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‘अंधेरे’ से लड़कर ‘रोशनी’ की नई इबारत लिख रहा बिहार..!

Electrified Bihar

अगले दो साल में बिहार का कोई गांव अंधेरे में नहीं रहेगा। ग्रामीण विद्युतीकरण के क्षेत्र में बिहार सरकार ने जैसी तत्परता दिखाई है उसकी सराहना देश भर में हो रही है। 2015-16 में बिहार को 1632 गांवों में बिजली पहुँचाने का लक्ष्य दिया गया था और बिजली पहुँचाई गई 1754 गांवों में। ग्रामीण विद्युतीकरण के मामले में बिहार ने सभी राज्यों को पीछे छोड़ दिया है। अभी हाल ही में बिहार आए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस उपलब्धि के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की दिल खोलकर तरीफ की थी।

ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव सह बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कम्पनी के सीएमडी प्रत्यय अमृत ने बीते शनिवार को पटना में आयोजित बिहार-झारखंड राज्य विद्युत परिषद फील्ड कामगार यूनियन के 39वें स्थापना दिवस समारोह में बिहार की इस उपलब्धि को कुछ महत्वपूर्ण आँकड़ों से स्पष्ट किया। उन्होंने बताया कि 2005 में राज्य में महज 700 मेगावाट बिजली की सप्लाई होती थी जो वर्तमान में 3531 मेगावाट है और 2017 में इसे बढ़ाकर 4500 मेगावाट करने का लक्ष्य रखा गया है। इसी तरह ग्रीड सब स्टेशनों की बात करें तो 2005 में 45 ग्रीड सब स्टेशनों से बिजली सप्लाई की जाती थी जो वर्तमान में 98 है और 2017 तक इनकी संख्या 140 हो जाएगी। नि:संदेह ये आँकड़े उत्साह बढ़ाने के साथ-साथ उम्मीद भी बंधाते हैं।

बता दें कि वर्तमान में बिहार में 1415 गांव अविद्युतीकृत हैं और इनमें से 750 गांव अकेले कटिहार जिले में हैं। अब इन गांवों की तस्वीर भी बहुत जल्द बदलने वाली है। ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव ने बताया कि बिहार के पूर्ण विद्युतीकरण का लक्ष्य तय समय से पहले पूरा करने के लिए योजना तैयार की जा रही है। 2017 में बिहार पूर्ण विद्युतीकृत राज्य हो जाएगा।

बिहार के कदम उजाले की ओर बढ़ चुके हैं। ‘अंधरे’ से लड़कर यह राज्य ‘रोशनी’ की नई इबारत लिख रहा है। ‘मधेपुरा अबतक’ इसके लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, ऊर्जा मंत्री बिजेन्द्र प्रसाद यादव और ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत को साधुवाद देता है।

‘मधेपुरा अबतक’ के लिए डॉ. ए. दीप

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