोनों ही बैठकों में सबने शराबबंदी का खुले दिल से समर्थन किया, लेकिन इसके लिए बने कानून के कुछ प्रावधानों पर सवाल भी उठाए। सर्वदलीय बैठक में नीतीश ने कहा कि सबलोग एकजुट रहेंगे तो शराबबंदी अभियान में मजबूती आएगी। अलग-अलग विचार होने से गलत करने वालों का हौसला बढ़ता है। अगर कोई कानून अतिवादी है तो उसके बदले क्या होना चाहिए, इस पर बात हो। हम सदन के अंदर और बाहर कहते रहे हैं कि ठोस सुझाव दिए जाएं।

सर्वदलीय बैठक के बाद अब इस बात की पूरी संभावना है कि 25 नवंबर से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र में इस बाबत संशोधन विधेयक लाया जाए। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार घर में शराब मिलने पर सभी वयस्कों को सजा का प्रावधान तर्कसंगत नहीं माना जा रहा है। महिलाओं और बुजुर्गों को इससे बाहर रखने पर विचार चल रहा है। इसी तरह शराब मिलने पर उस मकान या परिसर की जब्ती, कारोबार होने पर पूरे गांव पर सामूहिक जुर्माना या जिलाबदर करने जैसे प्रावधान को भी कठोर माना जा रहा है।

प्रसन्नता की बात है कि ऐसे तमाम ‘जरूरी’ संशोधनों पर सरकार पूरी गंभीरता से मंथन में जुट गई है। हालांकि संशोधन में इसका पूरा ख्याल रखा जाएगा कि वे शराबबंदी के मूल उद्देश्य से अलग न हों। शराबबंदी पर सरकार की स्पष्ट राय है कि लोगों की असुविधा कम हो पर अवैध तरीके से कारोबार करने वालों पर शिकंजा बरकरार रहे।

चलते-चलते

क्या हमारे प्रधानमंत्री कुछ ऐसा ही कदम नोटबंदी को लेकर नहीं उठा सकते? ताकि कालेधन पर रोक तो लगे पर निरीह जनता की परेशानी न बढ़े!

मधेपुरा अबतक के लिए डॉ. ए. दीप

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