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मोदी और नीतीश : विकास के दो प्रतीकपुरुष कब तक एक मंच पर..?

Modi & Nitish

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कल की बिहार-यात्रा ना केवल बिहार के विकास बल्कि केन्द्र-राज्य-संबंध के लिहाज से भी ऐतिहासिक कही जा सकती है। वर्तमान भारतीय राजनीति के दो अलग ध्रुवों पर खड़े नरेन्द्र मोदी और नीतीश कुमार के हाथ ही नहीं दिल भी कल मिलते दिखे, ये सुखद आश्चर्य से कम नहीं। विकास के इन दोनों प्रतीकपुरुषों ने तमाम ‘राजनीति’ से ऊपर उठकर बिहार की बाबत कल जिस तरह और जैसे माहौल में उम्मीद बंधाई है, उसे दोनों कायम रख पाएं तो बिहार के स्वर्णिम अतीत को लौटने से कोई नहीं रोक सकता।

नरेन्द्र मोदी इससे पहले जब भी बिहार आए, उनके और नीतीश कुमार के राजनैतिक और वैचारिक मतभेद ही सुर्खियों में रहे। मौका चाहे 2010 के भाजपा अधिवेशन का हो या गठबंधन टूटने के बाद का, लोकसभा चुनाव हो या हाल का बिहार चुनाव, एक-दूसरे पर निशाना साधने का कोई मौका दोनों कभी नहीं चूके। दोनों के बीच की तल्खी बिहार की सियासी आबोहवा पर लगातार हावी रही। पर कल जैसे कोई चमत्कार हो गया हो। दोनों नेताओं में ना मतभेद दिखा कल, ना मनभेद।

कल प्रधानमंत्री ने ना केवल ये कहा कि बिहार का भाग्य बदलेगा तभी देश का भाग्य बदलेगा बल्कि गाँवों में बिजली पहुँचाने को लेकर नीतीश की तारीफ भी की उन्होंने। उधर नीतीश भी पीछे नहीं रहे। हवाई अड्डे पर अगवानी करने से लेकर विदा करने तक प्रधानमंत्री के साथ रहे वे। बिहार आने के लिए उन्होंने दिल से आभार जताया उनका और अनुरोध किया कि इस राज्य के विकास के लिए बार-बार आएं। दोनों के बीच किसी दुराव या अलगाव, हिचक या झिझक के लिए जैसे कोई जगह ही ना हो।

मोदी बिहार आकर जा चुके हैं। पटना हाईकोर्ट के शताब्दी समारोह के समापन पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने के साथ-साथ दीघा में गंगा नदी पर रेल पुल, पाटलिपुत्र से लखनऊ के लिए ट्रेन चलना, मुंगेर में नवनिर्मित पुल का उद्घाटन, मोकामा में राजेन्द्र पुल के समानान्तर पुल का शिलान्यास जैसी सौगातें दे गए वे। तरक्की के कई रास्ते खुले बिहार के लिए। कई उपलब्धियां जुड़ीं बिहार के खाते में। पर सबसे बड़ी उपलब्धि रही इन दो दिग्गजों का एक मंच पर आना और बिहार के विकास के लिए साझे तौर पर संकल्प और प्रतिबद्धता जताना। ना केवल बिहार बल्कि देश की करोड़ों जनता की निगाह अब इस पर लगी रहेगी कि कब तक ‘राजनीति’ फिर बीच में नहीं आएगी और विकास के ये दो ‘प्रतीकपुरुष’ यूँ ही एक मंच पर रहेंगे..?

मधेपुरा अबतक के लिए डॉ. ए. दीप

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