Menu

और फिर से जीवित हो गया जटायु..!

CREATOR: gd-jpeg v1.0 (using IJG JPEG v62), quality = 70

अगर रामकथा में आपकी रुचि है और आपने रामायण एक बार भी पढ़ी, सुनी या टीवी पर देखी है तो पक्षीराज जटायु को भूल जाएं, ऐसा हो नहीं सकता। जब रावण माता सीता का हरण कर उन्हें लंका ले जा रहा था तब जटायु ने रावण से युद्ध किया था और वीरगति को प्राप्त हुए थे। उन्हीं जटायु को समर्पित है हाल में बन कर तैयार हुआ केरल का जटायु नेचर पार्क। कहते हैं इस अनोखे पार्क में जटायु की विशाल प्रतिमा ठीक उसी जगह पर बनाई गई है जहाँ रावण द्वारा पंख काटे जाने पर जटायु मरणासन्न होकर गिरे और प्राण त्यागे थे।
जटायु नेचर पार्क केरल के कोल्लम जिले के चदयामंगलम गांव में बनाया गया है। यहाँ जटायु की जो प्रतिमा बनाई गई है उसे दुनिया का सबसे बड़ा स्कल्पचर कहा जा रहा है। बता दें कि यह स्कल्पचर 200 फीट लंबा, 150 फीट चौड़ा और 70 फीट ऊँचा है। 15000 वर्गफुट के प्लेटफॉर्म पर बनाए गए इस स्कल्पचर को तैयार करने में 7 साल का वक्त लगा है और केरल सरकार ने इस पर 100 करोड़ रुपए खर्च किए हैं।
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक जटायु अरुण देवता के पुत्र थे। इनके भाई का नाम सम्पाती था। रामायण में सीताजी के हरण के प्रसंग में जटायु का उल्लेख प्रमुखता से हुआ है। जब श्रीराम और लक्ष्मण विकल हो सीताजी को खोज रहे थे तब उन्होंने जटायु को मरणासन्न अवस्था में पाया था। जटायु ने ही श्रीराम को बताया कि रावण माता सीता का हरण करके लंका ले गया है और उन्हीं की गोद में अपने प्राण त्याग दिए। तत्पश्चात् श्रीराम ने अनुज लक्ष्मण के साथ मिलकर पुण्यात्मा जटायु का अंतिम संस्कार किया।
देखा जाय तो सम्पूर्ण रामकथा ‘पक्षीराज’ की ऋणी है। ये सोचना मुश्किल है कि अगर जटायु ना होते तो श्रीराम को सीताजी के हरण की जानकारी कैसे हो पाती! ये अलग बात है कि श्रीराम साक्षात् ब्रह्म थे, पर वो लीला कर रहे थे, ये कैसे भूला जा सकता है? गौर से देखें तो जटायु रामायण के पूर्वार्द्ध और उत्तरार्द्ध के सूत्रधार हैं। रामकथा के इस किरदार का महत्व जितना राम के प्रति उनके नि:स्वार्थ प्रेम और भक्ति के कारण है उतना ही इस बात के लिए कि वे मनुष्य और अन्य जीवों के अन्योन्याश्रय संबंध – वसुधैव कुटुम्बकम् – के बहुत बड़े प्रतीक हैं। यही कारण है कि रामायण में संक्षिप्त उपस्थिति के बावजूद उनका अमर और अमिट स्थान है।
कहना गलत ना होगा कि कल तक जो केरल अपनी खूबसूरती के लिए मशहूर था, अब उसके टूरिस्ट मैप पर हमारी संस्कृति का अत्यन्त महत्वपूर्ण अध्याय जटायु नेचर पार्क के तौर पर अंकित हो गया है। अपने समृद्ध अतीत को सहेजने का इससे बेहतर तरीका और क्या हो सकता है भला! वैसे चलते-चलते पर्यटन प्रेमियों को ये बता देना जरूरी है कि जटायु नेचर पार्क में बनी उनकी विशाल प्रतिमा के भीतर आप डिजिटल म्यूजियम और 6डी थियेटर का आनंद भी ले सकते हैं। और हाँ, केरल की प्रसिद्ध आयुर्वेद चिकित्सा सुविधा भी इस नेचर पार्क में आपके इंतजार में होगी।

‘मधेपुरा अबतक’ के लिए डॉ. ए. दीप

सम्बंधित खबरें