राजनितिक खींचा-तानी का श्री गणेश हो चूका है मधेपुरा में | एक ओर जद(यू) के कार्याकर्ताओं द्वारा शीर्ष के नेताओं के निर्देश पर गांवों-कस्बों तक में चौपाल लगाये जा रहे हैं | चौपाल में छोट-भैये नेता के साथ-साथ वे भी जो आगामी विधान सभा चुनाव में प्रत्याशी होना चाहते हैं – लोगों के बीच जा-जाकर ईशारे–ईशारे में अपनी उम्मीदवारी ही नहीं , दावेदारी की भी चर्चा करते हैं | वे सभी राष्ट्रीय नेता शरद यादव के नेतृत्व में नीतीश सरकार की उपलब्धिओं को पानी पी-पी कर गिनाते हैं , जनता को समझाते हैं – ताकि “फिर एक बार नीतीश कुमार” का नारा जनता में इस कदर पैठ बना ले कि उन्हें बिहार की गद्दी पुनः हाथ लग जाए |
दूसरी ओर भाजपा के देश व प्रदेश स्तर के नेताओं से लेकर जिला अद्य्क्ष सहित प्रखंड से लेकर पंचायत तक के भाजपाइयों का भोली-भाली जनता के बीच आना जाना आरम्भ हो गया है | वे पंचायत स्तर तक जा-जाकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अटलबिहारी की उपलब्धिओं को गिनाने में लगे हैं तथा आगामी विधान सभा चुनाव में बिहार की गद्दी का असली हकदार बताने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते हैं | दोनों को सुन-सुनकर जनता अवाक् है कि ये कुछ करने वाले हैं या केवल मंच से मनोरंजन करने में लगे हैं |