महाराष्ट्र की भाजपा-शिवसेना सरकार ने एक विवादास्पद फैसला लेते हुए गुरुवार को मदरसों को स्कूल की श्रेणी में रखने से इन्कार कर दिया। राज्य के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री एकनाथ खडसे का तर्क है कि मदरसों में धार्मिक शिक्षा दी जाती है। यहाँ बच्चों को मुख्यधारा की शिक्षा से वंचित रखा जाता है।
महाराष्ट्र सरकार ने गुरुवार को कहा कि अंग्रेजी, गणित और विज्ञान जैसे प्राथमिक शैक्षणिक विषय नहीं पढ़ानेवाले मदरसों को औपचारिक स्कूल नहीं माना जाएगा और इसमें पढ़नेवाले बच्चों को स्कूली शिक्षा के दायरे से बाहर माना जाएगा। सरकार 4 जुलाई से राज्य में सर्वे के जरिये ‘आउट ऑफ स्कूल’ बच्चों की पहचान कर उन्हें शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ेगी। सरकार के अनुसार, मदरसे औपचारिक शिक्षा नहीं देते जबकि संविधान के अनुसार सभी बच्चों को औपचारिक शिक्षा का अधिकार है। दूसरी ओर पूर्व अल्पसंख्यक मंत्री नसीम खान कहना है कि राज्य सरकार ने अपने मंत्रियों विनोद तावड़े और पंकजा मुंडे के कथित घोटालों से लोगों का ध्यान हटाने के लिए भावना भड़काने वाला यह फैसला लिया है।