Menu

मोदी मिले दाऊद से… ये क्या कह दिया आजम ने..?

Md. Azam Khan

उत्तर प्रदेश के कद्दावर कैबिनेट मंत्री मोहम्मद आजम खान प्रभावशाली मुस्लिम नेता माने जाते हैं। हालाँकि मुस्लिम वोट बैंक पर उनकी कितनी पकड़ है ये विवाद का विषय हो सकता है लेकिन ये बात निर्विवाद रूप से कही और मानी जा सकती है कि राज्य की राजनीति और खास तौर पर समाजवादी पार्टी की राजनीति पर उनकी पकड़ बहुत गहरी है। इतनी गहरी कि वो जब जो चाहें कर दें, जो चाहें बोल दें… उन्हें रोकने और टोकने वाला कोई नहीं। उन्हें ‘चाचा’ कहने वाले मुख्यमंत्री अखिलेश की तो छोड़ें, सपा सुप्रीमो मुलायम भी उनके मामले में रहस्यमयी चुप्पी साधे रहते हैं।

अभी ज्यादा दिन नहीं हुए जब उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक के साथ उनके कथित ‘दुर्व्यवहार’ का मामला सामने आया था। ये तो एक बानगी भर है। वैसे भी आजम आए दिन अपने बयानों से अपनी पार्टी को ‘असहज’ स्थिति में डालते रहे हैं। लेकिन इस बार तो उन्होंने हद ही कर दी। परसों उन्होंने एक सनसनीखेज बयान दिया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब पाकिस्तान में नवाज शरीफ और उनके परिवार से मुलाकात कर रहे थे तब उस दौरान कमरे में दाऊद इब्राहिम भी था। हालांकि सरकार ने बिना देर किए इस बयान का पुरजोर खंडन किया। सरकारी प्रवक्ता फ्रैंक नरोन्हा ने आजम के बयान को पूरी तरह आधारहीन, तथ्यहीन और झूठा बताया। लेकिन तब तक आजम ‘सुर्खियां’ बटोर चुके थे।

कहने को आजम खान यहाँ तक कहते हैं कि बादशाह (मोदी) कहें तो सबूत के तौर पर तस्वीर भी दिखा सकता हूँ। नवाज शरीफ के यहाँ उनकी माँ से मोदी की मुलाकात के दौरान साथ में अडानी और जिन्दल भी थे। उन्होंने यह भी कहा कि हमारे पीएम पाक के पीएम को पश्मीना शॉल और मलीहाबादी आम भेजते हैं तो वहाँ से सींक कबाब आता है। इसके भी मेरे पास सबूत हैं। उन्होंने साथ में यह भी जोड़ा कि कबाब लौकी से नहीं बनते हैं।

यहाँ एक साथ कई प्रश्न उठते हैं। पहला, अगर आजम ओछी राजनीति और सस्ती लोकप्रियता के लिए ऐसा नहीं कर रहे हैं और उनके पास सचमुच कोई ‘सबूत’ है तो उसे सामने लाने में देर किस बात की..? दूसरा, अगर किसी प्रदेश का मंत्री बिना किसी ‘सबूत’ के देश के प्रधानमंत्री पर इतने गंभीर आरोप लगा रहा है तो ऐसे में संविधान, संसद, सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग जैसी संस्थाओं की क्या भूमिका रह जाती है..? तीसरा, क्या सचमुच ऐसे बयानों से उन्हें या उनकी पार्टी को लाभ हो सकता है..? और चौथा, ऐसे में हमारे लोकतंत्र का क्या भविष्य रह जाएगा..?

सच तो ये है कि ऐसे सवालों के जवाब ढूँढ़ने के लिए जैसा ‘नैतिक बल’ चाहिए वो आज की तारीख में किसी दल और किसी नेता के पास सौ फीसदी मिलना नामुमकिन-सा है। हमाम में कमोबेश सब नंगे दिखाई देते हैं। उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है और वहाँ चुनाव सिर पर है। देश की दिशा तय करने में इस राज्य ने हमेशा से बड़ी भूमिका निभाई है। क्या ये उम्मीद की जाय कि उत्तर प्रदेश इस चुनाव से सार्वजनिक जीवन में मर्यादा की नई लकीर खींच पाने की सफल शुरुआत करेगा..?

मधेपुरा अबतक के लिए डॉ. ए. दीप

सम्बंधित खबरें