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यूपी में अपनी जीत के लिए आश्वस्त हैं मायावती

Mayawati

पहले पंचायत चुनाव में जबरदस्त वापसी और अब विधानसभा चुनाव से पहले आए ओपिनियन पोल में बाकी पार्टियों पर बसपा की स्पष्ट बढ़त… यूपी में अपनी जीत के लिए मायावती का आश्वस्त दिखना अकारण नहीं है। कल दिल्ली में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में उन्होंने दावा किया कि अगले साल होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव में बसपा बड़े बहुमत के साथ सत्ता में आएगी।

बता दें कि हाल ही में एबीपी-नीलसन सर्वे में बसपा को आगामी चुनाव में 185 सीट मिलने की बात कही गई थी। इससे पूर्व पिछले साल नवम्बर में बसपा ने पंचायत चुनाव में भी जीत का परचम लहराया था। पंचायत स्तर पर पार्टी की कामयाबी का आलम यह था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के गोद लिए गांवों में भी बसपा ने जीत दर्ज की थी।

हाल की सफलता और आगे की संभावना से उत्साहित बसपा सुप्रीमो मायावती ने स्पष्ट कर दिया कि विधानसभा चुनाव में वो किसी पार्टी से गठबंधन नहीं करेंगी। एक ओर सत्ताधारी समाजवादी पार्टी तो दूसरी ओर भाजपा और कांग्रेस पर एक समान हमला बोलने की रणनीति अपनाई जाएगी। कार्यकारिणी की बैठक में उन्होंने पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को अगले एक साल का रोडमैप बताया।

कहने की जरूरत नहीं कि यूपी का चुनाव महज एक राज्य का चुनाव नहीं। इसका परिणाम राष्ट्रीय राजनीति को प्रभावित करने की क्षमता रखता है। सपा अगर इस चुनाव में पिछड़ती है तो इसके दूरगामी परिणाम होंगे। केन्द्र में तीसरे विकल्प की संभावना और समीकरण पर इसका सीधा असर पड़ेगा। भाजपा की बात करें तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री राजनाथ सिंह लोकसभा में इसी राज्य का प्रतिनिधित्व करते हैं और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदा साख और हैसियत के मूल में भी बहुत हद तक लोकसभा चुनाव के दौरान इसी राज्य में मिली सफलता है। ऐसे में इन तीनों दिग्गजों की साख यहाँ दांव पर लगी होगी। जहाँ तक बात कांग्रेस और राहुल की है तो यूपी में खोई जमीन हासिल किए बिना इनके पुराने दिन लौटने की गुंजाइश नहीं दिखती। इन सबके बीच यूपी के कुछ हिस्सों में प्रभाव रखने वाली पार्टियां रालोद, अपना दल और पीस पार्टी का वजूद भी इस चुनाव पर निर्भर करता है। जेडीयू भी इन्हीं पार्टियों के साथ यूपी में अपनी नैया पार करना चाहती है।

फिलहाल यूपी में सभी पार्टियां अपनी-अपनी रणनीति को अन्तिम रूप देने में लगी हैं। हालांकि अभी बढ़त बसपा की दिख रही है लेकिन चुनाव नजदीक आते-आते ऊँट के करवट लेने की संभावना खारिज नहीं की जा सकती।

मधेपुरा अबतक के लिए डॉ. ए. दीप

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