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मदन मोहन झा का सपना: कलक्टर और ड्राइवर की बेटी का एक साथ पढ़ना

9th Death Anniversary of Madan Mohan Jha

बिहार राज्य के मानव संसाधन विकास विभाग के तत्कालीन आयुक्त सह सचिव मदन मोहन झा के 7 सितंबर, 2007 को हुए आकस्मिक निधन पर सारा बिहार ठहर सा गया था | सूबे बिहार के समाहरणालय से लेकर सभी शिक्षण संस्थान भी पल भर में ही शोक में डूब गया | चारों ओर श्रद्धांजलियां व शोक सभाएं ! सारा बिहार गूंज उठा- हे ईश्वर ! बिहार के शिक्षा सुधार में लगे इस क्रांतिदूत का अचानक यह कैसा महाप्रयाण ! चल पड़े कोटि पग उसी ओर | उनकी आत्मा की शांति के लिए ना जाने कितने करोड़ हाथों ने दुआएं मांगी थी |

और आज यह भी जानें कि 9 साल बीत जाने के बाद यानि 7 सितंबर, 2016 को श्री झा की 9वीं पुण्य तिथि के अवसर पर राजधानी के ए.एन.सिन्हा समाज अध्ययन संस्थान में विधान पार्षद डॉ.केदार पांडेय की अध्यक्षता में आयोजित व्याख्यान माला का उद्घाटन बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया जिसमें सूबे के मुख्यमंत्री ने मदन मोहन झा द्वारा किये गये कार्यों को याद किया |

मौके पर मुख्य वक्ता प्राध्यापिका मनीषा प्रियम ने कहा कि मदन जी स्कूली शिक्षा की बेहतरी के लिए अहर्निश सोचा करते, चिंतन किया करते | उनकी पुत्री निहारिका झा ने मौके पर यही कहा –

“पापा हमेशा यही कहा करते थे कि मैं बिहार में वह दिन देखना चाहता हूं, जब किसी कलक्टर और उसके ड्राइवर की बेटी एक ही विद्यालय में पढ़े क्योंकि सभी बच्चों को बेहतर शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है |”

यह भी जानें कि जहां राजधानी में उनकी 9 वीं पुण्यतिथि के अवसर पर अवकाश प्राप्त न्यायमूर्ति बी.एन.सिन्हा, श्रीमती निशा झा, मनीष कुमार वर्मा आदि गणमान्यों ने श्री झा को भावभिनी श्रद्धांजलि दी वहीं मधेपुरा के ‘वृंदावन’ में समाजसेवी शिक्षाविद डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी ने बच्चों के बीच श्री मदन मोहन झा को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि शिक्षा के उन्नयन के क्षेत्र में मदन बाबू हमेशा क्रांतिदूत के रुप में सदा याद किये जाएंगे क्योंकि सत्कर्म कभी मरता नहीं | वह बुद्ध की तरह ठहरा रहता है- यहीं पर कहीं……!!

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